सूचना आयोग ने साफ की मंत्रियों के भ्रष्टाचार के खुलासे की राह
केंद्रीय सूचना आयोग का लोगो (फाइल) - फोटो : bharat rajneeti
केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने केंद्रीय मंत्रियों के ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को सार्वजनिक किए जाने की राह साफ कर दी है। आयोग ने यह जानकारी मांगने वाली नौकरशाह संजीव चतुर्वेदी के आरटीआई प्रार्थना पत्र पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की तरफ से जताए गए ऐतराज को गलत ठहराया है।
भारतीय वन सेवा के 2022 बैच के अधिकारी चतुर्वेदी ने अगस्त 2017 में आरटीआई के तहत पीएमओ से यह जानकारी मांगी थी कि जून, 2014 से अब तक (आरटीआई दाखिल करने तक) कितने केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज कराई गई हैं। पीएमओ ने अक्तूबर, 2017 में अपने जवाब में मांगी गई जानकारी को ‘वर्गीकृत और अस्पष्ट’ बताया था। साथ ही सीआईसी के एक पुराने आदेश का हवाला देते हुए जानकारी देने से इनकार कर दिया था।
चतुर्वेदी ने इसके खिलाफ सीआईसी से गुहार लगाई थी, जहां से पिछले साल 16 अक्तूबर को पारित आदेश में पीएमओ का जवाब सही नहीं होने कही गई थी। आयोग ने पीएमओ को 15 दिन के अंदर जानकारी चतुर्वेदी को उपलब्ध कराने के आदेश दिए थे। इसके बाद पीएमओ ने एक बार फिर आरटीआई एक्ट के अनुच्छेद 7 (9) का हवाला देते हुए जानकारी देने से इनकार कर दिया था।
चतुर्वेदी ने दोबारा सीआईसी के पास याचिका दाखिल की थी। मुख्य सूचना आयुक्त सुधीर भार्गव ने 1 जुलाई को इस मामले में दिए आदेश में पीएमओ के रुख को गलत ठहराते हुए मंत्रियों के भ्रष्टाचार की जानकारी सार्वजनिक किए जाने का रास्ता साफ कर दिया।