कृष्णानंद राय हत्याकांड: कोर्ट ने कहा- गवाहों के मुकरने से सजा मिलने का प्रतिशत बेहद कम
मुख्तार अंसारी (File Photo) - फोटो : bharat rajneeti
भाजपा के पूर्व विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड मामले में मंगलवार को दिल्ली की विशेष सीबीआई अदालत ने पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। अदालत ने गवाहों के मुकरने और उससे आरोपियों के छूटने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि गवाहों के मुकरने से आरोपियों को सजा मिलने का प्रतिशत बेहद कम है।
अदालत ने कहा कि गवाहों के मुकरने के कई कारणों की पहचान सुप्रीम कोर्ट ने की थी। इनमें धमकी, प्रलोभन, बाहुबल का इस्तेमाल, झूठी गवाही, गवाहों की सुरक्षा समेत कई कारण शामिल थे। कोर्ट ने यह भी कहा कि गवाहों को इनसे बचाने के लिए उनकी पहचान छिपाना, गवाह व आरोपी का आमना-सामना होने से रोकना जैसे उपाय करने का निर्देश दिया गया था। हालांकि अब तक ऐसा नहीं हो सका। इसलिए गवाह मुकर रहे हैं और अभियोजन को आरोप साबित करने में परेशानी होती है।
मनोज सिन्हा ने दी थी अहम गवाही
केस की जांच के बाद सीबीआई ने चार आरोप पत्र दाखिल किए थे। आरोप पत्रों के साथ सीबीआई ने करीब 70 गवाहों की सूची दी थी। इन गवाहों में कृृष्णानंद राय की पत्नी, उनके भाई, जांच अधिकारी व अन्य लोग शामिल थे। इनमें से ज्यादातर मुकर गए थे।
पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा ने हालांकि इस मामले में पुख्ता बयान दिया था। उन्होंने अपने बयान में कहा था कि कृष्णानंद राय को आरोपियों से लगातार धमकी मिलती थी और वह इस कारण परेशान थे। वह उनके अच्छे मित्र थे इसलिए अपनी परेशानी उनसे साझा करते थे।
सीबीआई ने किया था पुख्ता सुबूत होने का दावा
सीबीआई ने आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सुबूत व साक्ष्य होने का दावा किया था। इस मामले में एजेंसी ने मुख्तार अंसारी को मुख्य साजिशकर्ता, राकेश पांडे व मुन्ना बजरंगी को शार्प शूटर बताया था। इस हत्याकांड में कृष्णानंद राय की सुरक्षा में तैनात यूपी पुलिस के दो गनर भी मारे गए थो।
एजेंसी का कहना था कि मुख्तार अंसारी ने इस हत्याकांड की साजिश गाजीपुर जेल में रहते हुए रची थी। इस हत्याकांड के फौरन बाद मुख्तार व गैंगस्टर अभय सिंह के बीच मोबाइल फोन पर बातचीत हुई थी। उस बातचीत को रिकॉर्ड किया गया था। सीडी को कोर्ट में पेश किया गया, लेकिन कोर्ट में वह नहीं चल पाई थी।