Bharat ki Rajneeti News: नोएडाः आम्रपाली के 30 हजार खरीदारों के भविष्य का फैसला आज, सुप्रीम कोर्ट पर टिकी उम्मीदें
फाइल फोटो - फोटो : bharat rajneeti
आम्रपाली और अन्य बिल्डरों की लापरवाही से जिस तरह से खरीदार सालों बाद भी अपने फ्लैट्स नहीं पा सके हैं और अपने पैसे डूबते देख रहे हैं वह किसी भयावह सपने से कम नहीं है। आम्रपाली के निदेशक इस वक्त जेल में हैं और कंपनी का भविष्य अधर में लटकने से खरीदारों का अपना घर पाने का सपना टूटता नजर आ रहा है।
हालांकि उन्हें अब भी सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा है कि उनकी मदद के लिए अदालत कुछ ऐसा करेगी जिससे उनका घर या पैसा उन्हें मिल सके। हमारी इस खबर में आगे जानिए क्या हो सकता है, और खरीदारों को क्या आशाएं हैं...
मेरा घर, मेरा अधिकार इस स्लोगन के साथ 2010 में जब आम्रपाली ग्रुप के चेयरमैन अनिल शर्मा सामने आए थे तो लोगों को लगा था कि वाजिब दाम में अपना घर पाने का उनका सपना पूरा हो जाएगा। लेकिन इन बीते सालों में जिसने भी आम्रपाली ग्रुप में निवेश किया वो आज भी अपने फ्लैट्स का इंतजार ही कर रहे हैं। इनकी संख्या अब 42,000 हो चुकी है।
आम्रपाली के मामले में समस्या सिर्फ यही नहीं है कि काम डेडलाइन पर पूरा नहीं हो सका है, बल्कि कंपनी के मालिकों पर फंड में गड़बड़ी करने का आरोप लगा है जिसके चलते वह आज जेल में हैं। घर खरीदारों का कहना है कि उनकी चुनौतियां खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। जैसे बचे काम को पूरा करने के लिए फंड की व्यवस्था कहां से होगी, कौन सी कंपनी बचा हुआ काम पूरा कराएगी।
आम्रपाली के बायर्स की समस्या जेपी के खरीदारों से ज्यादा बड़ी है। इसकी वजह ये है कि जेपी की समस्या भले ही ज्यादा जटिल हो लेकिन उन्होंने अपनी समस्याओं को सुलझाना शुरू कर दिया है। वहीं आम्रपाली के खरीदार अंतिम छोर पर खड़े हैं जहां से कोई रास्ता निकलता नहीं दिख रहा।
आम्रपाली-जेपी मामले के समाधान पर टिका अन्य प्रोजेक्टों का भविष्य
आम्रपाली के एक खरीदार बिक्रम चटर्जी कहते हैं कि, 'हम खरीदारों ने अपना फ्लैट पाने के लिए कई दरवाजे खटखटाए लेकिन कहीं हमारी समस्या का समाधान नहीं हुआ। इसका मतलब ये नहीं है कि प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से मुकर सकता है।'
चटर्जी ही वह शख्स हैं जो सबसे पहले अपने फ्लैट के लिए 2017 में सुप्रीम कोर्ट गए थे। इसके बाद उन्हें सैकड़ों बायर्स का सहयोग मिला। चटर्जी इस वक्त गुरुग्राम में एक किराए के मकान में रहते हैं और 2017 से लेकर अब तक हुए तमाम प्रदर्शन और बैठकों में हिस्सा लेकर बायर्स की बात रख चुके हैं। आम्रपाली की कुल 15 रिहायशी प्रॉपर्टी हैं जिसमें कुल 42000 रिहायशी फ्लैट बने हैं। सिर्फ 12000 ही पूरे हो सके हैं।
आम्रपाली-जेपी मामले के समाधान पर टिका अन्य प्रोजेक्टों का भविष्य
आम्रपाली और जेपी के प्रोजेक्टों के समाधान पर अन्य प्रोजेक्टों का भविष्य टिक गया है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से दोनों मामलों में अहम निर्देश और फैसला आना है। केंद्र सरकार भी खरीदारों को उबारने के लिए प्रस्ताव का मसौदा तैयार कर रही है। इससे दूसरे अन्य प्रोजेक्टों की राह भी खुलेगी।
यहां फंस रहा है मामला
दरअसल, 18 जुलाई यानि आज सुप्रीम कोर्ट में खरीदारों का भविष्य तय हो सकता है। इसमें सरकार की योजना के साथ कोर्ट का अहम निर्देश खरीदारों को उबारने का काम कर सकता है। इससे आम्रपाली और जेपी समेत सभी प्रोजेक्टों का भविष्य तय होगा। सुप्रीम कोर्ट के सख्त रवैये से खरीदारों में आस जगी है कि इस दिन सुप्रीम कोर्ट कोई अहम निर्देश दे सकता है। यही नहीं आम्रपाली के मामले में कोर्ट को अलग से अहम फैसला भी देना है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को खरीदारों के हित में एक प्रस्ताव बनाने का निर्देश दिया है। इससे खरीदारों की समस्या का समाधान करने के बाबत कहा गया है। अब केंद्र सरकार का संबंधित मंत्रालय प्रस्ताव का मसौदा तैयार कर रहा है। इससे खरीदारों को पता चलेगा कि केंद्र ने उनके लिए क्या समाधान योजना निकाली है।
