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बुधवार, 12 जून 2019

J&K: राज्यपाल सत्यपाल मलिक बोले, परिसीमन एक संवैधानिक मामला, गृह मंत्रालय ने भी नहीं की है पुष्टि

J&K: राज्यपाल सत्यपाल मलिक बोले, परिसीमन एक संवैधानिक मामला, गृह मंत्रालय ने भी नहीं की है पुष्टि

जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल, सत्यपाल मलिक
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल, सत्यपाल मलिक 
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल, सत्यपाल मलिक ने बुधवार को कहा कि परिसीमन एक संवैधानिक मामला है। राज्य में परिसीमन होगा की नहीं इस बार में अभी तक गृह मंत्रालय ने भी इसकी पुष्टि नहीं की है। अभी ये केवल अफवाहें हैं।



Governor of Jammu & Kashmir, Satya Pal Malik: Delimitation (of constituencies) is a constitutional matter, even the Home Ministry has not confirmed it. Right now these are only rumours.
 

1995 में हुआ था परिसीमन

रियासत में आखिरी बार 1995 में परिसीमन हुआ था, जबकि राज्य के संविधान के मुताबिक हर 10 साल के बाद विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन किया जाना चाहिए। परिसीमन की जम्मू में लंबे समय से मांग चल रही है। यहां की पार्टियां कश्मीर में अधिक सीटें होने से नाराज हैं। इनका मानना है कि जम्मू को उसका हक नहीं मिला है। यहां विधानसभा की सीटें अधिक होनी चाहिए। 

सूबे में आखिरी बार 1995 में परिसीमन किया गया था, जब राज्यपाल जगमोहन के आदेश पर 87 सीटों का गठन किया गया। विधानसभा में कुल 111 सीटें हैं, लेकिन 24 सीटों को रिक्त रखा गया है। संविधान के सेक्शन 47 के मुताबिक इन 24 सीटों को पाक अधिकृत कश्मीर के लिए खाली छोड़ गया है। शेष 87 सीटों पर चुनाव होता है।

राज्य के संविधान के मुताबिक हर 10 साल के बाद निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन किया जाना चाहिए। यानी यहां सीटों का परिसीमन 2005 में किया जाना था, लेकिन फारूक अब्दुल्ला सरकार ने 2002 में इस पर 2026 तक के लिए रोक लगा दी थी। अब्दुल्ला सरकार ने जम्मू-कश्मीर जनप्रतिनिधित्व कानून 1957 और जम्मू-कश्मीर के संविधान में बदलाव करते हुए यह फैसला लिया था।

2011 की जनगणना

2011 की जनगणना के मुताबिक जम्मू संभाग की आबादी 5378538 है, जो राज्य की 42.89 फीसदी आबादी है। जम्मू संभाग 26200 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है यानी राज्य का 25.93 फीसदी क्षेत्र फल जम्मू संभाग के अंतर्गत आता है। यहां विधानसभा की कुल 37 सीटें हैं। कश्मीर  की आबादी 6888475 है, जो राज्य की आबादी का 54.93 फीसदी हिस्सा है। कश्मीर संभाग का क्षेत्रफल राज्य के क्षेत्रफल 15900 वर्ग किलोमीटर है, जो 15.73 प्रतिशत है। यहां से कुल 46 विधायक चुने जाते हैं। राज्य के 58.33 फीसदी क्षेत्रफ ल वाले लद्दाख संभाग में चार विधानसभा सीटें हैं।

सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार यहां इसलिए परिसीमन पर जोर दे रही है ताकि एससी और एसटी समुदाय के लिए सीटों के आरक्षण की नई व्यवस्था लागू की जा सके। घाटी की किसी भी सीट पर आरक्षण नहीं है, लेकिन यहां 11 फीसदी गुज्जर-बक्करवाल और गद्दी जनजाति समुदाय के लोगों की आबादी है। जम्मू संभाग में सात सीटें एससी के लिए आरक्षित हैं, जिनका रोटेशन नहीं हुआ है। ऐसे में नए सिरे से परिसीमन से सामाजिक समीकरणों पर प्रभाव पड़ने की संभावना है।

 

संसद में बिल लाना होगा

यदि केंद्र सरकार ने परिसीमन आयोग का गठन किया तो इसके लिए संसद में बिल लाना होगा। चूंकि, राज्य में राष्ट्रपति शासन है। इस वजह से इसे राज्य के संविधान के अनुसार यहां से मंजूरी मिल जाएगी। इसलिए लोगों को संसद सत्र का इंतजार है।

राजनीतिक असंतुलन होगा खत्म

राजनीतिक पार्टियों का मानना है कि नए सिरे से परिसीमन होने से राज्य में राजनीतिक असंतुलन खत्म होगा। कश्मीर का सत्ता में वर्चस्व समाप्त हो जाएगा। कश्मीर में 349 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर एक विधानसभा है, जबकि जम्मू में 710 वर्ग किलोमीटर पर। परिसीमन के लिए पांच चीजों को आधार बनाया जाता है जिसमें क्षेत्रफल, जनसंख्या, क्षेत्र की प्रकृति, कम्युनिकेशन सुविधा तथा इससे मिलता-जुलता अन्य कारण। पार्टियों का मानना है कि क्षेत्रफल अधिक होने के साथ ही क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति भी विषम है। कम्युनिकेशन सुविधाओं का अभाव है। ऐसे में सभी परिस्थितियां जम्मू संभाग के हक में हैं। 

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