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मंगलवार, 30 जुलाई 2019

कानों देखी : प्रधानमंत्री ने दिखाई फ्लोर प्रबंधन की ताकत, मध्यप्रदेश में क्या होगा?

कानों देखी : प्रधानमंत्री ने दिखाई फ्लोर प्रबंधन की ताकत, मध्यप्रदेश में क्या होगा?

प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर - फोटो : bharatrajneeti
सत्ता पक्ष खुश है। लोकसभा में कामकाज रिकार्ड स्तर पर चल रहा है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला अपने कौशल से सदन चला रहे हैं। राज्यसभा में भी कोई परेशानी नहीं है। भले ही सरकार के पास अभी राज्यसभा में बहुमत में कुछ सांसद कम हैं, लेकिन जो बिल चाह रही है, पास हो जा रहे हैं। सरकार को सूचना अधिकार संशोधन विधेयक के लोकसभा में पारित होने के बाद राज्यसभा में इसके पारित होने को लेकर कोई चिंता नहीं थी। तीन तलाक बिल पर भी सरकार निश्चिंत है। जबकि विपक्ष राज्यसभा में सरकार को घेरने की जोरदार रणनीति बना रहा था। 
बताते हैं विपक्ष की चाल देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मोर्चा संभाल लिया था। जनता दल (बीजू) के नेता, उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से प्रधानमंत्री की पुरानी केमिस्ट्री है। लिहाजा प्रधानमंत्री ने फोन घुमाया और उधर से सफलता लेकर आए। इसके बाद सत्ता पक्ष ने सबको साध लिया। विपक्षी एकता धरी की धरी रह गई। इसके बाद विपक्ष ने बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजने का खूब दबाव बनाया, लेकिन अंत में निराशा ही हाथ लगी।

मध्यप्रदेश में भाजपा की नजर

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को राज्य में भाजपा के कील कांटे दुरुस्त करने की हिदायत दे चुके हैं। शाह विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के लगातार एक के बाद एक बयान से भी नाराज हैं। भाजपा के कार्यवाहक अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने साफ कह दिया है कि मध्यप्रदेश में जो चल रहा है, उस पर उनकी निगाह है। भाजपा महासचिव कैलाश विजयावर्गीज को मध्यप्रदेश में दमदार भाजपा सरकार चाहिए। 

खबर है कि भाजपा की इस तरह की मंशा से राज्य के मुख्यमंत्री कमलनाथ पूरी तरह से वाकिफ हैं। कमलनाथ के सबसे बड़े सलाहकार दिग्विजय सिंह हैं। दिग्विजय सिंह का पूरे मध्यप्रदेश के नेताओं में एक अलग जमठा है। बताते हैं कमलनाथ ने जहां भविष्य को सहेजना शुरू कर दिया है, वहीं भाजपा के नेता दंड विधि संशोधन विधेयक में सरकार का साथ देने वाले अपने दो विधायकों से पैदा हुई टीस का जवाब देने की तैयारी कर रही है। शिवराज सिंह चौहान ने भी बयान देकर गर्मी बढ़ा दी है। देखिए आगे क्या होता है?

तिवारी की पीड़ा : अवैध है लोकसभा, राज्यसभा टीवी

पूर्व सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी का मानना है कि लोकसभा और राज्यसभा टीवी दोनों अवैध तरीके से चल रहे हैं। तिवारी जब मंत्री थे तो उन्होंने लोकसभा और राज्यसभा टीवी को इसका तत्काल प्रसारण बंद करने के लिए पत्र भी लिख दिया था। तिवारी बड़े चाव से बताते हैं कि इस टीवी चैनल के पास प्रसारण का कोई लाइसेंस नहीं है। तिवारी कहते हैं कि यह गलत है, वह लेकिन तिवारी अभी यह बताने के लिए तैयार नहीं है कि उनके नोटिस देने के बाद आगे क्या हुआ? 