यहां फंस रहा है मामला
बिल्डरों को जीरो पीरियड का मामला
बिल्डरों का कहना है कि प्राधिकरणों से उन्हें जीरो पीरियड दिलाया जाए। इससे कई बिल्डरों को तुरंत फायदा होगा। कई बिल्डरों ने प्राधिकरणों में एक तय समयावधि के लिए जीरो पीरियड की मांग की है, लेकिन प्राधिकरणों ने उनकी मांगों को मानने से मना कर दिया है। अगर केंद्र सरकार की ओर से इस बाबत कोई अहम निर्देश आता है और सरकार का दबाव पड़ता है तो प्राधिकरणों को इस मामले में जीरो पीरियड देने का फैसला करना पड़ सकता है, जो कहीं न कहीं प्रोजेक्ट को पूरा होने और खरीदारों का भविष्य तय करने में मदद कर सकता है।
बैंकों का कर्ज और वसूली की प्रक्रिया
डेवलपर्स ने बैंकों से करोड़ों रुपये का कर्ज प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए लिया है, लेकिन प्रोजेक्ट पूरे नहीं हो पाए और कर्ज वैसे का वैसा ही रह गया। अब बैंकों की ओर से डेवलपर्स पर दबाव बना हुआ है। कई मामलों में बैंकों ने एनसीएलटी का भी रुख किया है। ऐसे में अगर सरकार कोई अहम फैसला लेती है और बैंकों के कर्ज को लेकर कहीं से कोई समाधान निकालती है तो डेवलपर्स का बोझ कम होगा और प्रोजेक्ट पूरा करने में मदद मिलेगी।
प्रोजेक्टों में कौन डालेगा पैसा
यहां सबसे अहम सवाल यह है कि इन प्रोजेक्टों में कौन पैसा डालेगा। प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए पैसे की जरूरत है। इसके लिए को-डेवलपर की तलाश है, लेकिन को-डेवलपर पैसे की मांग कर रहे हैं। उनको लंबित पड़े प्रोजेक्टों में कोई फायदा नहीं दिख रहा है। लिहाजा, वह अपने पैसे नहीं लगाना चाह रहे हैं।
खरीदार भी कर रहे छूट की डिमांड
फ्लैट खरीदारों ने जब प्रोजेक्टों में बुकिंग कराई तो उनकी योजना यह थी कि दो से तीन साल में घर मिल जाएगा और किराये का चक्कर खत्म हो जाएगा। उनकी ओर से बैंकों की ईएमआई भरी जाएगी और अपने घर का सुख मिलेगा, लेकिन योजना धरी की धरी रह गई। उनको तय समय में घर नहीं मिला और किराये का चक्कर अभी भी सिर पर है। साथ ही, ईएमआई का बोझ भी है। उन्होंने यह मांग की है कि जब तक घर नहीं मिल जाता तब तक बैंकों को ईएमआई का दबाव नहीं डालना चाहिए। इसमें खरीदारों को डिफॉल्टर घोषित करते हुए कार्रवाई भी नहीं करनी चाहिए।
अब सरकारी मदद से ही होगा भला
चाहे वह डेवलपर्स हों या फिर खरीदार। सबकी एक ही राय है कि बिना सरकारी मदद के प्रोजेक्टों का काम पूरा नहीं हो सकता है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने भी गेंद सरकार के पाले में डाली है। अब सरकार को निर्णय लेना है कि रियल एस्टेट का भविष्य संवारने के लिए उनकी ओर से क्या फैसला लिया जाता है।
गौतमबुद्ध नगर की स्थिति
कुल प्रोजेक्ट-250
फंसे प्रोजेक्ट-160
कुल खरीदार- करीब चार लाख
फंसे खरीदार- करीब 2.5 लाख
नोएडा में प्रोजेक्ट-105
ग्रेटर नोएडा में प्रोजेक्ट-145
जेपी के प्रोजेक्ट के खरीदार-32 हजार
आम्रपाली के प्रोजेक्ट के खरीदार-42 हजार
जेपी के फंसे खरीदार-22 हजार
आम्रपाली के फंसे खरीदार-40 हजार
रियल एस्टेट को उबारने के लिए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अहम निर्णय लेना होगा। इसमें जीरो पीरियड, बैंकों का टैक्स, को-डेवलपर्स के मुद्दे, प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए पैसे का जुगाड़ सहित कई अहम मामले शामिल हैं। इसमें सरकार की मदद सबसे अहम कड़ी साबित होगी।- मनोज गौड़, उपाध्यक्ष, क्रेडाई नेशनल
जब तक कोई अहम निर्णय नहीं हो जाता तब तक जेपी के खरीदारों की आस नहीं जगेगी। खरीदारों के हित को लेकर इस तरह के मोड़ कई बार हमारे सामने आ चुके हैं, जब ऐसा लगता है कि अब हमारा काम हो जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।- एसपी मित्तल, खरीदार, जेपी
खरीदारों की समस्या का समाधान केवल स्ट्रेस फंड के माध्यम से ही हो पाएगा। इसके अलावा प्रोजेक्ट पूरे करने के लिए कोई उपाय नहीं बचा है।- अभिषेक कुमार, अध्यक्ष, नेफोवा