उत्तर प्रदेश की आखिरी जंग में काशी से कुशीनगर तक सबकी निगाहें, यहीं से तय होगा दिल्ली का रास्ता
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव 2019 का अंतिम चरण देश का भविष्य निर्धारित करेगा। अंतिम चरण में यूपी की 13 लोकसभा सीटों पर मतदान है। यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी भाजपा अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय, केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा और अनुप्रिया पटेल, पूर्व मंत्री आरपीएन सिंह समेत कई दिग्गज मैदान में हैं। उत्तर प्रदेश में जिन 13 सीटों पर मतदान होना है, उनमें पीएम का संसदीय क्षेत्र वाराणसी, गोरखपुर, चंदौली, देवरिया, गाजीपुर, बलिया, घोसी, मिर्जापुर, महाराजगंज, बसगांव, रॉबर्ट्सगंज और सलेमपुर शामिल है। पिछले लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा और एनडीए में शामिल रहे अपना दल ने सभी 13 की 13 सीटें जीती थी, लेकिन गोरखपुर में हुए उपचुनाव में भाजपा ने यह सीट गंवा दी। इन 13 सीटों में से गठबंधन की ओर से आठ सीटें समाजवादी पार्टी के हिस्से है, जबकि पांच सीटों पर बसपा मैदान में है। कांग्रेस सभी सीटों पर लड़ रही है।
काशी में कितनी बड़ी होगी पीएम मोदी की जीत?
वाराणसी में लड़ाई एकतरफा नजर आ रही है। पीएम मोदी के खिलाफ यहां कांग्रेस की ओर से अजय राय तो गठबंधन की ओर से शालिनी यादव मैदान में है। भाजपा यहां पीएम मोदी की ऐतिहासिक जीत की उम्मीद लगाए बैठी है, वहीं गठबंधन और कांग्रेस की कोशिश पीएम मोदी को कड़ी टक्कर देने की है।
योगी के गढ़ गोरखपुर पर पूरे देश की नजर
करीब तीन दशक से भाजपा के दबदबा वाले गोरखपुर में उपचुनाव में सपा नेता प्रवीण निषाद ने सीट छीन ली थी। इस बार भाजपा ने भोजपुरी और बॉलीवुड अभिनेता रवि किशन को उतारा है, जबकि सपा से रामभुआल निषाद प्रत्याशी हैं। रामभुआल भाजपा को कांटे की टक्कर दे रहे हैं। इधर, महाराजगंज में भी मुकाबला दिलचस्प है। यहां से भाजपा के पंकज चौधरी, गठबंधन के सपा प्रत्याशी अखिलेश सिंह और कांग्रेस की सुप्रिया श्रीनेत के बीच कड़ी टक्कर है।
काशी में कितनी बड़ी होगी पीएम मोदी की जीत?
वाराणसी में लड़ाई एकतरफा नजर आ रही है। पीएम मोदी के खिलाफ यहां कांग्रेस की ओर से अजय राय तो गठबंधन की ओर से शालिनी यादव मैदान में है। भाजपा यहां पीएम मोदी की ऐतिहासिक जीत की उम्मीद लगाए बैठी है, वहीं गठबंधन और कांग्रेस की कोशिश पीएम मोदी को कड़ी टक्कर देने की है।
योगी के गढ़ गोरखपुर पर पूरे देश की नजर
करीब तीन दशक से भाजपा के दबदबा वाले गोरखपुर में उपचुनाव में सपा नेता प्रवीण निषाद ने सीट छीन ली थी। इस बार भाजपा ने भोजपुरी और बॉलीवुड अभिनेता रवि किशन को उतारा है, जबकि सपा से रामभुआल निषाद प्रत्याशी हैं। रामभुआल भाजपा को कांटे की टक्कर दे रहे हैं। इधर, महाराजगंज में भी मुकाबला दिलचस्प है। यहां से भाजपा के पंकज चौधरी, गठबंधन के सपा प्रत्याशी अखिलेश सिंह और कांग्रेस की सुप्रिया श्रीनेत के बीच कड़ी टक्कर है।
गाजीपुर में केंद्रीय मंत्री, चंदौली में पूर्व मंत्री की परीक्षा
गाजीपुर और चंदौली लोकसभा सीट भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। गाजीपुर में केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा की प्रतिष्ठा दांव पर है, जिनकी लड़ाई गठबंधन प्रत्याशी बाहुबली मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी से है। वहीं, चंदौली से पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ महेंद्रनाथ पांडेय मैदान में हैं। उन्हें गठबंधन के संजय चौहान और कांग्रेस की शिवकन्या कुशवाहा से टक्कर मिल रही है। जातिगत समीकरण को देखते हुए कहा जा रहा है कि इस बार भाजपा की राह यहां आसान नहीं है।
मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज में अनुप्रिया की साख दांव पर
मिर्जापुर लोकसभा पर त्रिकोणीय मुकाबला है। यहां भाजपा की सहयोगी अपना दल के टिकट पर केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल मैदान में हैं, जिनकी टक्कर गठबंधन के सांसद रामचरित निषाद और कांग्रेस ने ललितेश पति त्रिपाठी से है। ललितेश के लिए प्रियंका गांधी ने भी रोड शो किया था। इधर, राबर्ट्सगंज भी एनडीए में अपना दल के जिम्मे है, जिससे पकौड़ी लाल मैदान में हैं। समाजवादी पार्टी से भाई लाल कोल और कांग्रेस के भगवती चौधरी से उनकी टक्कर है। तीनों ही प्रत्याशी बाहरी हैं और मिर्जापुर के हैं।
