भारत में राजनीती : मोदी बोले- दीदी बदले की धमकी देती हैं... महामिलावटी उनके गुंडाराज का बचाव भी करते हैं - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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शुक्रवार, 17 मई 2019

भारत में राजनीती : मोदी बोले- दीदी बदले की धमकी देती हैं... महामिलावटी उनके गुंडाराज का बचाव भी करते हैं

मोदी
  मोदी (Photo):Bharat Rajneeti
लोकसभा के महासंग्राम के आखिरी चरण से पहले पश्चिम बंगाल में हिंसा और अराजकता को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां की ममता सरकार पर तीखा हमला बोला है तो कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों को भी घेरा। उन्होंने दो टूक कहा कि दीदी खुलेआम बदला लेने की धमकी देती हैं। महामिलावटी तो ऐसे हैं, जो उनके गुंडाराज का भी बचाव करते हैं। चुनाव प्रचार अभियान के बीच पीएम मोदी ने टीम अमर उजाला के विभिन्न मुद्दों से जुड़े सवालों के जवाब दिए। क्या भाजपा सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत हासिल कर लेगी?

भाजपा अब तक के मतदान में ही जरूरी बहुमत हासिल कर चुकी है। अब तो हम ऐतिहासिक जीत की ओर बढ़ रहे हैं।

अब सिर्फ आखिरी चरण का चुनाव होना है, भाजपा की स्थिति को कैसे आंकते हैं?

छह चरण के चुनाव के बाद भाजपा की क्या स्थिति है, इसका आकलन तो आप लोग कर ही रहे हैं, लेकिन जिस प्रकार से कांग्रेस और उनके महामिलावटी साथी ऊलजलूल हरकत कर रहे हैं, उससे आपको भाजपा की स्थिति का सही-सही अंदाजा हो जाएगा। आपने देखा होगा कि आखिरी चरण के चुनाव से पहले जब कांग्रेस को अंदाजा हो गया है कि अब पार्टी शर्मनाक पराजय की तरफ बढ़ चली है तो उसने अपने नामदार को बचाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। 

कांग्रेस ने एक परिवार को बचाने के लिए अपने दो पुराने बैट्समैन को गालीगलौज करने के लिए उतार दिया है, ताकि हार का सारा ठीकरा उनके सिर फोड़ा जा सके। आखिरी चरण के चुनाव से पहले जिस प्रकार से ममता दीदी खुलेआम बदला लेने की धमकी दे रही हैं, क्या ये उनकी हार की छटपटाहट नहीं है? मंगलवार का दिन समूचे भारत के लिए, इस देश के लोकतंत्र के लिए दुखद रहा। पूरे देश ने देखा कि किस प्रकार महामिलावटी दलों ने ममता दीदी के गुंडाराज को भी डिफेंड करने का काम किया। 

आखिरी चरण के चुनाव से पहले जिस प्रकार बुआ-बुबआ के साथ-साथ अब समर्थकों में भी लड़ाई छिड़ गई है, क्या उससे साबित नहीं होता कि इनकी महामिलावट बेअसर हो चुकी है? आखिरी चरण से पहले जिस प्रकार पंजाब के भीतर ही कांग्रेस के दिग्गजों की लड़ाई छिड़ गई है, क्या उससे उनकी हताशा पता नहीं चलती है? हालांकि अभी एक चरण का चुनाव बचा है, लेकिन मैं आपको बता सकता हूं कि भाजपा प्रचंड जीत और रिकॉर्ड बहुमत की ओर बढ़ चुकी है।

आप कहते हैं कि मुझे गालियां दी गईं, कांग्रेस कहती है कि उनके पूर्वजों को बार-बार चुनाव में घसीटा जाता है, इतनी तल्खी क्यों?

हमारे और उनके बीच में क्या फर्क है, पहले इसे समझिए। हम हमेशा मुद्दों की बात करते हैं, वे सिर्फ अपने परिवार की बात करते हैं। हम विकास के विषयों को उठाते हैं, वे हमेशा यही बताते हैं कि उनके परिवार ने क्या किया। हमने उनके घोटाले की चर्चा की, तो उन्होंने ये धमकी दी कि मेरी इमेज खराब कर देंगे। मैंने उनके पूर्व प्रधानमंत्रियों के पुराने चैप्टर को सिर्फ पलटा, तो वे मुझे और मेरे परिवार को गालियां देने लगे। आप खुद सोचिए, मेरी अब तक की राजनीति में ऐसा कोई भी समय गुजरा है, जब उन्होंने मुझे, मेरे परिवार को गंदी-गंदी गालियां नहीं दी हों? 

