राजस्व संहिता संशोधन विधेयक-2019 को मंजूरी, उद्योगों को सीलिंग से अधिक जमीन लेने में होगी आसानी - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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शनिवार, 27 जुलाई 2019

राजस्व संहिता संशोधन विधेयक-2019 को मंजूरी, उद्योगों को सीलिंग से अधिक जमीन लेने में होगी आसानी

राजस्व संहिता संशोधन विधेयक-2019 को मंजूरी, उद्योगों को सीलिंग से अधिक जमीन लेने में होगी आसानी

यूपी विधानसभा
यूपी विधानसभा - फोटो : bharat rajneeti
प्रदेश विधानसभा ने निवेशकों के प्रोजेक्ट के दूसरे शिलान्यास समारोह से पहले उद्यमियों की जमीन व्यवस्था में आने वाली मुश्किलें आसान करने से जुड़े राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक-2019 को मंजूरी दे दी। इससे निवेशकों को अपने प्रोजेक्ट के लिए जमीन लेने में आसानी होगी। कांट्रैक्ट फार्मिंग का भी रास्ता साफ होगा (किसानों को अपनी जमीन बटाई पर देने) तथा अविवाहित लड़कियों को उत्तराधिकार में हर स्तर पर लड़कों के बराबर संपत्ति में हक  दिए जाने की व्यवस्था कानूनी रूप से लागू हो सकेगी। 
राजस्व राज्यमंत्री अनुपमा जायसवाल ने संशोधन विधेयक-2019 पेश करते हुए इसे पारित करने का आग्रह किया। विपक्ष की ओर से सपा के उज्जवल रमण सिंह ने इसके प्रावधानों को किसानों की जगह उद्योगपतियों का हितैषी बताते हुए इसे प्रवर समिति को सौंपने की वकालत की। हालांकि, सदन ने उनकी मांग को खारिज कर विधेयक को पारित कर दिया।

बताते चलें प्रदेश कैबिनेट ने पिछले साल फरवरी में इन्वेस्टर्स समिट से ठीक पहले औद्योगीकरण के लिए जमीन मिलने में आने वाली मुश्किलों को आसान करने, कांट्रैक्ट फार्मिंग लागू करने सहित विभिन्न उद्देश्यों से राजस्व संहिता संशोधन विधेयक-2018 के मसौदे को मंजूरी दी थी। इसके बाद विधानमंडल से इसे पारित करवाकर राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा था। राज्यपाल ने विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति के लिए केंद्र सरकार को भेज दिया था। केंद्र सरकार ने विधेयक में कुछ संशोधन का सुझाव देते हुए राज्य सरकार को लौटा दिया था। इसके बाद प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार के सुझावों पर विचार कर नए सिरे से कानून बनाने का फैसला किया। उस समय राज्य विधानमंडल का सत्र आहूत नहीं था लिहाजा नए प्रावधानों पर अमल के लिए सरकार अध्यादेश लाई थी, जो वर्तमान में प्रभावी है। सरकार ने विपक्ष की आपत्ति के बावजूद शुक्रवार को इस विधेयक को पारित करवाकर ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी से पहले निवेशकों को बड़ी सहूलियत का संदेश देने की कोशिश की है।

किसानों को आवासीय व वाणिज्यिक उपयोग के लिए ऋण मिलना आसान 

कोई संक्रमणीय भूमिधर यदि अपने जमीन का उपयोग औद्योगिक, वाणिज्यिक या आवासीय आवश्यकताओं के लिए कर रहा है या करना चाहता है तो वह एसडीएम के समक्ष भू-उपयोग परिवर्तन के लिए आवेदन करेगा। एसडीएम 45 दिन के भीतर इसकी अनुमति देंगे। अनुमति न देने पर लिखित रूप से कारण बताएंगे। हालांकि वह जिस अंश का भू-उपयोग बदलवाने के लिए आवेदन कर रहा है उस हिस्से के चारों ओर चहारदीवारी अवश्य होनी चाहिए। इससे किसानों को घर बनाने या कामर्शियल उपयोग के लिए ऋण मिलने में आसानी होगी।

उद्योगों को आसानी से मिल सकेगी जमीन
उद्योगों को अपने प्रोजेक्ट के लिए कई बार सीलिंग के प्रावधानों (5.0586 हेक्टेयर) से अधिक जमीन की जरूरत होती है। इसके लिए अनुमति सरकार देती है। संशोधन प्रावधानों के मुताबिक अब 20.2344 हेक्टेयर तक जमीन खरीदने या प्राप्त करने की अनुमति डीएम दे सकेंगे। 20.2344 हेक्टेयर से अधिक व 40.4688 हेक्टेयर तक मंडलायुक्त व 40.4688 हेक्टेयर से अधिक की अनुमति सरकार देगी। यदि आवेदक अनुमति मिलने के पांच वर्ष के भीतर परियोजना स्थापित करने में विफल रहता है तो यह स्वीकृति निरस्त हो जाएगी। हालांकि सरकार पांच वर्ष की समयसीमा को उचित कारणों के साथ तीन वर्ष केलिए बढ़ा सकती है। अब सरकार पूर्व से तय सीमा से अधिक जमीन रखने के मामले में सर्किल दर के हिसाब से अधिक भूमि के लागत का पांच प्रतिशत दंड वसूल कर नियमित भी कर सकेगी। इससे उद्योगों को बड़ी राहत मिलने की संभावना है। सरकार इसे ईज ऑफ डुइंग बिजनेस के रूप में पेश करने जा रही है।

कांट्रैक्ट फार्मिंग की शुरुआत का रास्ता साफ

कोई भूमिधर किसी व्यक्ति, फर्म, कंपनी, न्यास, व समिति को या कृषि कार्य अथवा सौर ऊर्जा संयत्र स्थापित करने के लिए किसी अन्य को अपना जोत या उसके किसी आंशिक भाग को पट्टे पर दे सकेगा। निजी पटटा की अवधि एक बार में 15 वर्ष से अधिक नहीं होगी। दोनों की सहमति से इसे आगे बढ़ाया जा सकेगा। यह पट्टा रजिस्ट्री होगा। एक वर्ष के लिए पट्टा मौखिक या लिखित हो सकता है। एक वर्ष से अधिक समय का पट्टा रजिस्ट्री होगा। पट्टे की व्यवस्था में भूमिधर का आधार सुरक्षित रखने की व्यवस्था की गई है।

उत्तराधिकार में अविवाहित पुत्रियों को हर स्तर पर पुत्र के बराबर हक
राजस्व संहिता की धारा 108 व 110 में संपत्ति के हस्तांतरण का क्रम दर्ज है। वर्तमान में भूमिधर के पुत्र के साथ के साथ पुत्री को संपत्ति में हक मिलता है लेकिन यदि पुत्र के पुत्र को संपत्ति हस्तांतरित होनी है तो उसके साथ अविवाहित पुत्री को हक नहीं मिलता है। इसी तरह यदि मृत व्यक्ति के  भाई के पुत्र (भतीजे) को संपत्ति स्थानान्तरित होने की नौबत आती है तो उसकी अविवाहित पुत्री संपत्ति में हिस्सा नहीं पाती है। इस संशोधन में अविवाहित लड़कियों को हर स्तर पर लड़कों के साथ-साथ हिस्सेदारी होगी। इसके लिए दोनों धाराओं में सभी आवश्यक स्थानों पर पुत्र के साथ अविवाहित पुत्री जोड़ दिया गया है। 

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