Bhopal Gas कांड: मुआवजे पर सरकार से निराश पीड़ितों ने अब लिखी President को चिट्ठी - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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बुधवार, 8 मई 2019

Bhopal Gas कांड: मुआवजे पर सरकार से निराश पीड़ितों ने अब लिखी President को चिट्ठी

Bhopal Gas कांड: मुआवजे पर सरकार से निराश पीड़ितों ने अब लिखी President को चिट्ठी


भोपाल गैस त्रास्दी (प्रतीकात्मक)
भोपाल गैस त्रास्दी (प्रतीकात्मक):Bharat Rajneeeti
Bharat Rajneeeti: भोपाल गैस कांड के पीड़ितों ने अब राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर जल्द मुआवजे की मांग की है। इससे पहले हादसा पीड़ितों के चार संगठनों के नेताओं ने मार्च में एक पत्रकार वार्ता की थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि केंद्र और प्रदेश की सरकारें अतिरिक्त मुआवजे के लिए लगाई गई सुधार याचिका में सुधार करें।  भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के प्रतिनिधियों ने भोपाल के हर गैस पीड़ित को मुआवजे में 5 लाख रूपये दिलवाने का वादा किया है लेकिन केंद्र और प्रदेश की सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत मौतों और बीमारियों के आंकड़े सुधारने पर ही यह वादा पूरा किया जा सकता है। 

भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष नवाब खान ने कहा कि इस साल जनवरी में प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को भेजी चिट्ठी का भी जवाब नहीं आया। उन्होंने कहा, "हमने अपनी चिट्ठी में उन दस्तावेजी सबूतों का जिक्र किया था, जो यह दिखाते हैं कि दिसंबर 1984 में मिथाइल आइसो सायनेट गैस की वजह से पीड़ितों को पहुंचे नुकसान की सही जानकारी प्रदेश सरकार जानबूझकर छिपा रही है और सर्वोच्च न्यायालय को गुमराह कर रही है। हमने उनसे गुजारिश कर कहा कि वे सरकारी दस्तावेजों और अस्पतालों के रिकार्ड से गैस कांड की वजह से हुई मौतों और बीमारियों के सही आंकड़े जुटाएं। लेकिन आज तक चिट्ठी का जवाब नहीं आया।" 

भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने बताया, "इस साल जनवरी में हमने भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री को भी चिट्ठी लिखकर मौतों और बीमारियों के सही आंकड़े जुटाने के साथ साथ इन आंकड़ों को रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय को उपलब्ध करने की मांग की थी। पर आज तक जवाब नहीं मिला। इस मुद्दे पर मंत्री की चुप्पी रहस्यमय है क्योंकि उनका यह दावा है कि विपक्ष में रहते हुए उन्होंने विधानसभा में हर गैस पीड़ित को 5 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग हमेशा उठाई है।" 

डाव कार्बाइड के खिलाफ बच्चे नामक संगठन की नौशीन खान ने बताया, "उदासीन सरकारों के संवेदनहीन मंत्रियों से किया गया पत्राचार वाकई बहुत निराशाजनक है।" ढींगरा ने कहा कि केंद्र और प्रदेश की सरकारों ने यदि हमारी मांग पर गौर नहीं किया तो सभी संगठन इस लड़ाई को कानूनी तौर पर और सड़कों पर लड़ेंगे।

हजारों लोगों को मौत के मुंह में धकेलने वाली 1984 की भोपाल गैस त्रासदी दुनिया की ''सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि हर साल पेशे से जुड़ी दुर्घटनाओं और काम के चलते हुई बीमारियों से 27.8 लाख कामगारों की मौत हो जाती है।

संयुक्त राष्ट्र की श्रम एजेंसी अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्य प्रदेश की राजधानी में यूनियन कार्बाइड के कीटनाशक संयंत्र से निकली कम से कम 30 टन मिथाइल आइसोसायनेट गैस से 600,000 से ज्यादा मजदूर और आसपास रहने वाले लोग प्रभावित हुए थे।

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