बारिश की भविष्यवाणी पर क्यों गलत साबित हो रहा मौसम विभाग, नया सिस्टम भी फेल? - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

.

अन्य विधानसभा क्षेत्र

बेहट नकुड़ सहारनपुर नगर सहारनपुर देवबंद रामपुर मनिहारन गंगोह कैराना थानाभवन शामली बुढ़ाना चरथावल पुरकाजी मुजफ्फरनगर खतौली मीरापुर नजीबाबाद नगीना बढ़ापुर धामपुर नहटौर बिजनौर चांदपुर नूरपुर कांठ ठाकुरद्वारा मुरादाबाद ग्रामीण कुंदरकी मुरादाबाद नगर बिलारी चंदौसी असमोली संभल स्वार चमरौआ बिलासपुर रामपुर मिलक धनौरा नौगावां सादात

मंगलवार, 2 जुलाई 2019

बारिश की भविष्यवाणी पर क्यों गलत साबित हो रहा मौसम विभाग, नया सिस्टम भी फेल?

बारिश की भविष्यवाणी पर क्यों गलत साबित हो रहा मौसम विभाग, नया सिस्टम भी फेल?

भारत में मानसून और सूखा
भारत में मानसून और सूखा - फोटो : bharat rajneeti

खास बातें

  • भारत में रोज वाहन धोने में ही करोड़ों लीटर पानी खर्च हो जाता है।
  • भारत में महिलाएं पानी के लिए औसतन प्रतिदिन लगभग 6 किलोमीटर का सफर करती हैं।
  • दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे महानगरों में पाइप लाइनों के वॉल्व की खराबी के कारण रोज 17 से 44 प्रतिशत पानी बेकार बह जाता है।
देश में मानसून आ चुका है और कुछ राज्यों में बारिश का असर भी दिखना शुरू हो गया है। मुंबई तो बारिश के चलते जलमग्न हो गई है। इस साल मानसून की शुरुआत में देश के अलग-अलग मौसम जोन में 80 प्रतिशत तक कम बारिश दर्ज की गई है। लेकिन उत्तर भारत के राज्य अब भी मानसून की बारिश का इंतजार कर रहे हैं। एक तरफ बाढ़ जैसे हालात तो दूसरी तरफ सूखे की मार।इससे यह सवाल खड़ा होता है कि क्या भारत में मानसून के दौरान होने वाली बारिश का अनुमान लगाने वाले तरीके को बदल दिया गया है? क्या कारण है कि बारिश के बारे में मौसम विभाग (आईएमडी) की भविष्यवाणियां सही साबित नहीं हो रहीं?
देश में नवंबर 2018 से मार्च 2019 के बीच सबसे कम बारिश हुई थी, जिसके चलते इन गर्मियों में पानी के ज्यादातर बड़े स्रोत सूख चुके हैं। अब देश को एक अच्छे मानसून की जरूरत है। जुलाई और अगस्त महीने मानसून के लिए बहुत जरूरी हैं। अलनीनो को भारत में बारिश को कम करने वाले एक कारक के तौर पर देखा जाता है। लेकिन इसके अलावा भी कई कारक हैं जो मानसून के कमजोर करने के लिए जिम्मेदार होते हैं।

पहले 'वायु', अब पश्चिमी विक्षोभ बना बाधा

मई 2019 में मौसम विभाग ने कहा था कि भारत में जून से सितंबर के दौरान सामान्य बारिश होगी। हालांकि मौसम विभाग ने जून के बारे में कोई निश्चित आंकड़ा नहीं बताया था। इसके अलावा अरब सागर में बना और गुजरात में आया चक्रवात 'वायु' भी मानसून के आगे बढ़ने के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ था। मानसून अभी तक भारत के पूरे दक्षिणी और पूर्वी भाग में पहुंच चुका है। उम्मीद है कि 15 जुलाई तक यह अपने आखिरी मुकाम राजस्थान तक पहुंच सकता है। 

