केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों की नाराजगी बन सकती है दिल्ली में भाजपा की परेशानी

जानकारी के मुताबिक, इन फ्लैटों में 810 सरकारी कर्मचारियों के परिवार इनमें रहते हैं जिसमें कुल पांच हजार से अधिक लोग रह रहे हैं। अगर विभागीय आदेश वापस नहीं लिया जाता है तो इससे इन परिवारों पर असर पड़ना तय है।
नई दिल्ली सीट के लिए बना बड़ा मुद्दा
राजधानी की नई दिल्ली सीट पर सबसे ज्यादा वोट बैंक सरकारी कर्मचारियों का ही है। विभिन्न विभागों के कर्मचारी यहां पर बने सरकारी फ्लैटों में रहते हैं। ज्यादातर कर्मचारी यहां पर वोटर भी बन गए हैं। यही कारण है कि अब नई दिल्ली सीट पर यह एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है। सीपीडब्ल्यूडी और एआईआर कर्मचारियों के एक प्रतिनिधि मंडल ने इस मुद्दे पर कांग्रेस उम्मीदवार अजय माकन से मुलाकात की और उनसे इस मुद्दे पर उनका समर्थन मांगा। अजय माकन ने कर्मचारियों को इस बात का वायदा किया है कि अगर केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनती है तो वे कर्मचारिय़ों की नौकरी और आवास की रक्षा करेंगे।
बीएसएनएल कर्मचारियों की छंटनी भी बना अहम मुद्दा
नई दिल्ली सीट पर बीएसएनएल के कर्मचारी भी बड़ी संख्या में रहते हैं। इन कर्मचारियों को बीएसएनएल के घाटे में होने का हवाला देकर उनसे वीआरएस लेने को कहा जा रहा है। कर्मचारियों का आरोप है कि इस मामले में उनकी वीआरएस लेने की उम्र भी पचास तक कम कर दी गई है। इसके अलावा रिटायरमेंट की उम्र 60 साल से घटाकर 58 कर दी गई है। इससे उन लोगों के ऊपर संकट खड़ा हो गया है। एक कर्मचारियों के संगठन के एक प्रतिनिधि राकेश श्रीवास्तव के मुताबिक उन्हें चार महीने बाद अब एक महीने का वेतन दिया गया है। ऐसे में परिवारों का रहना मुश्किल हो गया है जबकि सरकार किसी भी कीमत पर इन विभागों का प्राइवेटाइजेशन करने पर तुली है। उन्होंने कहा कि सभी सरकारी कर्मचारी इस चुनाव में सरकार के खिलाफ मतदान करेंगे।
वहीं, कांग्रेस प्रतिनिधि अजय माकन ने बीएसएनएल के प्राइवेट हाथों में जाने से रोकने की बात कही है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस की सरकार बनने पर पीएसयू को बचाने की कोशिश की जाएगी जो अभी तक हमारी अर्थव्यवस्था में अपना योगदान देते आए हैं।