आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणाम 2019: इस बार टीडीपी का सत्ता पाना क्यों है मुश्किल

वहीं अगर 2019 के शुरुआती नतीजों की बात करें तो टीडीपी इस बार 25 सीट से आगे है। वहीं वाईएसआर कांग्रेस 121 सीट से आगे है।
2014 के आंकड़े-
पार्टी का नाम सीटों की संख्या
कौन सी हैं मुख्य पार्टियां?
राज्य में सबसे बड़ी पार्टी टीडीपी है। जिसकी वर्तमान में राज्य में सरकार है। इस पार्टी (Telugu Desam Party) के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू राज्य के मुख्यमंत्री हैं। यहां मुख्य विपक्षी पार्टी जगन मोहन रेड्डी की वीईएसआर कांग्रेस है। इसके अलावा तेलुगु फिल्मों के अभिनेता पवन कल्याण की जनता सेना पार्टी (जेएसपी) भी इस बार मजबूत स्थिति में दिख रही है। ये पार्टी राज्य में सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकती है। राज्य में भाजपा और कांग्रेस ने भी सरकार बनाने के लिए भरपूर कोशिश की है। लेकिन लोगों का झुकाव स्थानीय पार्टियों की ओर अधिक रहता है।
2014 के राजनीतिक समीकरण?
आंध्र प्रदेश में इस बार स्थिति पिछले चुनाव से काफी अलग है। 2014 में टीजडीपी और भाजपा के गठबंध की सरकार थी। इस गठबंधन को जेएसपी ने भी पूरा समर्थन दिया था। हालांकि उस वक्त जेएसपी ने किसी सीट पर अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे। इस बार ये पार्टी किसी को भी नुकसान पहुंचा सकती है।क्या अलग है 2019 में?
इस बार टीडीपी और भाजपा राजनीतिक संबंध तोड़कर मैदान में उतरी हैं। यानि इनका गठबंधन नहीं है। जेएसपी- बसपा, सीपीआई और सीपीएम के साथ गठबंधन करके पहली बार चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस भी यहां अकेले ही चुनाव लड़ रही है। वाईएसआर कांग्रेस की स्थिति पहले से काफी मजबूत हुई है। पार्टी के प्रमुख जगन मोहन रेड्डी ने जनता के लिए 'प्रजा दरबार' जैसी नई शुरुआत की। जहां उन्होंने किसानों, छात्रों और ग्रामीणों की परेशानियों को सुना।
वहीं रेड्डी का ये भी कहना है कि अगर उनकी विशेष राज्य के दर्जे वाली बात मान ली गई, तो उनकी पार्टी भाजपा के साथ गठबंधन कर सकती है।

कैसे कमजोर है टीडीपी?
टीडीपी ने राज्य में किसानों के लिए बहुत सी योजनाएं शुरू कीं लेकिन बावजूद इसके राज्य के किसान खुश नहीं हैं। यहां स्कूल तो हैं लेकिन उनमें भी कई तरह की परेशानियां हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शिक्षकों की ड्यूटी कई तरह के सर्वे में लगा दी जाती है।जिसके कारण छात्रों को शैक्षणिक वर्ष में 30-40 दिनों का नुकसान होता है। शिक्षकों की इन ड्यूटी के चलते उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है। इसके अलावा नायडू (Chandrababu Naidu) के रहते हुए राज्य को विशेष दर्जा नहीं मिल पाया है, जिसका असर इस बार उनकी सीटों पर पड़ सकता है। वहीं राजधानी अमरावती में अस्थायी विधानसभा और सचिवालय के अलावा किसी और चीज का निर्माण नहीं हुआ है। कई विकास योजनाएं फंड की कमी के कारण अटकी हुई हैं।
क्यों मजबूत है टीडीपी?
राज्य में टीडीपी की सरकार ने पेंशन की व्यवस्था शुरू की, किसानों का कर्ज माफ किया, किसानों को नकद सब्सिडी दी गई, साथ ही बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने की व्यवस्था भी शुरू की गई। जिसके चलते टीडीपी थोड़ी मजबूत दिखाई देती है।
क्यों जरूरी है विशेष राज्य का दर्जा?
आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जे की मांग ना केवल वहां की जनता बल्कि राजनीतिक पार्टियां भी करती आ रही हैं। चाहे फिर 2014 में भाजपा और टीडीपी का गठबंधन हो या फिर 2019 में रेड्डी द्वारा गठबंधन की बात करना। दोनों ही पार्टियों की गठबंधन के लिए मुख्य शर्त राज्य के लिए विशेष दर्जे की मांग ही रही है।इन पार्टियों का कहना है कि अगर आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाता है, तो इससे उन्हें केंद्र की ओर से अधिक फंड मिलेगा। जिसका इस्तेमाल राजधानी के विकास के अलावा अन्य विकास योजनाओं में भी किया जा सकेगा।