मानसून की भविष्यवाणी

2010 तक मौसम विभाग के पास मौसम की भविष्यवाणी का केवल एक तरीका था। इसे स्टैटिस्टिकल मॉडल कहते थे। इसमें मौसम के अलग-अलग पैरामीटर्स को मानसून की प्रगति के साथ मिलाया जाता था। उदाहरण के तौर पर, उत्तरी अटलांटिक महासागर और उत्तरी प्रशांत महासागर के तापमान के बीच के अंतर का अध्ययन किया जाता था। इसके अलावा भूमध्यसागरीय प्रशांत महासागर में गर्म पानी का अध्ययन किया जाता था और यूरेशिया में पड़ी बर्फ का अध्ययन किया जाता था। इसके अलावा पिछले सालों की बारिश से इन आंकड़ों को मिलाया जाता था।

गलत भी साबित हुआ है मौसम विभाग

मौसम विभाग के आंकड़े कई बार गलत साबित हो चुके हैं। विभाग कई बार सूखे और बारिश की कमी के बारे में बता पाने में असफल रहा है। 2002, 2004 और 2006 ऐसे साल रहे, जब भारतीय मौसम विभाग बुरी तरह से सूखे के बारे में बता पाने में असफल रहा। ऐसे में मानसून के बारे में भविष्यवाणी के नए तरीकों की खोज की जाने लगी थी।

नए सिस्टम से भविष्यवाणी

2015 में मौसम विभाग ने एक बिल्कुल नए सिस्टम की टेस्टिंग शुरू की। जो किसी एक चुनी हुई जगह और दिन का मौसम भी बता सकती थी। इसमें धरती और समुद्र के तापमान, नमी, हवा की गति और कई सारे अन्य कारकों का अध्ययन भी किया जाने लगा था।

4 राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट

बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव क्षेत्र के सघन होने से मानसून की रफ्तार बढ़ी है। इससे बारिश का इंतजार कर रहे उत्तर भारत समेत देश के अन्य हिस्सों को जल्द राहत मिलने की उम्मीद है। मानसून की रफ्तार बढ़ने से यह अपने घोषित समय से कुछ दिन पहले ही शेष भारत में पहुंच सकता है। मौसम विभाग ने इस सप्ताह मुंबई समेत चार राज्यों में भारी बारिश जारी रहने का अलर्ट जारी किया है।

पिछले कुछ दिनों से मुंबई, ओडिशा और गुजरात में मानसून की बारिश बहुत से लोगों के लिए आफत बनी हुई है, दूसरी तरफ उत्तर भारत समेत देश के ज्यादातर इलाके में अब भी लोगों को राहत की बूंदों का इंतजार है। उत्तर भारत व देश के ज्यादातर राज्य अब भी लू और भीषण उमस का सामना कर रहे हैं। मौसम विभाग व स्काईमेट के अनुसार मानसून बंगाल की खाड़ी से उठकर द्वारका, अहमदाबाद, भोपाल, जबलपुर, पेंड्रा, सुल्तानपुर, लखीमपुरी खेरी, मुक्तेश्वर होते हुए उत्तर भारत की तरफ बढ़ रहा है। साथ ही बंगाल की खाड़ी के उत्तर व आसपास के क्षेत्र जैसे उत्तरी ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के तटीय इलाकों व पश्चिम बंगाल के उत्तर-पश्चिम एरिया में एक निम्न दबाव क्षेत्र भी बन रहा है। अगले 24 घंटे में इसके और सघन होने की उम्मीद है।

सामान्य मानसून क्या होता है?

भारत में मानसून और सूखा
भारत में मानसून और सूखा - फोटो : bharat rajneeti
19 प्रतिशत कम से लेकर 19 प्रतिशत अधिक बारिश को सरकार सामान्य मानसून मानती है। सरकार ने इस साल औसत से 4 प्रतिशत कम बारिश का अनुमान लगाया था। सरकार का औसत मानसून का अनुमान तो सही है लेकिन कई क्षेत्रों में बारिश की तीव्रता का अनुमान गलत साबित हुआ है। मतलब कई जगहों पर अनुमान से काफी ज्यादा बारिश दर्ज की गई।