इसके बारे में तिवारी का कहना है कि अपनी किताब में इसका खुलासा करेंगे। अब तिवारी को कौन बताए कि आपको मंत्री पद से हटे ही कोई सवा पांच-छह साल हो गए। इतना ही नहीं तिवारी के मंत्री रहते भी दोनों चैनल न केवल चले बल्कि पिछले कई सालों में लाखों-करोड़ों का वारा न्यारा भी हो गया। इतना ही नहीं राज्यसभा चैनल को पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने यूपीए-टू कार्यकाल में शुरू कराया था।

कौन होते हैं राहुल गांधी?

कांग्रेस पार्टी के एक पूर्व महासचिव की पीड़ा सुनिए। वह कहते हैं कि राहुल गांधी ट्विटर पर बम फोड़कर पार्टी चला रहे हैं। आखिर यह स्थिति कब तक चलेगी? कांग्रेसी नेता ने यह सवाल शशि थरूर के बयान के बाद उठाया है। शशि थरूर ने कांग्रेस पार्टी में चल रही अनिश्चितता को लेकर बयान दिया है। वहीं कांग्रेस एक अन्य बड़े नेता ने खीझ जाहिर करते हुए कहा कि राहुल अध्यक्ष पद नहीं संभालना चाहते तो न संभालें। पार्टी खत्म नहीं हो जाएगी। चलेगी। 

लेकिन वह कौन होते हैं यह कहने वाले कि प्रियंका गांधी या गांधी परिवार का कोई कांग्रेस अध्यक्ष न बने। पार्टी के नेता का कहना है कि राहुल केवल अपनी निजी राय दे सकते हैं। रहा सवाल पार्टी के भविष्य के नेता का तो यह निर्णय सीडब्ल्यूसी लेगी। जो सीडब्ल्यूसी निर्णय लेगी, उसे पार्टी के नेताओं को मानना होगा। बताते हैं सात अगस्त को संसद का सत्र समाप्त होने के बाद पार्टी अपने भविष्य का निर्णय कर लेगी।

अमित शाह ने बनाया येदियुरप्पा को सीएम

भाजपा अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह ने बीएस येदियुरप्पा के राज्य का मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ कर दिया। बताते हैं कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी की सरकार गिरने के बाद भाजपा किसी जल्दबाजी में नहीं थी। पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष जेपी नड्डा भी खास नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहे थे। खतरे दो थे। पहला यह कि विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार पद पर बने थे और 14 विधायकों के भविष्य का निर्णय विधानसभा अध्यक्ष के हाथ में था। हालांकि येदियुरप्पा कमर कसकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के लिए बेताब थे। 

बताते हैं संगठन मंत्री बीएल संतोष भी बहुत जल्दबाजी के पक्ष में नहीं थे, लेकिन शाह ने पूरे प्रकरण को सभी तरह से समझने के बाद आनन-फानन में मंजूरी दे दी। बताते हैं केन्द्रीय नेतृत्व की तरफ से येदियुरप्पा को न केवल सरकार बनाने का दावा पेश करने को कहा गया बल्कि यथा शीघ्र विश्वास मत हासिल करने की भी सलाह दी गई। इस तरह से येदियुरप्पा राज्य में भाजपा के चौथी बार मुख्यमंत्री बन गए हैं। हालांकि अभी उनकी चुनौतियां बनी हुई है। उन्हें न केवल राज्य में खुद को अच्छा मुख्यमंत्री साबित करना है, बल्कि विधानसभा में बहुमत को लेकर भी सचेत रहना है। 

प्रियंका गांधी को दो कमान

राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है तो कांग्रेसी भी नई मांग को लेकर खड़े हो गए हैं। कई प्रदेशों के नेताओं राहुल गांधी के स्थान पर प्रियंका गांधी को अध्यक्ष बनाने की मांग तेज कर दी है। यूपी के कांग्रेस के एक नेता ने तो बाकायदा पार्टी को चिट्ठी भी लिखी है। चिट्ठी में लिखा है कि 2022 के विधानसभा चुनाव से करीब तीन साल पहले प्रियंका के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर राज्य में कांग्रेस सरकार भी बना सकती है। कांग्रेस के नेताओं की मांग पार्टी के मौजूदा सीडब्ल्यूसी के सदस्यों में कई को रास आ रही है। दरअसल कांग्रेस पार्टी के भीतर कई तरह की चर्चा चल रही है। 