गाजीपुर और चंदौली लोकसभा सीट भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। गाजीपुर में केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा की प्रतिष्ठा दांव पर है, जिनकी लड़ाई गठबंधन प्रत्याशी बाहुबली मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी से है। वहीं, चंदौली से पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ महेंद्रनाथ पांडेय मैदान में हैं। उन्हें गठबंधन के संजय चौहान और कांग्रेस की शिवकन्या कुशवाहा से टक्कर मिल रही है। जातिगत समीकरण को देखते हुए कहा जा रहा है कि इस बार भाजपा की राह यहां आसान नहीं है।
मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज में अनुप्रिया की साख दांव पर
मिर्जापुर लोकसभा पर त्रिकोणीय मुकाबला है। यहां भाजपा की सहयोगी अपना दल के टिकट पर केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल मैदान में हैं, जिनकी टक्कर गठबंधन के सांसद रामचरित निषाद और कांग्रेस ने ललितेश पति त्रिपाठी से है। ललितेश के लिए प्रियंका गांधी ने भी रोड शो किया था। इधर, राबर्ट्सगंज भी एनडीए में अपना दल के जिम्मे है, जिससे पकौड़ी लाल मैदान में हैं। समाजवादी पार्टी से भाई लाल कोल और कांग्रेस के भगवती चौधरी से उनकी टक्कर है। तीनों ही प्रत्याशी बाहरी हैं और मिर्जापुर के हैं।
देवरिया और बलिया में नाक का सवाल
गोरखपुर से सटे देवरिया में योगी आदित्यनाथ का काफी प्रभाव रहता है। यहां से सांसद रहे कलराज मिश्र ने सीट छोड़ी तो रमापति राम त्रिपाठी को टिकट दिया गया। गठबंधन का वोट अगर एक दूसरे को ट्रांसफर हो गया तो बसपा को जीत मिल सकती है।
इधर, बलिया से भदोही सांसद और भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह मस्त मैदान में हैं, जिनका मुकाबला सपा प्रत्याशी सनातन पांडेय और कांग्रेस प्रत्याशी राजेश मिश्र से था, लेकिन आखिरी चरण के चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने गठबंधन प्रत्याशी को समर्थन देकर भाजपा का खेल बिगड़ दिया।
सलेमपुर, बांसगांव, घोसी और कुशीनगर का भी अहम रोल
इसी तरह देखा जाए तो सलेमपुर, बांसगांव, घोसी और कुशीनगर में भी मुकाबला दिलचस्प दिख रहा है। सलेमपुर में बसपा प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा भाजपा क मौजूदा सांसद रविंद्र कुशवाहा के खिलाफ उतरे हैं। बांसगांव में भाजपा के कमलेश पासवान और गठबंधन प्रत्याशी बसपा के सदल प्रसाद के बीच सीधा मुकाबला दिख रहा है।
घोसी में गठबंधन से बसपा के अतुल राय मैदान में हैं, लेकिन रेप के आरोप में फंसने के बाद से फरार चल रहे हैं। वहीं भाजपा से मौजूदा सांसद हरिनारायण राजभर एक बार फिर चुनाव लड़ रहे हैं। कुशीनगर सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह एक बार फिर कांग्रेस की वापसी कराने के लिए मैदान में हैं। उनका मुकाबला भाजपा के विजय दुबे और गठबंधन के नथुनी कुशवाहा से है। इस तरह देखा जाए तो सरकार बनाने में सलेमपुर, बांसगांव, घोसी और कुशीनगर का भी भूमिका अहम होगी।
गोरखपुर से सटे देवरिया में योगी आदित्यनाथ का काफी प्रभाव रहता है। यहां से सांसद रहे कलराज मिश्र ने सीट छोड़ी तो रमापति राम त्रिपाठी को टिकट दिया गया। गठबंधन का वोट अगर एक दूसरे को ट्रांसफर हो गया तो बसपा को जीत मिल सकती है।
इधर, बलिया से भदोही सांसद और भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह मस्त मैदान में हैं, जिनका मुकाबला सपा प्रत्याशी सनातन पांडेय और कांग्रेस प्रत्याशी राजेश मिश्र से था, लेकिन आखिरी चरण के चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने गठबंधन प्रत्याशी को समर्थन देकर भाजपा का खेल बिगड़ दिया।
सलेमपुर, बांसगांव, घोसी और कुशीनगर का भी अहम रोल
इसी तरह देखा जाए तो सलेमपुर, बांसगांव, घोसी और कुशीनगर में भी मुकाबला दिलचस्प दिख रहा है। सलेमपुर में बसपा प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा भाजपा क मौजूदा सांसद रविंद्र कुशवाहा के खिलाफ उतरे हैं। बांसगांव में भाजपा के कमलेश पासवान और गठबंधन प्रत्याशी बसपा के सदल प्रसाद के बीच सीधा मुकाबला दिख रहा है।
घोसी में गठबंधन से बसपा के अतुल राय मैदान में हैं, लेकिन रेप के आरोप में फंसने के बाद से फरार चल रहे हैं। वहीं भाजपा से मौजूदा सांसद हरिनारायण राजभर एक बार फिर चुनाव लड़ रहे हैं। कुशीनगर सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह एक बार फिर कांग्रेस की वापसी कराने के लिए मैदान में हैं। उनका मुकाबला भाजपा के विजय दुबे और गठबंधन के नथुनी कुशवाहा से है। इस तरह देखा जाए तो सरकार बनाने में सलेमपुर, बांसगांव, घोसी और कुशीनगर का भी भूमिका अहम होगी।