Bharat Rajneeti- Hariyana ग्राउंड रिपोर्ट: चुनाव को Modi-Rahul पर ले जाने का भरसक प्रयास, मगर सोशल इंजीनियरिंग हावी...
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Bharat Rajneeeti:- लोकसभा चुनाव का जो अन्दाज आपको देश के दूसरे हिस्सों में देखने को मिल रहा है, हरियाणा में जुदा है। प्रदेश में कांग्रेस-भाजपा के नेता इस चुनाव को राहुल-मोदी पर ले जाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं, मगर यह चुनाव सोशल इंजीनियरिंग से बाहर नहीं निकल पा रहा है। मतदान में पाँच दिन शेष बचे हैं, अब राष्ट्रीय नेताओं के रोड शो या रैलियों का सिलसिला शुरू हुआ है। मंगलवार को प्रियंका गांधी ने प्रदेश का तूफ़ानी दौरा किया है। उन्होंने अपनी शैली में लोगों को यह संदेश देने का प्रयास किया है कि आपको मोदी और राहुल में से एक चुनना है। उन्होंने इतना भी कह दिया कि मैं मोदी को चुनौती देती हूँ कि वे विकास, रोजगार, महिला, किसान और आर्थिक मुद्दों पर चुनाव लड़ कर दिखाएं।प्रदेश में आप किसी भी जिले का दौरा करें, वहाँ पार्टी स्तर पर तो राहुल-मोदी सुनाई देगा, लेकिन आम वोटर का मन टटोलेंगे तो सोशल इंजीनियरिंग को सामने पाएँगे। हक़ीकत यही है कि हरियाणा में लोकसभा चुनाव किन्हीं मुद्दों पर लड़े जाने की बजाए, पूरी तरह से जातिवाद की ओर मुड़ चुका है।हरियाणा की राजनीति के जाने-माने विश्लेषक और ‘पॉलिटिक्स ऑफ चौधर’ पुस्तक के लेखक डॉ. सतीश त्यागी का कहना है, पार्टी समर्थकों के बीच ही राहुल-मोदी है, बाकी तो जाट और ग़ैर-जाट में ही पूरा चुनाव बँटता दिख रहा है। विकास पर बात नहीं हो रही है। लोगों के बीच रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और खेती किसानी की समस्या जैसी कोई चर्चा नहीं है। केवल बड़े नेताओं की जनसभा में ये मुद्दे गूँजते हैं।भाजपा समर्थक कहते हैं कि मोदी जी कभी झूठ नहीं बोलते। वे जो कहते हैं, कर दिखाते हैं। अब कोई भूले से यह पूछ बैठे कि क्या कर दिया है तो तपाक से जवाब मिलता है, बालाकोट की सर्जिकल स्ट्राइक भूल गए क्या।मोदी जी ने अंदर घुस कर मारा है। आम लोगों से बात करते हैं तो वे बोलते हैं, अरे राष्ट्रवाद को क्या ख़तरा है।कोई ख़तरा नहीं है। अब दूसरे पाले यानी कांग्रेस में चलते हैं, पार्टी समर्थक बोलते हैं, राहुल जी ‘न्याय’ करेंगे।अंबाला की रैली में प्रियंका गांधी ने चुनाव को मोदी-राहुल बनाने के लिए कहा, आपके खाते में 15 लाख आ गए! कहीं आपकी बात सुनी जा रही है। किसानों को फ़सलों का पूरा दाम मिल रहा है, नौकरियाँ मिल रही हैं, जैसे सवालों की झड़ी लगा देती हैं।वे 72 हज़ार की बात भी करती हैं और साथ ही 22 लाख नौकरी देने की बात कहती हैं।
जानिए प्रदेश की सोशल इंजीनियरिंग को ...
बता दें कि प्रदेश में 2014 से पहले भूपेन्द्र सिंह हुड्डा सीएम रहे हैं।इनसे पहले ओमप्रकाश चौटाला और उनसे पहले बंसीलाल मुख्यमंत्री बने थे। ये तीनों जाट जाति से रहे हैं।भाजपा के बाग़ी सांसद राजकुमार सैनी, जिन्होंने लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी का गठन किया है और वे सभी सीटों पर चुनाव भी लड़ रहे हैं, का आरोप है कि इन मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में केवल एक जाति विशेष के लोगों को नौकरी मिली है। बाक़ी कई जातियों को दबाया गया है।
इसके बाद 2016 में इन्हीं दबी-कुचली जातियों को ‘आरक्षण की आग’ के नाम पर निशाना बनाया गया। उन्होंने सवाल किया, क्या आपको लगता है कि अब चुनाव में राहुल-मोदी जैसा कोई मुद्दा होगा। यह चुनाव सोशल इंजीनियरिंग पर जा चुका है।
डॉ. त्यागी के मुताबिक, यही पार्टियाँ जो अब राहुल-मोदी कर रही हैं, इन्होंने ही चुनाव को जाट-ग़ैर जाट में बाँट दिया हैं। भाजपा को यह सोशल इंजीनियरिंग रास आ रही है। पहले गाँव में भाजपा को कोई नहीं पूछता था, लेकिन आरक्षण के दंगों के बाद इस पार्टी ने अपनी जगह बना ली है।एक तरह से देखें तो भाजपा को ग़ैर- जाटों का भारी समर्थन मिल रहा है, इसमें कोई शक नहीं। केवल मंच पर राहुल-मोदी सुनाई देगा, उसके नीचे जातिवाद ही हावी रहता है।
प्रत्याशी क्या बोलते हैं....इनकी भी सुनिए
'नहीं-नहीं ये ठीक नहीं है। कांग्रेस पार्टी तो हमेशा मुद्दों पर चुनाव लड़ती है।' ये कहना है रोहतक सीट से कांग्रेस उम्मीदवार दीपेन्द्र हुड्डा का। वे दावा करते हैं कि हम जातिवाद या धर्म की राजनीति नहीं करते।कांग्रेस पार्टी मुद्दों पर बात करती है। राहुल गांधी ने मोदी जी से कहा है कि वे दस मिनट मुद्दों पर बात करें। हुड्डा कहते हैं कि हमें सभी वर्गों से समर्थन मिल रहा है। हालाँकि राजनीति के जानकार बताते हैं, यह सोशल इंजीनियरिंग का ही असर है कि इस बार हुड्डा को अपनी परम्परागत सीट बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
प्रियंका गांधी का रोड शो तो यही कहता है। दूसरी ओर, भाजपा प्रत्याशी डॉ. अरविंद शर्मा हैं, ये कहते हैं, वोटर मोदी जी को जानते हैं।मोदी जी ने जो कुछ कहा, वह कर दिखाया है। भाजपा कभी जाति पर वोट नहीं माँगती, हम मुद्दों पर बात करते हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि कांग्रेस पार्टी और इसके नेता जाति की राजनीति करते रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता एसएन वर्मा बताते हैं कि सोशल इंजीनियरिंग में ग़ैर-जाट वोटर भाजपा को समर्थन देने का मन बना चुका है। अब जैसे जैसे मतदान की तिथि निकट आ रही है, जाट समुदाय और दूसरे वर्गों में यह मैसेज चल पड़ा है कि वोट न बँटने दें और न ख़राब होने दें। इससे छोटी पार्टियाँ जैसे आईएनएलडी, जजपा और लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी को नुक़सान पहुँच सकता है।