इस चर्चा में पार्टी के नेता आपस में अध्यक्ष-अध्यक्ष का खेल खेल रहे हैं। बताते हैं इस खेल के चलते ही न तो सीडब्ल्यूसी की बैठक शेड्यूल हो पा रही है और न ही आगे की दशा और दिशा का निर्धारण हो पा रहा है। अभी स्थिति यह है कि लोकसभा और राज्यसभा में पार्टी के नेता महत्वपूर्ण निर्णय के लिए यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी की राय ले रहे हैं। प्रियंका गांधी वाड्रा राहुल गांधी से सलाह मशविरा या निर्देश लेकर अपना राजनीतिक काम कर रही हैं। शेष नेता इंतजार में दिन बिता रहे हैं। 

बहन ने नहीं दी माफी, आजम पड़ गए अकेले

लोकसभा में समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान ने सभापति के आसन पर बैठीं भाजपा सांसद रमा देवी पर टिप्पणी करके नया अनुभव पाया। आजम खान का साथ पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और राज्यसभा सांसद पत्नी तंजीम फातिमा ने ही दिया। जिस दिन आजम ने टिप्पणी की, किसी तरह वॉक आउट करके इज्जत बचा आए। लेकिन इसके बाद भाजपा तथा अन्य दलों की महिला सांसदों की एकजुटता ने मामले को नया रंग दे दिया। टिप्पणी के दूसरे दिन तक आजम माफी न मांगने की जिद पर अड़े थे। इसके लिए आजम ने पूरी कोशिश भी की। उन्हें उम्मीद थी कि रमा देवी को बार-बार बहन कहने का असर पड़ेगा। 

अन्य दल के नेता सहयोग देंगे, लेकिन आजम खान की मुसीबत तब बढ़ गई, जब लोकसभा अध्यक्ष द्वारा बुलाई बैठक में अधिकांश दलों के नेताओं ने भी आजम के माफी मांगने पर जोर दिया। बताते हैं अंत में एक वरिष्ठ नेता ने आजम खान को समझाया। उन्हें (आजम) एहसास कराया गया कि वह यूपी में समाजवादी पार्टी का बड़ा अल्पसंख्यक चेहरा हैं। उनकी टिप्पणी भी तीन तलाक बिल पर अपना पक्ष रखने के दौरान हुई है। उन्होंने सभापति के आसन पर बैठीं रमादेवी (महिला) को लेकर टिप्पणी की है। इसलिए भलाई इसी में है कि माफी मांगकर मामले को रफा-दफा करें। लिहाजा पीठ न दिखाने वाले आजम को मजबूरी में इसके लिए भी तैयार होना पड़ा।

कर्नाटक का रण

भाजपा ने कर्नाटक का रण जीत लिया है। अब पार्टी को उम्मीद है कि सरकार भी चलेगी। पार्टी के नेताओं की यह उम्मीद यूं ही नहीं है। सूत्र बताते हैं कि तमाम कांग्रेस के नेता और जद (एस) के एचडी कुमारस्वामी पर खुद तमाम तरह के आरोप हैं। कर्नाटक में पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बाद सबसे पावरफुल डीके शिवकुमार हैं। बताते हैं शिवकुमार को लेकर भी कई सवाल हैं। इसलिए येदियुरप्पा सरकार को अब ऐसे नेताओं से कोई खतरा नहीं है। खतरा न होने का एक कारण और है। 

विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार ने पद से इस्तीफा दे दिया है। राज्य में राज्यपाल भी भाजपा से हैं। केन्द्र में सरकार भी भाजपा की है। इसलिए अब कोई डर नहीं है। मीडिया लॉबी तो यहां तक मानकर चल रही है कि जल्द ही कांग्रेस और जद( एस) गठबंधन टूटने की घोषणा होने वाली है। यह घोषणा पहले जद (एस) करेगा। इसका मतलब यह हुआ कि अकेले कांग्रेस खाक भाजपा का मुकाबला करेगी?

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