लोकसभा चुनाव 2019: मुनमुन सेन की सीट पर मंत्री सुब्रत मुखर्जी की साख दांव पर
सुब्रत मुखर्जी, मुनमुन सेन (फाइल फोटो): भारत राजनीती
कभी वाममोर्चा का गढ़ रहे बांकुड़ा की लाल धरती पर इस बार तृणमूल कांग्रेस के संगठन की ताकत का मुकाबला तेजी से उभरती भाजपा और वाममोर्चा से है। राज्य के तमाम हिस्सों में भले ही वाममोर्चा की जमीन तेजी से खिसकी हो, बांकुड़ा संसदीय क्षेत्र में अब भी उसके समर्थकों की खासी तादाद है। वाममोर्चा की यह मजबूती तृणमूल कांग्रेस के लिए काफी मुफीद है। इसकी वजह यह है कि वह और भाजपा सत्ता विरोधी वोटों में ही सेंध लगाएंगे। इसका फायदा तृणमूल कांग्रेस को मिल सकता है। वर्ष 2014 में तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार और अभिनेत्री मुनमुन सेन ने यहां नौ बार के सांसद रहे वामपंथी नेता बासुदेव आचार्य को हराकर सबको हैरत में डाल दिया था। मुनमुन के खिलाफ नाराजगी देख ममता बनर्जी ने वरिष्ठ नेता और राज्य के पंचायत व ग्रामीण विकास मंत्री सुब्रत मुखर्जी को मैदान में उतारा। उन्हें बाहरी होने के तमगे से जूझना पड़ रहा है। माकपा और भाजपा प्रचार में कहती हैं कि जीतने के बाद सुब्रत इलाके में नजर नहीं आएंगे। वहीं, सुब्रत का दावा है कि अगर पीएम मोदी गुजरात से आकर वाराणसी का ख्याल रख सकते हैं, तो कोलकाता से बांकुड़ा का ख्याल रखना कौन सी बड़ी बात है। उनका दावा है कि बांकुड़ा में उनके मंत्रालय की एक दर्जन से ज्यादा परियोजनाएं चल रही हैं।
भाजपा उम्मीदवार सुभाष सरकार को पिछले चुनाव में यहां 2.51 लाख वोट मिले थे। इस बार वे जीत का दावा कर रहे हैं। हालांकि सुब्रत कहते हैं कि उनका मुकाबला माकपा से है। दूसरी ओर, माकपा उम्मीदवार अमिय पात्र मानते हैं कि बीते साल पंचायत चुनावों में भाजपा ने इस इलाके में वाममोर्चा के वोटों में सेंध लगाई थी।