पश्चिम बंगाल 'कट मनी' विवाद: सिलीगुड़ी इलाके में दुकानें बंद, सड़क जाम कर प्रदर्शन कर रहे व्यापारी
पश्चिम बंगाल में प्रदर्शन - फोटो : bharat rajneeti
सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से 'कट मनी' (कमीशन) लिए जाने को लेकर पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। यहां सिलीगुड़ी घोगोमाली इलाके में स्थानीय व्यापारियों ने अनिश्चित समय के लिए अपनी दुकाने बंद कर दी हैं। वार्ड नंबर 37 के पार्षद रंजन शील शर्मा के विरोध में लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पार्षद ने इनसे रिश्वत (कट मनी) मांगी है।
केवल इतना ही नहीं विरोध कर रहे इन स्थानीय व्यापारियों ने सड़कों को जाम कर लिया है और टायर जलाए हैं।
क्या है 'कट मनी'?
कट मनी एक तरह का कमीशन होता है, जो स्थानीय सरकारी परियोजनाओं या कल्याणकारी योजनाओं के लिए स्वीकृत धनराशि में से लाभार्थी को देते समय काट लेते हैं। इलके इलावा टीएमसी नेताओं पर किसी सरकारी मंजूरी देने के एवज में भी 'कट मनी' लेने के आरोप लगे हैं।
इससे पहले बीरभूम जिले के एक स्थानीय टीएमसी नेता ने सरकारी योजनाओं के 100 से ज्यादा लाभार्थियों को करीब 2.25 लाख रुपये वापस लौटा दिए थे। साथ में नेता ने माफी मांगते हुए आगे से ऐसा न करने का वादा भी किया।
कड़े कानून के तहत आरोपी बनाया जाएगा
मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि पश्चिम बंगाल में कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों से 'कट मनी' स्वीकार करने वाले निर्वाचित जन प्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों को अब एक कड़े कानून के तहत आरोपी बनाया जाएगा जिसमें दोषी ठहराए जाने पर आजीवन कारावास का प्रावधान है।
इस मामले पर राज्य विधानसभा में लगातार दूसरे दिन भी हंगामा हुआ था। विपक्ष ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा बयान दिए जाने और मामले की जांच के लिए एक आयोग गठित करने की मांग की थी। मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि दोषी जनप्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 409 के तहत आरोपी बनाया जाएगा, जो कि लोकसेवक, बैंकर, एजेंट द्वारा आपराधिक विश्वास हनन से संबंधित है।
दोषी को आजीवन कारावास
अधिकारियों ने आगे बताया कि इस कानून के तहत दोषी ठहराया जाने वाले व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा या जुर्माने के अलावा 10 वर्ष तक के कारावास की सजा हो सकती है। यह निर्णय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लिया है। ये फैसला राज्य के विभिन्न हिस्सों में व्यापक हंगामे के बाद लिया गया है जिसमें सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं को भीड़ ने घेर लिया और उनसे 'कट मनी' वापस करने की मांग की।
बनर्जी ने 18 जून को तृणमूल पार्षदों की एक बैठक को संबोधित करते हुए आदेश दिया था कि वे लाभार्थियों से लिया गया 'कट मनी' का कमीशन वापस करें। उन्होंने तब कहा था, 'मैं अपनी पार्टी में चोरों को नहीं रखना चाहती। यदि मैं कार्रवाई करूंगी तो वे किसी और पार्टी में शामिल हो जाएंगे। कुछ नेता गरीबों को आवास अनुदान मुहैया कराने के लिए 25 फीसदी कमीशन मांग रहे हैं। यह तत्काल रुकना चाहिए। यदि आपने लिया है तो पैसा तत्काल लौटा दीजिए।'