Rajneeti News: कर्नाटक का संग्राम: जेडीएस को कांग्रेस का सीएम स्वीकार, क्या कुमारस्वामी देंगे इस्तीफा?
HD Kumarswamy, Karnataka CM - फोटो : bharat rajneeti
कर्नाटक में जारी सियासी संकट और राजनीतिक उठापटक के बीच रविवार शाम बंगलूरू के होटल ताज वेस्ट एंड में अहम बैठक हुई। इसमें जेडीएस प्रमुख एचडी देवेगौड़ा, उनके बेटे और राज्य के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी और उप मुख्यमंत्री जी परमेश्वर के अलावा कांग्रेस नेता भी मौजूद थे। कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के बीच और कुछ विधायकों द्वारा सिद्धारमैया को सीएम बनाए जाने की शर्त पर पार्टी में वापस लौटने की खबरों के बीच जेडीएस को इससे आपत्ति नहीं है।
सीएम कुमास्वामी के अमेरिका से वापस लौटने के बाद हुई इस अहम बैठक से पहले मंत्री जीटी देवेगौड़ा ने कहा कि अगर समन्वय समिति सिद्धारमैया को सीएम बनाती है तो हमें आपत्ति नहीं है। माना जा रहा है कि कांग्रेस-जेडीएस के 12 विधायकों के इस्तीफे के बाद जारी राजनीतिक अस्थिरता को रोकने के लिए कुमारस्वामी इस्तीफा दे सकते हैं और कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे गठबंधन सरकार में नए मुख्यमंत्री बन सकते हैं।
रविवार को जेडीएस नेता जीटी देवगौड़ा ने पत्रकारों से कहा, 'अगर कांग्रेस-जेडीएस समन्वय समिति सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला करती है तो मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी।' देवगौड़ा ने यह भी कहा कि अगर कहा गया तो वह पार्टी से भी इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं। जेडीएस नेता ने कहा, 'अगर पार्टी निर्णय करती है तो मैं इस्तीफे के लिए तैयार हूं। मैं भाजपा में नहीं जा रहा हूं। हमारी गठबंधन सरकार राज्य की बेहतरी के लिए बनी है।'
खड़गे को सीएम बनाने का देवगौड़ा ने दिया सुझाव!
कांग्रेस सूत्रों के हवाले से खबर है कि जेडीएस प्रमुख और पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा ने यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को यह सुझाव दिया है कि गठबंधन सरकार बचाने के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।
जेडीएस चीफ और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के घर पर भी कई दौर की बैठकें हुईं। कर्नाटक विधानसभा का सत्र 12 जुलाई शुरू हो रहा है। इसको देखते हुए कांग्रेस और जेडीएस मौजूदा सियासी संकट से उबरना चाहते हैं।
इधर, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा के लिए मंगलवार को एक बैठक बुलाई है। कांग्रेस के सभी विधायकों से इसमें उपस्थित रहने की हिदायत दी गई है।
'वेट एंड वाच' की नीति पर भाजपा, येदि बोले- हम संन्यासी नहीं
कर्नाटक की राजनीति में आए भूचाल के बीच भाजपा फिलहाल देखो और इंतजार करो की रणनीति पर काम कर रही है। पार्टी की निगाह इस्तीफा देने वाले विधायकों के भावी रुख पर है। अगर इन विधायकों को कांग्रेस-जेडीएस नहीं मना पाई तो कुमारस्वामी सरकार की कुंजी बसपा, केपीजेपी और तीन निर्दलीय विधायकों के पास होगी। बहरहाल, राज्य में सरकार बनाने और गिराने की दोनों ओर से लगातार कोशिश हो रही है।
कर्नाटक भाजपा के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि हमारी पार्टी राज्य में राजनीतिक घटनाक्रमों पर नजर बनाए हुए है। यह पूछने पर कि क्या भाजपा सरकार बनाने के लिए तैयार है तो उन्होंने कहा, ‘इंतजार करिए और देखिए। हम संन्यासी तो नहीं हैं कि सरकार बनाने की संभावनाओं से इनकार कर देंगे।
उन्होंने कहा कि इस्तीफे की प्रक्रिया खत्म होने और विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय लेने के बाद हमारी पार्टी के नेता विचार-विमर्श करेंगे। भाजपा एक राष्ट्रीय पार्टी है, राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ चर्चा करने के बाद ही हम कोई निर्णय करेंगे।’
इधर, भाजपा के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस एक डूबता जहाज है, जिसके कप्तान राहुल गांधी इसे छोड़कर जा रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि कर्नाटक में विधायकों का पार्टी छोड़ना भी इसी का परिणाम है।
भाजपा सांसद का था चार्टर्ड प्लेन
कांग्रेस-जेडीएस के विधायक इस्तीफा देने के बाद जिस चार्टर्ड प्लेन से मुंबई गए थे वह भाजपा के राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर की कंपनी ज्यूपिटर कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड का है। राजीव इस कंपनी के संस्थापक और चेयरमैन हैं।
'कर्नाटक विधानसभा का समीकरण'
कर्नाटक विधानसभा की वर्तमान स्थिति की बात करें तो 224 सदस्यीय विधानसभा में 13 विधायकों की बगावत के बाद कांग्रेस-जदएस और उसके समर्थक विधायकों की संख्या 106 हो गई है। अगर इन विधायकों ने इस्तीफा वापस नहीं लिया तो बहुमत का आंकड़ा 106 होगा। कांग्रेस-जदएस के पास स्पीकर और बसपा, केपीजेपी और निर्दलीय विधायक मिला कर इतने ही सदस्य हैं। जबकि भाजपा के पास 105 सदस्य हैं।
भाजपा के रणनीतिकारों का कहना है कि फिलहाल सबकुछ 13 विधायकों केभावी रुख पर निर्भर है। अगर कांग्रेस-जेडीएस ने इनमें से कुछ विधायकों को मना लिया तो पार्टी को वहां सरकार बनाने के लिए इंतजार करना होगा। हां अगर 13 विधायक नहीं माने तो भाजपा की राह आसान हो जाएगी। इसकेबाद अगर एक-दो विधायक भी टूटे तो कुमारस्वामी सरकार के विदाई की पटकथा तैयार हो जाएगी।