
बीजेपी नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने जबरदस्त जीत हासिल की है. एक गौर करने वाला तथ्य यह है कि यूपी-बिहार, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के लगभग सभी अति गरीब जिलों में बीजेपी को आसानी से जीत मिली है. ऐसा माना जा रहा है कि उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत, पीएम आवास योजना, किसानों को सीधे रकम जैसी मोदी सरकार की योजनाओं ने गरीबों का काफी प्रभावित किया है.
यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा जैसे देश के पिछड़े माने जाने वाले राज्यों में बीजेपी को बड़ी संख्या में सीटें मिली हैं. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक यूपी के 10 गरीब जिलों की बात करें तो सबसे गरीब श्रावस्ती (61 फीसदी गरीब परिवार) के अलावा अन्य सभी जिलों में बीजेपी को जीत मिली है. सबसे ज्यादा गरीब परिवारों वाले श्रावस्ती की सीट बहुजन समाज पार्टी के खाते में गई है. इसके अलावा यूपी के अन्य सबसे गरीब जिलों की बात करें तो बहराईच (56.5 फीसदी गरीब परिवार), सीतापुर (55%), सोनभद्र (42.4%), कानपुर (53.1%), हरदोई (45.15%), बलरामपुर (45.8%), गोंडा (43.5%), फतेहपुर (46.4%) और खीरी (49.9%) में बीजेपी को खूब वोट मिले हैं.
इसी तरह बिहार में भी बीजेपी और समूचे एनडीए को बेहद गरीब जिलों में अच्छी जीत हासिल हुई है. बिहार के सबसे गरीब जिलों की बात की जाए तो पश्चिमी चंपारण (48.2%), पूर्वी चंपारण (48.4%), अररिया (44.9%), मधुबनी (42.6%), खगड़िया (41.1%), पूर्णिया (47.1%), समस्तीपुर (53.6%), सीतामढ़ी (53.3) और कटिहार (58%) में बीजेपी-एनडीए को जीत मिली है. इनमें से सीतामढ़ी, पूर्णिया और कटिहार सीट जेडीयू के खाते में गई है, जबकि समस्तीपुर और खगड़िया सीट एलजेपी के खाते में गई है. दिलचस्प यह है कि यूपी-बिहार के इन सभी सीटों का जो नाम है, जिलों का भी वहीं नाम है.
मध्य प्रदेश के तीन जिलों में 30 फीसदी से ज्यादा गरीब परिवार हैं. इनमें सिंगरौली (36%), सीधी (30%) और शहडोल (32%) शामिल हैं. सीधी सीट पर भी बीजेपी की रीति पाठक को 54 फीसदी वोटों के साथ जबरदस्त जीत मिली है. सिंगरौली जिला भी सीधी सीट के तहत आता है. उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता दिवंगत अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह को हराया है. शहडोल सीट पर बीजेपी कैंडिडेट 4 लाख से ज्यादा वोट से जीता है. ओडिशा में बीजेपी को बहुत ज्यादा सीटें तो नहीं मिलीं, लेकिन सबसे गरीब जिले कालाहांडी (36.65%) के संसदीय सीट पर उसे जीत मिली है.
प्रधानमंत्री ने गरीबों के कल्याण के लिए कई योजनाएं शुरू कीं और सबसे बड़ी बात है कि इसको प्रचारित करने में भी वे पीछे नहीं रहे. वे सभी योजनाओं के लाभार्थियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या अन्य तरीकों से सीधे संवाद की कोशिश करते थे. उन्होंने आयुष्मान भारत योजना के हर संभावित लाभार्थी को अपने दस्तखत वाले लेटर भेजे थे.