2014 में जिस लहर पर सवार होकर नरेंद्र मोदी सत्ता में आए थे, वह अब सुनामी बन चुकी है. रैलियों में पीएम मोदी ने राष्ट्रवाद, विकास और हिंदुत्व जैसे मुद्दों को जमकर भुनाया. लेकिन ऐसे कई मुद्दे हैं, जो भाजपा और मोदी सरकार के लिए वरदान साबित हुए और विपक्ष को पस्त कर दिया.
लोकसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और तकरीबन साफ हो चुका है कि पूर्ण बहुमत से नरेंद्र मोदी दोबारा दिल्ली की गद्दी संभालेंगे. आजतक-एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल ने भी पीएम मोदी की बंपर वोटों से दोबारा सत्ता में वापसी की भविष्यवाणी की थी, जो सटीक साबित हुई. नतीजे गवाही दे रहे हैं कि 2014 में जिस लहर पर सवार होकर नरेंद्र मोदी सत्ता में आए थे, वह अब सुनामी बन चुकी है. रैलियों में पीएम मोदी ने राष्ट्रवाद, विकास और हिंदुत्व जैसे मुद्दों को जमकर भुनाया. लेकिन ऐसे कौन से मुद्दे हैं, जो भाजपा और मोदी सरकार के लिए वरदान साबित हुए और विपक्ष को पस्त कर दिया.
बालाकोट एयरस्ट्राइक
पुलवामा आतंकी हमले के बाद पूरा देश रोष में था. 40 जवान शहीद होने के बाद पीएम मोदी ने पाकिस्तान के बालाकोट स्थित आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक का आदेश दिया, जिसके बाद पाकिस्तान बौखला गया. जनता में संदेश गया कि पाकिस्तान का दिमाग मोदी ही ठिकाने लगा सकते हैं.
अभिनंदन की घर वापसी
बालाकोट एयर स्ट्राइक के अगले दिन पाकिस्तानी विमान भारतीय सीमा में घुस आए, जिन्हें खदेड़ने के लिए भारतीय वायुसेना के मिग-21 बाइसन विमान उड़े. डॉग फाइट में विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने पाकिस्तान के एफ-16 विमान को मार गिराया. लेकिन उनका विमान भी क्षतिग्रस्त हो गया और वह पीओके में पैराशूट समेत जा गिरे, जहां उन्हें कस्टडी में ले लिया गया. मगर भारत और अंतर्राष्ट्रीय देशों के दबाव में पाकिस्तान को झुकना पड़ा और अभिनंदन सकुशल भारत लौट आए. इसके बाद मोदी सरकार पर मजबूत सरकार की मुहर लग गई.
सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण
13 पॉइंट रोस्टर और एसटी/एससी एक्ट को लेकर मोदी सरकार के रुख से अगड़ी जातियां काफी नाराज चल रही थीं. लिहाजा उन्हें अपने पक्ष में करने के लिए सरकार ने गरीब सवर्णों को आर्थिक आधार पर आरक्षण का ऐलान कर दिया. इसे मोदी सरकार का तुरुप का इक्का कहा जाए तो गलत नहीं होगा.
राष्ट्रवाद की आंधी
पीएम नरेंद्र मोदी हो या बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह. उन्होंने अपने भाषणों में बताया कि कैसे भाजपा सरकार में सेना को खुली छूट दी गई और उसे मजबूत बनाया गया. जबकि पूर्ववर्ती सरकारें न तो दुश्मन को जवाब दे पाईं और न ही सेना को सक्षम कर पाई. इस बात का प्रचार प्रसार भी जमकर किया गया कि 26/11 मुंबई हमले के बाद सेना जवाब देना चाहती थी लेकिन मनमोहन सिंह सरकार ने उसे इसकी इजाजत नहीं दी. इसके अलावा घर में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक का मुद्दा भी चुनाव का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ.
किसानों को 6 हजार
किसानों के मुद्दे पर विपक्ष लंबे समय से पीएम मोदी को घेरता आ रहा था. कई किसान आंदोलन भी हुए. इसके बाद बजट में सरकार ने किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों के खातों में 6 हजार रुपए देने का ऐलान किया. यह योजना सफल रही और किसानों की नाराजगी भी कम हो गई
कमजोर विपक्ष का फायदा
मोदी सरकार को विपक्ष में तालमेल की कमी का फायदा भी मिला. जहां यूपी में कांग्रेस को सपा-बसपा ने अपने गठबंधन में शामिल नहीं किया. वहीं बिहार में महागठबंधन बना जरूर लेकिन कार्यकर्ताओं में जमीनी तालमेल नहीं बैठ पाया, लिहाजा नतीजा सबके सामने है. बिहार में एनडीए ने महागठबंधन को धराशायी कर दिया है. एनडीए को जहां 40 में से 39 सीट मिलीं, वहीं महागठबंधन को महज एक सीट.
मोदी सरकार की योजनाएं
उज्जवला, पीएम आवास योजना, मुद्रा योजना, स्वच्छ भारत, आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं का लाभ भी जमीनी हकीकत पर लोगों को मिला. इसका फायदा मोदी सरकार को वोटों के रूप में मिला. पीएम मोदी ने कई बार इन योजनाओं का जिक्र अपने भाषणों में चुनाव के दौरान किया है.