मानसून की गलत भविष्यवाणी अक्सर परेशानियों का सबब बनती है। दरअसल, भारत के ज्यादातर हिस्से में मौसम की भविष्यवाणी पर ही कृषि की बुआई निर्भर करती है। मौसम विभाग ने महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में मानसून पूर्व बारिश को मानसून का आगमन बता दिया था। इस वजह से किसानों ने बुआई कर दी। सरकारी दावे के मुताबिक, बारिश नहीं हुई तो किसानों को भारी नुकसान पहुंचा। किसानों ने मौसम विभाग के खिलाफ पुलिस में शिकायत तक दर्ज करा दी थी।

बारिश की तीव्रता मापने का पैमाना क्या है

  • 0.1 से 2.4 मिलीमीटर बारिश को बहुत हल्की
  • 2.5 से 7.5 मिलीमीटर तक बारिश को हल्की
  • 7.6 से 35.5 मिलीमीटर बारिश को औसत
  • 35.6 से 64.4 मिलीमीटर बारिश को हल्की भारी
  • 64.5 से 124.4 मिलीमीटर बारिश को भारी
  • 124.5 से 244.4 मिलीमीटर बारिश को बहुत भारी
  • 244.5 मिलीमीटर से अधिक बारिश को अतिशय भारी बारिश कहा जाता है।
इसके अलावा असाधारण भारी बारिश उस स्थिति को कहा जाएगा जब किसी खास जगह या उसके आसपास मासिक या मौसमी रिकॉर्ड के बराबर बारिश होती है। लेकिन यह 120 मिलीमीटर से ज्यादा होनी चाहिए।

मानसून के बावजूद सूखे की चपेट में देश

लगातार बदल रहे मौसम के कारण भारत के कई हिस्से भीषण जलसंकट से गुजर रहे हैं। देश का बड़ा भाग पीने और सिंचाई के लिए पानी की कमी का सामना कर रहा है। देश में सूखे का आंकड़ा हर साल बढ़ता ही जा रहा है। वर्तमान में देश का 40 फीसदी से ज्यादा हिस्सा सूखे की चपेट में है। सूखे से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में तेलंगाना, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और कर्नाटक शामिल हैं। इसके अलावा दिल्ली में पानी का संकट गंभीर बना हुआ है। शहरों में पीने के पानी की कमी ने संकट को और बढ़ा दिया है।

दुनिया में 400 करोड़ लोगों को स्वच्छ पानी नहीं मिल रहा है जिसमें 25 फीसदी भारतीय भी शामिल हैं। वाटर एड संस्था की रिपोर्ट के अनुसार विश्व के कुल भूमिगत जल का 24 फीसदी भारतीय उपयोग करते हैं। देश में 1170 मिलीमीटर औसत बारिश होती है, लेकिन हम इसका सिर्फ 6 फीसदी पानी ही सुरक्षित रख पाते हैं।

एक रिपोर्ट में भारत को चेतावनी दी गई है कि यदि भूजल का दोहन नहीं रूका तो देश को बड़े जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। 75 फीसदी घरों में पीने के साफ पानी की पहुंच ही नहीं है। केंद्रीय भूगर्भ जल बोर्ड द्वारा तय मात्रा की तुलना में भूमिगत पानी का 70 फीसदी ज्यादा उपयोग हो रहा है।

2050 तक भारत पेयजल संकट का करेगा सामना

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2050 तक भारत और चीन पेयजल की भयानक संकट का सामना करेंगे। तब समुद्र का यह खारा पानी लोगों के लिए वरदान साबित होगा। इसके तहत जल शोधन का ऐसा तरीका तैयार किया गया है, जिससे आर्सेनिक और यूरेनियम युक्त पानी को भी पीने लायक बनाया जा सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2030 तक दुनिया के लगभग चार अरब लोग पेयजल में तब्दील होने वाले इस समुद्री पानी का प्रयोग करने लगेंगे।

Loan calculator for Instant Online Loan, Home Loan, Personal Loan, Credit Card Loan, Education loan

Loan Calculator

Amount
Interest Rate
Tenure (in months)

Loan EMI

123

Total Interest Payable

1234

Total Amount

12345