लापरवाह हैं शिक्षा विभाग के अधिकारी, सामने आई ये सच्चाई, शासन ने मांगे थे प्रस्ताव Bharat Rajneeti
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : Bharat Rajneeti
हर बच्चे को शिक्षित करने और उनका भविष्य उज्ज्वल बनाने की जिम्मेदारी जिस माध्यमिक शिक्षा विभाग के कंधों पर है, उसी के अधिकारी लापरवाह हो गए हैं। कारण है समग्र शिक्षा अभियान के तहत राजकीय 28 हाईस्कूलों को उच्चीकृत कराने के मामले में सामने आई घोर उदासीनता। शासन ने उच्चीकृत होने वाले स्कूलों के प्रस्ताव दिसंबर 2018 में मांगे थे। लेकिन मेरठ से 28 में से एक भी स्कूल का प्रस्ताव नहीं गया। नतीजा, अब इन स्कूलों के भविष्य में केवल लंबा इंतजार रह गया है।
दरअसल, मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग में सर्व शिक्षा अभियान और माध्यमिक शिक्षा विभाग में राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (रमसा) शुरू किया गया था। लेकिन भाजपा सरकार आने के बाद इन दोनों को समायोजित कर समग्र शिक्षा अभियान बना दिया गया। अभियान के तहत वर्ष 2009-10 से अब तक के जो भी राजकीय स्कूल खोले गए थे, उनको उच्चीकृत करने की योजना के तहत शासन ने जनपदों से कुछ बिंदुओं पर प्रस्ताव तैयार कर भेजने को कहा था। शासन का यह आदेश दिसंबर 2018 में जारी हुआ था, जिसमें राजकीय हाईस्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या, उसके पास उपलब्ध जमीन और पांच किमी के दायरे में दूसरा इंटर कॉलेज न होने जैसे बिंदु शामिल थे।
नहीं खोला गया पत्र शासन के इस पत्र के आधार पर रिपोर्ट मार्च तक भेजनी थी। तमाम जनपदों ने अपने यहां की रिपोर्ट शासन को भेज दी। लेकिन मेरठ फिसड्डी रह गया। इस बीच आचार संहिता लागू होने से काम अटक गया। मेरठ के अधिकारी अब प्रस्ताव तैयार करने की बात कर रहे हैं। दूसरी ओर विभागीय सूत्रों की मानें तो प्रदेश शासन की प्रोजेक्ट एप्रूवल बोर्ड की बैठक से प्रस्ताव तैयार कर केंद्र सरकार के विभाग को भेज दिया गया है। ऐसे में मेरठ की कवायद अब सिर्फ समय बिताने की रह गई है।
मेरठ में है 28 स्कूल
मेरठ जनपद में 2009-10 से 2013-14 के बीच कुल 28 राजकीय विद्यालय खोले गए थे। इनमें से उच्चीकृत के प्रस्ताव भेजे जाने थे। इन स्कूलों में दो विद्यालय राजकीय हाईस्कूल तरबियतपुर जनूबी और राजकीय हाईस्कूल रठौडा खुर्द ऐसे हैं जो हर मानक पर खरे उतरते हैं। यदि इनका प्रस्ताव समय से भेज दिया गया होता तो यह स्कूल इसी सत्र में इंटरमीडिएट कक्षाएं संचालित कर सकते थे। लेकिन अधिकारियों की लापरवाही ने यहां के बच्चों के भविष्य को पलीता लगा दिया।
शीघ्र तैयार कर भेज रहे प्रस्ताव
हम योजना के तहत प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं। कहीं पर बच्चों की संख्या कम है तो कहीं पर जमीन कम है। शीघ्र ही प्रस्ताव तैयार कर भेजा जाएगा। एप्रूवल बोर्ड की बैठक हो चुकी है, इसकी मुझे जानकारी नहीं है। - गिरिजेश सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक
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