Uttar Pradesh Amethi news :- हार को पीछे छोड़ यूपी में खोई जमीन वापस पाने को कांग्रेस ने सचिवों को मैदान में उतारा

कांग्रेस उत्तर प्रदेश में हुई करारी हार पर चर्चा और समीक्षा कर बाल की खाल नहीं निकालना चाहती है। प्रदेश के दोनों प्रभारियों प्रियंका गांधी वाड्रा और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अखिल भारतीय कांग्रेस के सभी छह सचिवों को आगे की राह तलाशने की सलाह के साथ फिर मैदान में भेज दिया है। प्रियंका और सिंधिया ने संयुक्त रूप से सभी प्रभारियों को बुलाकर उपचुनाव के लिए मजबूत उम्मीदवारों संगठन के ढांचे को दुरूस्त करने के लिए काम के लोग तलाशने का जिम्मा सौंपा है।
यूपी के दोनों प्रभारियों ने सचिवों के साथ बीते मंगलवार को बैठक की थी। बैठक का मुख्य एजेंडा हताशा और निराशा के वातावरण से बाहर आकर सचिवों को नए सिरे से तैयार करना था।
बैठक में राज्य में होने वाले 11 विधानसभा के उपचुनाव पर फोकस करने के निर्देश दिए गए हैं। सचिवों को कठिन परिस्थिति के बावजूद ऐसे उम्मीदवार तलाशने को कहा गया है जिसकी छवि बेहतर हो। प्रभारियों के बंटवारे में पश्चिम यूपी की छह और पूर्वी यूपी की पांच सीटों पर उपचुनाव होना है।
प्रियंका गांधी ने बैठक में सभी सचिवों से कहा कि हमें संगठन के नाम पर फौज नहीं चाहिए लेकिन जिन लोगों को जोड़ा है उनका पार्टी के प्रति कमिटमेंट होना चाहिए। प्रियंका ने जल्द ही यूपी संगठन में बदलाव के संकेत भी दिए साथ ही सचिवों से कहा कि नए सिरे से बूथ और ब्लाक स्तर से काम शुरू कर संगठन खड़ा करें।
दरअसल यूपी में कांग्रेस लगभग सभी सीटों पर तीसरे नंबर पर है और कुछ ही लोकसभा सीटों में एक लाख से अधिक वोट मिले हैं। ऐसे में पार्टी नेता किसी भी समीक्षा या हार के कारणों में न उलझकर संगठन की मजबूती के लिए नए सिरे से जुटने में बेहतरी मान रही है।
कांग्रेस बूथ लेवल पर जानना चाहती है कि कहां कितने वोट मिले
कांग्रेस फिलहाल राज्यों में हार की समीक्षा से अधिक इस बात पर फोकस कर रही है कि उसे किस बूथ पर कितने वोट मिले हैं। राज्यों के प्रभारियों को अपनी रिपोर्ट 7 जून तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को सौंपनी है। बूथ लेवल के नतीजे सामने आने के बाद पार्टी अपने संगठनात्मक ढांचे में बदलाव के साथ वहां नया संगठन और नेतृत्व तैयार करेगी।
कांग्रेस नेतृत्व की ओर से प्रभारियों को इस बात के निर्देश दिए गए हैं कि संबंधित राज्यों में बैठक कर नेताओं की अपेक्षा कार्यकर्ताओं से हार के कारणों पर चर्चा करें। प्रभारियों से फिलहाल कोई रिपोर्ट तो नहीं मांगी गई है लेकिन उन्हें उन कारणों का पता लगाना होगा जिससे आने वाले समय में नतीजों को बदला जा सके।
पूरे देश में कांग्रेस उम्मीदवारों के हार का अंतर बड़ा है। इसी को ध्यान में रखकर पार्टी बूथ लेवल पर उसे मिले वोट की पड़ताल करना चाहती है। पार्टी के वरिष्ठ प्रभारी का कहना है कि बूथ पर मिले वोट से हमें अपनी ताकत और समर्थकों का अंदाजा है।
साथ ही उन बूथ का भी पता चलेगा जहां पार्टी कमजोर है और उसे मजबूत कैसे बनाया जा सकता है। इस प्रक्रिया से बूथ लेवल की कमेटियों की सक्रियता का भी पता चल सकेगा। बूथ पर नए सिरे से संगठनात्मक ढांचा बनाने में भी मदद मिलेगी।