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शनिवार, 22 जून 2019

भ्रष्टाचार पर सरकार का प्रहार, केंद्र ने बैंकों से मांगी भ्रष्ट और नकारा कर्मियों की सूची

भ्रष्टाचार पर सरकार का प्रहार, केंद्र ने बैंकों से मांगी भ्रष्ट और नकारा कर्मियों की सूची

central government directs banks, PSUs to review employees for corruption, non-performance
राष्ट्रपति के संसद के संयुक्त सत्र में सुशासन लाने और जनहित में काम का दावा करने के ठीक एक दिन बाद शुक्रवार को सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े प्रहार की शुरुआत कर दी है। केंद्र सरकार ने देश के सभी बैंकों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और अन्य विभागों से भ्रष्ट और नकारा कर्मचारियों की सूची मांगी है।

केंद्र ने निर्देश दिए हैं कि सभी विभाग अपने कर्मचारियों के काम की समीक्षा करें और उन कर्मचारियों का ब्योरा तैयार करें जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं या जो काम से जी चुराते हैं।

कार्मिक मंत्रालय ने साथ ही निर्देश दिया कि कर्मचारियों के कामकाज की समीक्षा पूरे नियम और सत्यता के दायरे में हो और सुनिश्चित किया जाए कि जांच की आड़ में किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ जबरन सेवानिवृत्ति की कार्रवाई जैसी मनमानी न होने पाए। निर्देश में सभी मंत्रालयों और विभागों से अपने प्रशासनिक नियंत्रण में सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रम, बैंकों और स्वायत्त संस्थानों की समीक्षा कराने को कहा गया है।

हर महीने देनी होगी रिपोर्ट 

सभी सरकारी संस्थाओं को उनके यहां काम करने वाले कर्मी, भ्रष्टाचार में लिप्त, नकारा और उम्मीद के अनुकूल काम नहीं कर पा रहे कर्मचारियों का ब्योरा हर माह के पहले 15 दिनों के भीतर एक निर्धारित प्रारूप में उनके संबंधित मंत्रालयों के पास भेजना होगा। इस प्रक्रिया की शुरुआत 15 जुलाई से होगी। 

संविधान का सहारा लेकर होगी कार्रवाई  

सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त, नकारा और उम्मीदों पर खरा नहीं उतरने वाले कर्मचारियों को हटाने के लिए संविधान का सहारा लेगी। संविधान के मौलिक नियम 56 (जे), (आई) और केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1972 के नियम 48 के तहत ऐसी व्यवस्था है कि सरकार जनहित में ऐसे कर्मचारियों को सेवानिवृत्त कर सकती है जिनकी सत्यनिष्ठा पर संदेह हो और जिनका काम जनहित में प्रभावी नहीं है।  

27 आईआरएस अफसरों पर हाल ही में गिरी थी गाज 

केंद्र सरकार ने इस कानून का सहारा लेते हुए हाल ही में 15 आईआरएस के पर जनहित में गाज गिराई थी। इसी महीने की शुरुआत में आयकर विभाग के 12 आईआरएस अफसरों को भी इसी नियम के तहत हटाया गया था। 

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