जिला मानवाधिकार अदालत के गठन पर सरकारों को नोटिस, सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब
supreme court - फोटो : Bharat rajneeti
देश के सभी जिलों में मानवाधिकार अदालत बनाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों से जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता का कहना है कि मानवाधिकार अधिनियम के तहत जिलों में अदालत गठन का प्रावधान है पर 25 साल बीतने के बावजूद यह संभव नहीं हो सका है।
चीफ जस्टिस
रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने विधि छात्र भाविका फोरे की याचिका पर विचार करने का निर्णय लेते हुए सरकारों को नोटिस दिया है। याचिका के मुताबिक, मानवाधिकार अधिनियम-1993 के तहत मानवाधिकार उल्लंघन मामलों के जल्द निपटारे के लिए कोर्ट बनाने की बात कही गई है। साथ ही विशेष अभियोजक की नियुक्ति का भी प्रावधान है।
मानवाधिकार रिपोर्ट : 2018 में भारत में मानवाधिकार की स्थिति पर निराशा जाहिर की गई थी। रिपोर्ट में पुलिस की प्रताड़ना और हिरासत में मौत का जिक्र किया गया है। साथ ही भारत के जेलों व डिटेंशन सेंटर की खराब हालत का भी उल्लेख किया है।