Rajneeti News: यमुना एक्सप्रेस वेः 29 मौतों के बाद भी नहीं जागे वाहन चालक, 125 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ीं बसें
यमुना एक्सप्रेसवे - फोटो : bharat rajneeti
यमुना एक्सप्रेसवे पर 29 लोगों की मौत के बाद भी बसों की रफ्तार नियंत्रित नहीं है। बीते 24 घंटे में एक्सप्रेसवे पर 107 बसें सौ किमी प्रति घंटा से भी तेज गति से गुजरीं। कई की रफ्तार तो 125 किलोमीटर प्रति घंटा थी।
अब इन वाहनों के नंबर चालान के लिए पुलिस और आरटीओ आफिस को भेजे जा रहे हैं। बता दें, आगरा से नोएडा तक 165 किलोमीटर के यमुना एक्सप्रेसवे पर हर रोज सात से आठ हजार वाहन गुजरते हैं। कार के लिए अधिकतम गति सीमा 100 किलोमीटर प्रति घंटा निर्धारित है।
बस या दूसरे भारी वाहन 60 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से चल सकते हैं। हकीकत यह है, लोडेड ट्रक को छोड़ दिया जाए तो बाकी भारी वाहन 90 से ऊपर ही दौड़ रहे हैं। रोडवेज या प्राइवेट बसों की रफ्तार तो 120 से 130 तक जा रही है।
गौरतलब है कि सोमवार की तड़के चार बजे अवध डिपो की जो बस नाले में गिरी थी उसकी रफ्तार भी 120 थी। एक्सप्रेसवे अथॉरिटी ने सोमवार की दोपहर से मंगलवार की दोपहर तक ओवरस्पीड बसों की जो संख्या बताई है वह 107 है। इनमें अधिकांश की स्पीड 110 से ऊपर थी।
यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी के कोआर्डिनेटर मेजर मनीष ने बताया कि स्पीड मीटर के आधार पर सभी के नंबर दर्ज कर लिए गए हैं। इन बसों का नंबर चालान के लिए पुलिस और आरटीओ को भेजा जा रहा है।
आगरा दिल्ली हाईवे पर भी ओवरस्पीड भारी वाहनों की संख्या 130 आई है। इनमें बसों संख्या सबसे ज्यादा है। उनमें भी लंबी दूरी की टूरिस्ट बस ज्यादा हैं। यह बसें लखनऊ, कानपुर, फैजाबाद, इलाहाबाद, वाराणसी, गाजियाबाद, दिल्ली, सहारनपुर, बरेली, उत्तराखंड से आईं थीं। इन सभी बसों की रफ्तार तय मानक से काफी ज्यादा थी।
सवारियां बोलीं, पहले ढाबों पर रोकते हैं फिर टाइम कवर करने को दौड़ाते हैं गाड़ी
यमुना एक्सप्रेसवे पर दौड़ने वाली बसों में सफर करने वाले लोग भी कभी कभी रफ्तार से डर जाते हैं। कुछ ड्राइवर को बसों को हवा बना देते हैं। हमने जब बसों में सफर करने वाले यात्रियों से बात की तो उन्होंने बताया कि पहले बसों को ढाबों पर रोकते हैं और उस समय को कवर करने के लिए बसों को दौड़ाते हैं। इससे ही हादसे होते हैं।
अलीगढ़ निवासी भगवानदास गुड़गांव में नौकरी करते हैं। कभी रोडवेज की बस तो कभी प्राइवेट बसों से उनका आना जाना लगा रहता है। भगवानदास ने बताया कि कुछ चालक अच्छे भी हैं जो रफ्तार को कंट्रोल करके चलते हैं। कुछ तो बसों को हवा बना देते हैं।
नैनीताल से दिल्ली डिपो की बस में बैठकर मथुरा पहुंचे गोपाल सिंह ने कहा कि मंगलवार को बरसात हो रही थी। लेकिन चालक ने रफ्तार को कम नहीं किया। कई बार बस को जब ब्रेक लगते थे तो फिसलती थी। बैठे- बैठे डर लग रहा था लेकिन चालक पर कोई असर नहीं पड़ा।