पांच चरण के बाद तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट तेज: विजयन से मिले केसी राव, Mayawati ने भी किया इशारा

Third Front - फोटो : Bharat Rajneeti
Bharat Rajneeti: पांच चरणों के चुनाव के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों एक-दूसरे को चारों खाने चित करने का दावा कर रही है। वहीं, दूसरी ओर एक बार फिर तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट देखने को मिल रही है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री टीआरएस नेता के चंद्रशेखर राव और केरल के मुख्यमंत्री माकपा नेता पिनरई विजयन की बीती रात की मुलाकात को इसी नजरिए से देखा जाने लगा है। बताया जा रहा है कि तिरुवनंतपुरम के बाद राव चेन्नई में डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन से भी बात करने वाले हैं। इधर, कांग्रेस से अलग रहते हुए उत्तर प्रदेश में मायावती और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी अलग ताल ठोंक रही है। सोमवार की रात राव ने तिरुवनंतपुरम में केरल के मुख्यमंत्री और माकपा नेता पिनरई विजयन के घर डिनर किया और ताजा राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा की। सूत्र बताते हैं कि गैर-भाजपा और गैर-कांग्रेस नेता से केसीआर की मुलाकात के दौरान देश में गैर-भाजपा और गैर-कांग्रेस सरकार के गठन को लेकर भी बातें हुई है।
उत्तर भारत में 'रण' बाकी, दक्षिण भारत में रण'नीति'
पांच चरण के चुनाव के बाद देश की 425 लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुका है। आने वाले दो चरणों में बाकी 118 सीटों पर मतदान होना है। छठे और सातवें चरण में उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल समेत क्रमश: सात और आठ राज्यों में चुनाव होना शेष है। वहीं दूसरी ओर दक्षिण भारत में मतदान पूरे हो चुके हैं और 23 मई से पहले वहां के राजनीतिक दल सरकार गठन को लेकर रणनीति बनाने में लगे हैं।
425 सीटों पर मतदान होने के बाद देश की दो सबसे बड़ी पार्टी भाजपा और कांग्रेस भले ही सामने से स्वीकार न करे, लेकिन दोनों ही दलों के नेताओं को कम से कम इतना तो आकलन हो ही चुका है कि स्थितियां पूरी तरह उनके पक्ष में नहीं है। कांग्रेस अपने आंतरिक सर्वे में भाजपा की बुरी हार बता देती है, तो भाजपा मंच से विपक्षी दलों बुरी तरह मात देने की हुंकार भरती नजर आती है। वहीं, इन दोनों से दूरी बनाए रखने वाली पार्टियां अपने मिशन में लग चुकी हैं।
उत्तर भारत में 'रण' बाकी, दक्षिण भारत में रण'नीति'
पांच चरण के चुनाव के बाद देश की 425 लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुका है। आने वाले दो चरणों में बाकी 118 सीटों पर मतदान होना है। छठे और सातवें चरण में उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल समेत क्रमश: सात और आठ राज्यों में चुनाव होना शेष है। वहीं दूसरी ओर दक्षिण भारत में मतदान पूरे हो चुके हैं और 23 मई से पहले वहां के राजनीतिक दल सरकार गठन को लेकर रणनीति बनाने में लगे हैं।
425 सीटों पर मतदान होने के बाद देश की दो सबसे बड़ी पार्टी भाजपा और कांग्रेस भले ही सामने से स्वीकार न करे, लेकिन दोनों ही दलों के नेताओं को कम से कम इतना तो आकलन हो ही चुका है कि स्थितियां पूरी तरह उनके पक्ष में नहीं है। कांग्रेस अपने आंतरिक सर्वे में भाजपा की बुरी हार बता देती है, तो भाजपा मंच से विपक्षी दलों बुरी तरह मात देने की हुंकार भरती नजर आती है। वहीं, इन दोनों से दूरी बनाए रखने वाली पार्टियां अपने मिशन में लग चुकी हैं।
मायावती का इशारा, सुब्रमण्यम के संकेत और अखिलेश का समर्थन
बसपा प्रमुख मायावती ने संकेत दिया है कि अगर उन्हें प्रधानमंत्री बनने का मौका मिलता है, तो वह अंबेडकरनगर से लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मायावती ने कहा कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो मुझे यहां से चुनाव लड़ना पड़ सकता है क्योंकि राष्ट्रीय राजनीति की राह अंबेडकर नगर से होकर गुजरती है।
यह पहली बार है कि मायावती ने प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी आकांक्षाओं के बारे में स्पष्ट संकेत दिए हैं, हालांकि उनके सहयोगी, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने बार-बार कहा है कि वह मायावती का प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन करेंगे। मायावती चार बार 1989, 1998, 1999 और 2004 में अंबेडकर नगर से लोकसभा चुनाव जीत चुकी हैं।
यह भी पढ़ें: मायावती का पीएम पद की दावेदार होने का बड़ा संकेत— 'अगर सब कुछ ठीक रहा, तो मैं...'
कुछ दिन पूर्व भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी संकेत दिया था कि यदि भाजपा 220-230 सीटें या उससे कम सीटें लाती है, तो हो सकता है कि नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री न बनें। ऐसे में उन्होंने समर्थन करने वाली बड़ी पार्टी की बात रखने के भी संकेत दिए थे। हफपोस्ट को दिए गए इंटरव्यू में मायावती के सवाल पर उन्होंने कहा था कि बसपा एनडीए में शामिल होती है तो हो सकती है और अगर वो नेतृत्व में बदलाव चाहती हैं तो मुझे इस पर कोई आपत्ति नहीं है।
यह भी पढ़ें: भाजपा 220-230 सीटें जीती, तो हो सकता है नरेंद्र मोदी पीएम न बनें: सुब्रमण्यम स्वामी
इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि 23 मई को रिजल्ट आने के बाद सरकार बनाने में 123 लोकसभा सीटों वालो दक्षिण भारत के पांच राज्यों की भूमिका बहुत मायने रखती है।
यह पहली बार है कि मायावती ने प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी आकांक्षाओं के बारे में स्पष्ट संकेत दिए हैं, हालांकि उनके सहयोगी, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने बार-बार कहा है कि वह मायावती का प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन करेंगे। मायावती चार बार 1989, 1998, 1999 और 2004 में अंबेडकर नगर से लोकसभा चुनाव जीत चुकी हैं।
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कुछ दिन पूर्व भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी संकेत दिया था कि यदि भाजपा 220-230 सीटें या उससे कम सीटें लाती है, तो हो सकता है कि नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री न बनें। ऐसे में उन्होंने समर्थन करने वाली बड़ी पार्टी की बात रखने के भी संकेत दिए थे। हफपोस्ट को दिए गए इंटरव्यू में मायावती के सवाल पर उन्होंने कहा था कि बसपा एनडीए में शामिल होती है तो हो सकती है और अगर वो नेतृत्व में बदलाव चाहती हैं तो मुझे इस पर कोई आपत्ति नहीं है।
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इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि 23 मई को रिजल्ट आने के बाद सरकार बनाने में 123 लोकसभा सीटों वालो दक्षिण भारत के पांच राज्यों की भूमिका बहुत मायने रखती है।