इस दौरान केंद्रीय मंत्रिमंडल में लाल कृष्ण आडवाणी (गृह), जसवंत सिंह (विदेश), यशवंत सिन्हा (वित्त), मुरली मनोहर जोशी (मानव संसाधन विकास), शांता कुमार (उपभोक्ता मामलों), प्रमोद महाजन (दूरसंचार विभाग), सुषमा स्वराज (स्वास्थ्य), एम. वैंकेया नायडू (ग्रामीण विकास), राजनाथ सिंह (कृषि), अरुण जेटली (कानून) और उमा भारती (पेयजल और स्वच्छता) को शामिल किया गया।
समता पार्टी (बाद में जेडी-यू में विलय हो गया) के प्रमुख जॉर्ज फर्नांडिस को रक्षा, नीतीश कुमार को रेलवे और शरद यादव को श्रम मंत्रालय सौंपा गया। शिवसेना के मनोहर लाल जोशी को लोकसभा का स्पीकर बनाया गया। तत्कालीन शिवसेवा नेता सुरेश प्रभु को ऊर्जा विभाग सौंपा गया। लोजपा के राम विलास पासवान को संचार विभाग और बीजेडी के नवीन पटनायक को खान विभाग सौंपा गया। वहीं डीएमके के मुरासोली मारन को वाणिज्य और उद्योग और टीआर बालू को पर्यावरण और वन विभाग सौंपा गया।
क्षेत्रों और समुदायों का प्रतिनिधित्व
मंत्रीमंडल में ऐसे सदस्यों को शामिल किया गया, जो किसी समुदाय या राज्य का प्रतिनिधित्व करते हों। वाजपेयी सरकार के दौरान खुद वाजपेयी ने उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। उनके अलावा मुरली मनोहर जोशी, राजनाथ सिंह, संतोष गंगवार, मेनका गांधी और कई अन्य ने भी उन्हीं के साथ उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया।
आडवाणी ने गुजरात, जसवंत सिंह ने राजस्थान, बिहार का प्रतिनिधित्व यशवंत सिन्हा, नीतीश कुमार, शत्रुघन सिन्हा, शहनवाज हुसैन, रवि शंकर प्रसाद, संजय पासवान, राजीव प्रताप, मध्यप्रदेश में सरकार का चेहरा बने सुंदरलाल पटवा, सत्यनारायण जतिया, उमा भारती, सुमित्रा महाजन और प्रहलाद पटेल। झारखंड में सरकार का चेहरा बने आदिवासी कारिया मुंडा और बाबूलाल मरांडी।
शिवसेना के नेताओं के अलावा महाराष्ट्र के प्रमुख नाम थे, राम नाइक, प्रमोद महाजन, बालासाहेब विखे पाटिल, अन्नासाहेब और वेद प्रकाश गोयल। हालांकि भाजपा के पास आंध्र प्रदेश से अधिक सासंद नहीं थे लेकिन उसके पास कई प्रतिनिधि थे, जैसे एम वैंकेया नायडू, बंगारू लक्ष्मण, बंडारू दत्तात्रेय और विद्यासागर राव।
भाजपा सांसद चमन लाल गुप्ता और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला जम्मू एवं कश्मीर से सांसद थे। वहीं अगर समुदाय की बात करें तो वाजपेयी, जोशी, सुषमा स्वराज, महाजन, जेटली ने ब्राहम्ण, जसवंत सिंह और राजनाथ सिंह ने राजपूत, आडवाणी ने सिंधी समुदाय का प्रतिनिधित्व किया।
दलितों का प्रतिनिधित्व पासवान, सत्यनारायण जटिया, कैलाश मेघवाल और संजय पासवान ने किया। भारतीय फेडरल डेमोक्रेटिक पार्टी के पी सी थॉमस ने केरल और ईसाई समुदाय दोनों का प्रतिनिधित्व किया। फर्नांडिस ने बिहार और ईसाई समुदाय का प्रतिनिधित्व किया।