10 फीसदी आरक्षण का मामला संविधान पीठ के पास भेजने पर विचार करेंगे: सुप्रीम कोर्ट

धवन ने कहा कि फिलहाल दो प्रश्न हैं। पहला यह है कि क्या इस मसले को बड़ी पीठ के पास भेजा जाए या नहीं। दूसरा कि क्या फिलहाल कोई अंतरिम राहत दी जा सकती है या नहीं? अगर मामले को संविधान पीठ के पास भेजा जाता है तो अंतरिम आदेश पारित करने की जरूरत पड़ेगी। 103वां संविधान संशोधन संविधान के मूल ढांचे के विपरीत है। साथ ही यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के भी खिलाफ है।
अन्य याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रह्मण्यम ने कहा कि 50 फीसदी की आरक्षण सीमा को नहीं तोड़ा जा सकता। वहीं, वेणुगोपाल ने कहा कि वह मामले में अंतिम बहस को तैयार हैं। जिसके बाद पीठ ने कहा कि सिद्धांतत: हम मामले में आगे नहीं बढ़ना चाहते और ऐसी स्थिति में इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि इसे संविधान पीठ को सौंपा जाना चाहिए। लिहाजा वह तय करेगी कि क्या मामले को संविधान पीठ को सौंपा जाना चाहिए या नहीं।