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गुरुवार, 30 मई 2019

संतोष गंगवार हो सकते हैं प्रोटेम स्पीकर, जानें कौन बनता है और क्या है उसके अधिकार

संतोष गंगवार हो सकते हैं प्रोटेम स्पीकर, जानें कौन बनता है और क्या है उसके अधिकार


संतोष गंगवार (फाइल फोटो)
संतोष गंगवार (फाइल फोटो) - फोटो : bharat rajneeti
बरेली से आठवीं बार सांसद चुने गए संतोष कुमार गंगवार लोकसभा में प्रोटेम स्पीकर हो सकते हैं। यह पहली मोदी सरकार की केंद्रीय कैबिनेट में श्रम और रोजगार मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का कार्यभार संभाल चुके हैं। प्रोटेम स्पीकर नए सांसदों को शपथ दिलाता है। अमूमन सबसे वरिष्ठ सांसद को यह जिम्मेदारी सौंपी जाती है। उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने संतोश गंगवार को सोशल मीडिया पर प्रोटेम स्पीकर बनने की बधाई तक दे दी थी। हालांकि बाद में उन्होंने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया।

क्या होता है प्रोटेम स्पीकर
प्रोटेम स्पीकर उन्हें कहा जाता है, जो चुनाव के बाद पहले सत्र में स्थायी अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष का चुनाव होने तक संसद या विधानसभा का संचालन करते हैं। सरल शब्दों में कहें, तो कामचलाऊ और अस्थायी अध्यक्ष ही प्रोटेम स्पीकर हैं। लोकसभा अथवा विधानसभाओं में इनका चुनाव बेहद कम वक्तों के लिए होता है।

सामान्यतः सदन के वरिष्ठतम सदस्य को यह जिम्मेदारी सौंपी जाती है। लोकसभा अथवा विधानसभा चुनाव के ठीक बाद अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष के चुनाव से पहले अस्थायी तौर पर वे सदन के संचालन से संबंधित दायित्वों का निर्वहन करते हैं। प्रोटेम स्पीकर तब तक अपने पद पर बने रहते हैं, जब तक सदस्य स्थायी अध्यक्ष का चुनाव न कर लें।

हालांकि लोकसभा अथवा विधानसभाओं में प्रोटेम स्पीकर की जरूरत तब भी पड़ती है, जब सदन में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, दोनों का पद खाली हो जाता है। यह स्थिति तब पैदा हो सकती है, जब अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, दोनों की मृत्यु हो जाए अथवा वे अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दें।

संविधान में, हालांकि प्रोटेम स्पीकर की शक्तियां स्पष्ट तौर पर नहीं बताई गई हैं, लेकिन यह तय है कि उनके पास स्थायी अध्यक्ष की तरह शक्तियां नहीं होतीं।

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