आखिरी चरण के चुनाव से पहले उन्होंने फिर से अपने राग दरबारियों को खुला छोड़ दिया है, ताकि मुझे फिर से गालियां दे सकें। आप खुद सोचिए, उनके जो पूर्वज हैं, क्या वे देश के प्रधानमंत्री नहीं रहे हैं? और जिन्होंने देश के सबसे बड़े पद पर काम किया हो, क्या वे अपनी जवाबदेही से बच सकते हैं? क्या उनकी एकाउंटेबिलिटी तय नहीं होनी चाहिए? जब उनका परिवार हर चुनाव में उनके नाम पर वोट मांगता है तो क्या देशवासियों को उनके बारे में जानने का हक नहीं है? और इन्होंने जब यह कहा कि ‘सेना मोदी की पर्सनल प्रॉपर्टी नहीं है’ तब जाकर मैंने सिर्फ उदाहरण दिया की सेना का दुरुपयोग किसे कहते है। 

जब मैं लोगों को उनकी करतूतों के बारे में बताता हूं कि कैसे उन्होंने सरकारी रिसोर्सेज का दुरुपयोग किया तो उन्हें चिढ़ होने लगती है। क्या जनता जनार्दन को इस बात को जानने का हक नहीं है कि आखिर क्यों इतने दशक बाद भी एक बड़ी जनसंख्या गरीबी में जीने को अभिशप्त रही? लेकिन अब ये दोहरा रवैया नहीं चलने वाला है।

आईएनएस विराट को लेकर राजीव गांधी पर हमले के बाद आप निशाने पर आ गए। क्या आपको इसका अंदाजा था कि कांग्रेस ऐसी प्रतिक्रिया देगी?

ये होना तो लाजिमी था। आखिर कांग्रेस की पूरी राजनीति परिवार तक ही सीमित तो है। जब कोई देश के टुकड़े-टुकड़े करने को कहता है तब कांग्रेस का खून नहीं खौलता, बल्कि तब तो ये उनके साथ जाकर खड़े हो जाते हैं। लेकिन अगर कोई इनके परिवार के सच को देश के सामने ले आए तो इनकी पूरी जमात मैदान में आ जाती है बचाव करने। जो परिवार को देश से ऊपर मानते हैं, उनका रिएक्शन ऐसा होना ही था।


आपने कांग्रेस को चुनाव के बाकी के चरण राजीव गांधी के नाम पर लड़ने की चुनौती दी थी, तो प्रियंका गांधी ने कहा कि भाजपा नोटबंदी और जीएसटी पर लड़कर दिखाए? ऐसा होगा?

क्या नोटबंदी के नाम पर 2017 में उत्तर प्रदेश का चुनाव नहीं लड़ा गया? और क्या परिणाम रहा? क्या जीएसटी के नाम पर गुजरात का चुनाव नहीं लड़ा गया? वहां भी क्या परिणाम निकला? देखिए, इस समय कांग्रेस रिवर्स गियर में चल रही है। छह चरणों के मतदान का रुख देखकर बुरी तरह से डरी हुई है। लेकिन अगर कांग्रेस को लगता है कि आज भी वो नोटबंदी या जीएसटी पर चुनाव लेना चाहती है तो मैं इसका भी स्वागत करता हूं। 

कम से कम एक दिन शायद ऐसा हो कि कांग्रेस पूरे चुनाव प्रचार में गाली गलौज के बजाय मुद्दों पर बात करे? कम से कम शायद एक दिन तो हो कि कांग्रेस झूठ बोलने के बजाय मुद्दों पर बात करे? लेकिन आप देख लीजिएगा, कांग्रेस ऐसा करेगी नहीं।

एक तरफ आप कुर्ते भेजने को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तारीफ करते हैं, फिर तीखे हमले? ममता भी सीधे आपको निशाना बना रही हैं, समुद्री तूफान के खतरे के दौरान उन्होंने आपका फोन नहीं उठाया, वे भाजपा पर धार्मिक ध्रुवीकरण का आरोप लगाती हैं, आप पर मूल मुद्दों से भटकाने का आरोप भी लगाती हैं?

