यूपी में अकेले उपचुनाव लड़ेगी बसपा, गठबंधन के लिए अखिलेश यादव के सामने रखी शर्तें
बसपा सुप्रीमो मायावती - फोटो : bharat rajneeti
बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को आधिकारिक तौर पर समाजवादी पार्टी पर अपने यादव बेस वोट को भी न सहेज पाने की तोहमत मढ़ते हुए पांच महीने पुराने सपा-बसपा गठबंधन खत्म करने का एलान कर दिया। मायावती ने कहा है कि मौजूदा परिस्थितियों में बसपा विधानसभा उपचुनाव की सभी 11 सीटें अकेले लड़ेगी। अखिलेश यादव अगर आगे सपा को बसपा की तरह मिशनरी तरीके से खड़ा कर पाए तो फिर साथ-साथ आगे बढ़ेंगे।
मायावती ने नई दिल्ली में यूपी के लोकसभा चुनावों की सोमवार को समीक्षा की थी। मंगलवार को उन्होंने गठबंधन को लेकर वही सब बातें दुहराई जिसका मीडिया ने खुलासा किया था। मायावती ने कहा कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव से गैर सियासी रिश्ते कभी खत्म नहीं होंगे लेकिन राजनीतिक विवशताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
आखिर बुआ ने बबुआ को धोखा दे दी दिया : उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य
उन्होंने कहा कि सपा से गठबंधन बड़े लक्ष्य के साथ किया गया था लेकिन दु:ख की बात है कि इसमें कोई खास सफ लता नहीं मिल पाई। उन्होंने कहा कि सपा के लोगों में काफ ी सुधार लाने की जरूरत है। उन्हें बसपा के कैडर की तरह ही किसी भी हाल में तैयार करना चाहिए। बीजेपी की जातिवादी, सांप्रदायिक व जनविरोधी नीतियों से मुक्ति दिलाने के लिए काफी कठोर संघर्ष करते रहने की जरूरत है जिसका एक अच्छा मौका सपा के लोगों ने इस चुनाव में गवां दिया है।
मायावती ने कहा कि यदि आगे मुझे लगेगा कि सपा प्रमुख अपने राजनीतिक कार्यों को करने के साथ-साथ अपने लोगों को मिशनरी बनाने में कामयाब हो जाते हैं, तो फिर हम लोग जरूर आगे भी मिलकर साथ में चलेंगे। अर्थात, अभी हमारा कोई ‘ब्रेकअप’ नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि अगर वे किसी कारणवश इस काम में सफ ल नहीं हो पाते हैं, तो फि र हम लोगों का अकेले ही चलना ज़्यादा बेहतर होगा। इसीलिए वर्तमान स्थिति में बसपा ने उपचुनावों में अकेले ही यह चुनाव लड़ने का फैसला लिया है।
मायावती ने सपा से गठबंधन तोड़ने की ये वजहें गिनाईं
- इस लोकसभा चुनाव में सपा का यादव बेस वोट यादव बहुल सीटों पर भी सपा के साथ मजबूती के साथ नहीं रहा।
- अंदर-अंदर न जाने किस बात की नाराजगी थी कि यादव समाज ने भितरघात किया और यादव बहुल सीटों पर भी सपा के मजबूत उम्मीदवार भी हार गए।
- अन्य सीटों के साथ कन्नौज में डिंपल यादव, बदायूं में धर्मेन्द्र यादव व फि रोजाबाद में रामगोपाल यादव के बेटे का हार जाना बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है। बसपा और सपा के बेस वोट जुड़ने से यादव परिवार के लोगों को कतई नहीं हारना चाहिए था।
- सबसे बड़ा सवाल : जब सपा का बेस वोट ख़ुद सपा की खास सीटों पर ही छिटक गया तो फि र इन्होंने बीएसपी को अपना वोट कैसे दिया होगा?
अखिलेश-डिंपल हमें आदर्श मानते हैं, गैर सियासी रिश्ते हमेशा बने रहेंगे
मायावती ने कहा कि जबसे बसपा व सपा का गठबंधन हुआ है तबसे सपा प्रमुख अखिलेश यादव व उनकी पत्नी डिंपल यादव पूरे दिल से व पूरे आदर-सम्मान से अपना बड़ा व आदर्श मानकर मेरी बहुत इज़्जत करते हैं। मैंने भी उनको अपने सभी पुराने गिले-शिकवों को भुलाकर अपने बड़े होने के नाते उसी हिसाब से उनको अपने ख़ुद के परिवार की तरह ही पूरा-पूरा आदर-सम्मान दिया है।
मायावती ने कहा कि ये रिश्ते केवल अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए ही नहीं बने हैं बल्कि ये रिश्ते आगे भी हर सुख-दु:ख की घड़ी में हमेशा ऐसे ही बने रहेंगे। हमारे ये रिश्ते अब कभी भी खत्म होने वाले नहीं हैं। मेरी तरफ से हमेशा इसकी कोशिश बनी रहेगी। मायावती ने सपा मुखिया के परिजनों की हार पर चिंता जताते हुए कहा कि चुनाव परिणाम में ईवीएम की भी भूमिका खराब रही है, लेकिन इनकी हार का बसपा को बहुत दु:ख है।