इस वजह से रुका चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण, अब सितंबर में होगा लॉन्च

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, 'इंजन में लिक्विड ऑक्सिजन (ऑक्सीडाइजर) और लिक्विड हाइड्रोजन (ईंधन) भरने के बाद हीलियम को भरने का काम हो रहा था। प्रक्रिया 350 बार तक हीलियम की बोतल पर दवाब डालने की थी और आउटपुट को 50 बार पर सेट करना था। हीलियम भरने के बाद हमने पाया कि दबाव तेजी से कम हो रहा है। जिससे लीक का संकेत मिला। टीम अब भी गैस बॉटल में हुए असल लीक के स्थान का पता लगाने की कोशिश कर रही है। इसमें कई लीक हो सकते हैं।'
22 जून को आइडेंटिकल क्रायोजेनिक इंजन के ग्राउंड टेस्ट के दौरान ऑक्सीजन टैंक में लीक का पता चला था जिसे ठीक कर लिया गया और इसरो ने लॉन्च पर आगे बढ़ने का निर्णय लिया। वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि इसरो जल्द ही वापसी करेगी। 31 जुलाई को वर्तमान लॉन्च विंडो (लैंडर और रोवर के लिए पूर्ण 14 पृथ्वी दिवस सुनिश्चित करना) खत्म होने से पहले एजेंसी रॉकेट को जमीन पर उतारने की कोशिश कर रही है। अगली बेस्ट लॉन्च विंडो अब सितंबर में होगी।
श्रीहरिकोटा में सोमवार तड़के देशभर के 5,000 लोग पहली बार रॉकेट लॉन्च को अपनी आंखों से देखने के लिए इकट्ठा हुए थे। उन्होंने इस तरह की निराशा की उम्मीद तक नहीं की थी। मिशन कंट्रोल सेंटर की वीआईपी गैलरी में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी मौजूद थे। मिशन के रुकने से सभी के हाथ मायूसी लगी। 978 करोड़ रुपये के चंद्रयान मिशन में जीएसएलवी-एमके 3 लॉन्च व्हीकल का इस्तेमाल किया गया है। जिसमें थ्री-स्टेज क्रायोजेनिक तकनीक से लैस सीई-20 इंजन लगा हुआ है। क्रायोजेनिक स्टेज में ईंधन के तौर पर लिक्विड हाइड्रोजन और ऑक्सीडाइजर के रूप में लिक्विड ऑक्सीजन का उपयोग करता है।