इस चुनाव ने दिखाया है कि वहां किस प्रकार अराजकता की राजनीति चल रही है। किस प्रकार वहां फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन को कुचला जा रहा है। किस प्रकार वहां पर विरोधियों का दमन किया जा रहा है। आपने एक बात कही है कि उन्होंने समुद्री तूफान के समय मेरा फोन नहीं उठाया। अगर आप इसे सिर्फ चुनाव के नजरिए से देख रहे हैं तो एक प्रकार से आप लोकतंत्र को ही नुकसान पहुंचाने का काम कर रहे हैं। देखिए चुनाव तो आएगा-जाएगा। लेकिन इस घटना से देश की फेडरल व्यवस्था को ही नष्ट करने का प्रयास किया गया है। 

आपने धार्मिक ध्रुवीकरण का भी मुद्दा उठाया, लेकिन जरा सोचिए कि क्या इस देश के भीतर जय श्रीराम बोलना भी गुनाह हो जाएगा? ऐसा करने का पाप किसने किया है? किसने दुर्गा पूजा, सरस्वती पूजा और रामनवमी के समय पाबंदी लगाने का काम किया? याद रखिए 2019 में जहां पूरा देश अगली सरकार चुनने के लिए वोट कर रहा है, वहीं आज पश्चिम बंगाल के लोग लोकतंत्र बचाने के लिए वोट कर रहे हैं।

भोपाल से प्रज्ञा सिंह को चुनाव में उतारना, हिंदू आतंकवाद को फिर बहस में लाना, कहीं न कहीं चुनाव को धार्मिक ध्रुवीकरण की दिशा में ले जाता ही दिखा?

जिन्होंने हिंदुओं को आतंकवादी कहा, दरअसल वे लोग धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण करने का काम कर रहे हैं। क्या हम उनका जवाब भी न दें? जिन्होंने हिंदुओं को बदनाम करने की कोशिश की, उनसे ये सवाल पूछिए। हम तो सिर्फ जवाब दे रहे हैं। और ऐसा नहीं है कि कांग्रेस अपने इस कुकृत्य से आज भी बाज आई है। सीधे कहने के बजाय, अपने चेलों से आज भी कांग्रेस वही राजनीति कर रही है।

कमल हासन ने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को पहला हिंदू आतंकी बताकर फिर से हिंदू आतंकवाद का जिक्र कर दिया है?

हिंदू आतंकवाद का जिक्र करना दरअसल भारत की महान संस्कृति को बदनाम करने की इनकी एक बड़ी साजिश लगती है। ये सब कांग्रेस के ही हथियार हैं। उन्हीं के चट्टे-बट्टे निकल पड़े हैं। हिंदुओं को बदनाम करने में ये लगातार लगे रहते हैं।

चुनाव आयोग की भूमिका पर इस बार सबसे ज्यादा सवाल उठ रहे हैं, विपक्ष का आरोप है कि आयोग सरकार के प्रभाव में काम कर रहा है, मोदी को क्लीनचिट मिल जाती है, लेकिन अन्य को नहीं?

विपक्षी दल यह बोलें तो मुझे हैरानी नहीं होती है, लेकिन जब आप मीडिया में रहकर ऐसे सवाल करते हैं तो हैरानी होती है। आप खुद देखिए कि नामदार को कितनी बार क्लीन चिट मिल चुकी है। नामदार को तो न चुनाव आयोग का डर है और न ही सुप्रीम कोर्ट का। सुप्रीम कोर्ट का नाम लेकर मुझ पर गलत आरोप लगाए। फिर कोर्ट में माफी भी मांग ली। उसके बाद भी अनाप-शनाप बयानबाजी कर रहे हैं। 

दरअसल, यह जो खान मार्केट का गैंग है, वह मीडिया और संवैधानिक संस्थाओं पर दबाव बनाने के लिए ऐसे शिगूफे छोड़ता रहता है। बल्कि मेरा तो ये आरोप है कि विपक्षी पार्टियों ने चुनाव आयोग में शिकायत करने का ढकोसला करके उसे एक कटघरे में खड़ा करने का षड्यंत्र किया है। कोई भी बयान हो, उसे आरोप बनाकर चुनाव आयोग शिकायत करने पहुंच जाते हैं। फिर उसे अनावश्यक रूप से तूल देने का प्रयास करते हैं। 

उस पर मीडिया में सुर्खियां बटोरते हैं और मामला खत्म होने पर इसे एक मुद्दा बना देते हैं। इनके आरोप तो सुप्रीम कोर्ट तक में खारिज हो चुके हैं। क्या इन्हें चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट, किसी पर भरोसा नहीं है? क्या आपको भी चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा नहीं है?

