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शुक्रवार, 3 मई 2019

भाजपा और उत्तर प्रदेश में गठबंधन के साथ इस अन्याय में कोई छलांग नहीं है

उत्तर प्रदेश में भाजपा और गठबंधन के पास इस भितरघात का कोई तोड़ नहीं


Pm modi and Mayawati
Pm modi and Mayawati 
भाजपा और समाजवादी पार्टी, बसपा तीनों दलों के पास लोकसभा चुनाव 2019 में खड़ी हुई कुछ व्यवहारिक समस्याओं का कोई तोड़ नहीं है। भितरघात को लेकर भी भाजपा और समाजवादी पार्टी दोनों की परेशानी बड़ी है, वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती की टीम को एक अनजाना सा भय खाए जा रहा है। पूरे उत्तर प्रदेश में यह खबर खूब तेजी से फैल रही है कि मायावती चुनाव होने के बाद केंद्र में भाजपा की सरकार को समर्थन दे देंगी। बसपा के नेता और प्रवक्ता सुधीन्द्र भदौरिया का कहना है कि यह एक भ्रामक खबर है और इस अफवाह को विरोधी फैला रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मतदान के दौरान भी यह चर्चा बहुत तेजी से चली थी। बसपा के एक उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री ने फोन पर स्वीकार किया कि इससे बसपा के प्रत्याशी को नुकसान हो सकता है। हालांकि सूत्र का कहना है कि गठबंधन के उम्मीदवार सभी सीटों पर मजबूती से लड़े हैं और इसके कारण भाजपा का आत्म विश्वास डोल रहा है।

भाजपा कैसे बताए?

बनारस से निर्दल उम्मीदवार से गठबंधन के उम्मीदवार बने तेज बहादुर यादव का पर्चा खारिज होने के बाद भाजपा के नेताओं ने राहत की सांस ली है। लेकिन एक नई मुसीबत खड़ी हो गई है। बनारस के गांव-गांव और शहर में लोग इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मशीनरी को जिम्मेदार ठहराकर इसे डर्टी ट्रिक्स करार दे रहे हैं। भाजपा नेताओं के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि वह कैसे लोगों को समझाएं कि निर्वाचन अधिकारी ने तकनीकी आधार तेजबहादुर का नामांकन रद्द किया है। हालांकि भाजपा के नेता मानकर चल रहे हैं प्रधानमंत्री के विरोध में खड़े सभी प्रत्याशी की जमानत जब्त हो जाएगी।

अब आइए भितरघात पर

भाजपा ने दर्जन भर से अधिक सीटों पर अपना प्रत्याशी बदला है। सपा या बसपा गठबंधन ने भी समझौते के अनुसार नया प्रत्याशी उतारा है। मसलन जौनपुर की संसदीय सीट से गठबंधन ने श्यामलाल यादव को टिकट दिया है। यह सीट बसपा के कोटे से है। यहां से समाजवादी पार्टी के टिकट पारस नाथ यादव सांसद, एमएलए और राज्य सरकार में मंत्री रह चुके हैं। पारस नाथ यादव नब्बे के दशक से विधायी राजनीति कर रहे हैं और उनका अपना जनाधार भी है। श्यामलाल यादव मडियाहूं क्षेत्र से हैं। ऐसे में जौनपुर से समाजवादी पार्टी और बसपा के नेताओं को श्याम लाल के रास्ते में पारस नाथ के समर्थक बड़ा रोड़ा नजर आ रहे हैं। शिवपाल सिंह यादव की पार्टी से संगीता यादव प्रत्याशी हैं। संगीता भी श्यालाल यादव को नुकसान पहुंचा रही है।

भाजपा ने जौनपुर से अपने सांसद केपी सिंह को दोबारा मैदान में उतारा है। भाजपा के बड़े नेता रहे उमानाथ सिंह के पुत्र केपी सिंह को इस बार चित करने में कुछ भाजपा नेता और ठाकुर बिरादरी के एक अन्य नेताजी भी लगे हैं। बताते हैं इन लोगों को लग रहा है कि केपी सिंह के दोबारा सांसद बनते ही उनका जौनपुर की लोकसभा सीट पर दबदबा बन जाएगा। जौनपुर में राजनीति पर पकड़ रखने वाले विनय सिंह सरीखे नेताओं का कहना है कि ऐसी स्थिति में कांग्रेस के उम्मीदवार को लाभ होने की संभावना दिखाई दे रही है। हालांकि मुख्य मुकाबला भाजपा और गठबंधन में ही है लेकिन दोनों तरफ भितरघात के कारण कांग्रेस को लाभ मिल रहा है।

बलिया में भरत सिंह की जगह भारतीय किसान मोर्चा के अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह मस्त को भाजपा ने मैदान में उतारा है। मस्त भदोही से सांसद थे। उनकी इस बार सीट बदल दी गई है। यहां से भाजपा ने रमेश बिन्द को टिकट दिया है। बिन्द का जनेऊधारी ब्राह्मणों पीटने का पुराना बयान अभी भी भाजपा के गले की आफत बना है।

आजमगढ़ में अखिलेश

सामजावादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव आजमगढ़ की सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। यह सीट उनके पिता मुलायम सिंह यादव की थी। यहां से भाजपा ने भोजपुरी गायक दिनेश लाल यादव (निरहुआ) को टिकट दे दिया है। निरहुआ के प्रचार में भीड़ खूब निकल रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर अखिलेश की स्थिति काफी मजबूत है। बताते हैं शिवपाल सिंह यादव आजमगढ़ में भतीजे अखिलेश को चुनाव हारते हुए देखना चाहते हैं। आजमगढ़ वैसे भी यादव बाहुल क्षेत्र है, लिहाजे सबकी निगाहें टिकी हैं।

गोरखपुर में आसान नहीं होगी जंग

गोरखपुर संसदीय सीट दशकों तक गोरखनाथ मंदिर की सीट रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनसे पहले महंत अवैद्यनाथ का यहां दबदबा रहा है, लेकिन इस बार भाजपा ने भोजपुरी अभिनेता रवि किशन को मैदान में उतारा है। गोरखपुर में ब्राह्मण बनाम ठाकुर चलता है। यहां से युवा हिन्दू वाहिनी के नेता भी सक्रिय हैं। रवि किशन शुक्ला है। योगी आदित्यनाथ इस बार रविकिशन को जिताना चाहते हैं, लेकिन रास्ता आसान नहीं है। संतकबीरनगर में भाजपा ने निषाद पार्टी का विलय कराने के बाद प्रवीण निषाद को वहां से टिकट दिया है, लेकिन प्रवीण निषाद की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। यही स्थिति गाजीपुर संसदीय सीट से केन्द्रीय मंत्री मनोज सिन्हा का है। बताते हैं सुहेलदेव पार्टी ओम प्रकाश राजभर समेत अन्य ने सिन्हा की मुसीबत बढ़ा रखी है।

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