यूपी की चुनावी रैलियों में आप खुद को अतिपिछड़ा बताते हैं। मायावती कहती हैं कि भाजपा हार रही है, चुनावी लाभ के लिए आप खुद को पिछड़ी जाति का बताते हैं। पूर्वांचल में पिछड़े व दलित वोटों के लिए तो रणनीति नहीं बदली?

देखिए, मैं कभी ऐसे मुद्दे नहीं उठाता हूं। मेरे राजनीतिक जीवन का ककहरा विकास से शुरू होता है और अंत भी विकास पर जाकर होता है। मुझे जाति का उल्लेख तभी जाकर करना पड़ा, जब मुझ पर झूठे आरोप लगाए गए। मेरे परिवार पर हमला किया गया। अभी तक इस देश ने कई प्रकार की राजनीति और राजनीतिक दल देखे हैं। लेकिन अगर इस देश में कोई पार्टी विकास को राजनीति के केंद्र में लाई तो वो भाजपा है। इसका क्रेडिट भी पार्टी को अवश्य दिया जाना चाहिए। हमारी सरकार ने लोक कल्याण के दर्जनों कार्यक्रम शुरू किए। हमने जब गरीब माताओं-बहनों की रसोई में मुफ्त गैस कनेक्शन पहुंचाया, तो उनकी जाति नहीं देखी। 

हमने जब देश के हर गांव में बिजली पहुंचाई तो यह नहीं देखा कि कौन सा गांव किस जाति का है। मायावती जी और अखिलेश यादव जात-पात इसलिए करते हैं, क्योंकि वे विकास की राजनीति पर नहीं, जाति की राजनीति पर भरोसा करते हैं। मैं उन लोगों को कहना चाहता हूं कि मेरी जाति वही है जो इस देश के करोड़ों गरीबों की जाति है। गरीबी ही मेरी जाति है। मैंने गरीबी को बेहद करीब से देखा है, इसलिए मैं गरीबों की परेशानियों को जानता हूं और नहीं चाहता कि देश में कोई गरीब रहे।

यूपी में अब पूर्वांचल की सीटें बची हैं, जहां रोजगार सबसे बड़ा मसला है। यहां विकास के किन मुद्दों को आप प्राथमिकता पर रखते हैं?

एक दौर था जब पूर्वांचल विकास के मामले में पिछड़ा हुआ था, लेकिन अब वह उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर-पूर्वी भारत के विकास का इंजन बनने की ओर अग्रसर है। पूर्वांचल में विकास की कई योजनाएं चल रही हैं। सड़क निर्माण का कार्य तेज गति से चल रहा है, दो एक्सप्रेस वे भी शुरू किए गए हैं। वाराणसी समेत पूर्वांचल के कई जिलों में बुनकरों की अच्छी खासी संख्या है। बुनकरों को आधुनिक प्रशिक्षण मिले, उत्पादों के लिए मार्केट मिल सके, इसके लिए हमने खास ट्रेनिंग सेंटर और व्यापार केंद्र बनाए हैं। 

पूर्वांचल में शहरी विकास पर ज्यादा बल दिया जा रहा है। वाराणसी, गोरखपुर ही नहीं अन्य शहरों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के प्रोजेक्ट जोर-शोर से चलाए जा रहे हैं। आपने रोजगार की बात की, पूर्वांचल में ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जा रहा है, ताकि वहां नए-नए उद्योग स्थापित हो सकें, फैक्ट्रियां लगें। जाहिर है कि जब नए उद्योग स्थापित होंगे तो रोजगार के अवसर भी बनेंगे। 

पूर्वांचल के लोगों में हुनर है, अपने बलबूते बिजनेस करने का माद्दा है। उन्हें प्रोत्साहित किया जा रहा है और सरकार की मुद्रा योजना, स्किल इंडिया जैसी योजनाओं के जरिए आत्मनिर्भर बनाने का काम किया जा रहा है। इसके अलावा प्रदेश की योगी सरकार भी बहुत सारे काम कर रही है।

मायावती को प्रधानमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा है, अखिलेश यादव कह रहे हैं कि इस बार भी प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश से होगा, क्या सपा-बसपा को यूपी में इतनी बड़ी सफलता मिलेगी?

लोकतंत्र में सबको प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देखने का हक है। अब तो बस कुछ दिनों की बात है। तब तक तो उन्हें प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देख लेने दीजिए। इस बार के चुनाव में लोगों ने ये भी देखा कि जो पार्टियां 20-30 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही हैं, वो भी प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देख रही हैं। 

अभी आपने महामिलावटी लोगों का एक फॉर्मूला अवश्य देखा होगा। उन्होंने पांच साल पांच प्रधानमंत्री का फॉर्मूला दे दिया है। मैं इस बात से भी हैरान नहीं होऊंगा, अगर वे 1-2 दिन बाद हर महीने एक नया प्रधानमंत्री बनाने का फॉर्मूला लेकर आ जाएं।

सपा-बसपा का कहना है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने उनके गठबंधन में शामिल नहीं होकर भाजपा की मदद की है, यही आरोप आम आदमी पार्टी दिल्ली के बारे में कांग्रेस पर लगाती है। इस हिसाब से तो भाजपा को कांग्रेस का शुक्रिया अदा करना चाहिए?

ये तो वही बात हो गई कि दो टीमें क्रिकेट मैच खेलने उतरीं। एक टीम हार गई तो वो ये आरोप लगाने लगी कि हमें तो फुटबॉल का मैच खेलना था। हम फुटबॉल में हरा देते। और जब वो टीम फुटबॉल में हारने लग जाए तो फिर ये कहने लगे कि हमें तो हॉकी खेलनी थी। हम हॉकी में हरा देते। दरअसल कांग्रेस हो, सपा-बसपा हो या कोई और, ये सब सिर्फ अलग-अलग चुनाव लड़ने का दिखावा कर रहे हैं। लोगों को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि ये सभी महामिलावटी लोग हैं। 

कांग्रेस ने साफ कह दिया है कि उत्तर प्रदेश में वो वोट कटवा पार्टी है। अब आप ही बताइए कि कांग्रेस किसके वोट काटने का दावा कर रही है और किसकी मदद कर रही है? जहां तक दिल्ली की बात है, तो पूरे देश ने देखा है कि नामांकन के एक दिन पहले तक दोनों पार्टियां भाजपा के खिलाफ गठबंधन करने में लगी रहीं, लेकिन व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के चलते बात नहीं बन पाई। दिल्ली के लोग इस चुनाव में इन दोनों दलों को सबक जरूर सिखाएंगे।

क्या उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भाजपा को नुकसान की आशंका है, इसलिए भाजपा ने पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर और ओडिशा पर ज्यादा ध्यान दिया?

इन चारों ही राज्यों में भारतीय जनता पार्टी 2014 से भी बेहतर परिणाम लाएगी। भाजपा देश के कोने-कोने में बड़ी जीत की ओर बढ़ चली है। पार्टी का यह प्रयास है कि हम देशभर में अच्छा प्रदर्शन करें, हर हिस्से में विस्तार हो। यही नहीं, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के लोग अब बदलाव चाहते हैं। वे वोट की नहीं बल्कि विकास की राजनीति से जुड़ना चाहते हैं। इसके लिए वे भाजपा की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं।

हाल ही में पाकिस्तान की ओर से नियंत्रण रेखा पर सैन्य तनाव घटाने का अनुरोध किया गया, पड़ोसी को अचानक इसका एहसास कैसे हुआ?

पाकिस्तान को यह बात शायद समझ में आ गई है कि अब अगर उसने आतंक का सहारा लेना नहीं छोड़ा तो पूरी दुनिया उसे सहारा देना छोड़ देगी। अब अगर उसने खुद को नहीं बदला, आतंक की फैक्ट्रियों को बंद नहीं किया, तो उसे इसका परिणाम भी भुगतना पड़ेगा।

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