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शनिवार, 13 जुलाई 2019

मासूमों से दुष्कर्म पर राष्ट्रीय जवाबदेही तय हो: सुप्रीम कोर्ट

मासूमों से दुष्कर्म पर राष्ट्रीय जवाबदेही तय हो: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट : bharat rajneeti
पिछले छह महीने में देश में बच्चियों से होने वाले दुष्कर्म की करीब 24 हजार घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस पूरे मामले का परीक्षण करने का निर्णय लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने बच्चियों से दुष्कर्म की बेतहाशा बढ़ती घटनाओं से चिंतित सुप्रीम कोर्ट ने मामले में स्वत: संज्ञान लिया है और सख्त लहजे में कहा है कि वह इसके लिए निर्देश जारी करेगा ताकि ऐसे कृत्यों के खिलाफ ठोस और स्पष्ट तौर पर राष्ट्रीय जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके। 
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, बच्चियों से दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं को कई अखबारों और पोर्टल की रिपोर्ट के आधार पर स्वत: संज्ञान लेने का निर्णय लिया गया। सीजेआई के अलावा जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस भी पीठ में हैं। 

पीठ ने मामले को जनहित याचिका में तब्दील करते हुए अदालत की मदद के लिए वरिष्ठ वकील वी गिरी को अमाइकस क्यूरी (न्याय मित्र) नियुक्त किया है। पीठ ने गिरी को दिशानिर्देश बनाने में मदद करने को कहा, जिसे राज्यों को जारी किया सकता है ताकि कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग में मदद मिल सके।

चीफ जस्टिस ने कहा कि हम इस पर गौर करेंगे कि क्या ऐसे मामलों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाई जा सकती है। क्या ऐसे मामलों के लिए विशेष अदालत का गठन किया जा सकता है। अमाइकस क्यूरी को इन मुद्दों पर अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया है। 

वास्तव में इस तरह की घटनाओं से आहत चीफ जस्टिस ने गत एक जुलाई को सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को रिपोर्ट दाखिल कर यह बताने के लिए कहा था कि इस वर्ष एक जनवरी से लेकर 30 जून के बीच बच्चियों से दुष्कर्म के कितने मुकदमे दर्ज किए गए। साथ ही रजिस्ट्री को यह आंकड़ा भी जुटाने के लिए कहा गया था कि इन मामले में जांच किस चरण पर है। चार्जशीट दाखिल करने में कितना वक्त लगा और ऐसे कितने मामले अदालतों में लंबित हैं।

मामले में तीसरा पक्ष नहीं दे सकेगा दखल

पीठ ने साफ तौर पर कहा, गिरी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अलावा किसी तीसरे पक्ष को इस मामले में दखल देने की अनुमति नहीं होगी। पीठ ने शीर्ष कोर्ट की रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि मामले को एक जनहित याचिका के तौर पर दर्ज किया जाए, जिसका शीर्षक ‘रिपोर्ट की गई बच्चों से दुष्कर्म की घटनाओं की संख्या में फिर से खतरनाक वृद्धि’ रखने को कहा। पीठ ने इसे सोमवार को निर्देश जारी करने के लिए प्रस्तुत करने को कहा।

24 हजार मामले पर निपटारा सिर्फ 4 फीसदी का

विभिन्न हाईकोर्ट के आंकड़ा जुटाने के बाद सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री द्वारा रिपोर्ट में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। चीफ जस्टिस ने इसे खतरनाक ट्रेंड बताया है। रजिस्ट्री की रिपोर्ट के मुताबिक, इस वर्ष एक जनवरी से 30 जून के बीच देश भर में पुलिस ने बच्चियों से बलात्कार के 24,212 मुकदमे दर्ज किए हैं। इनमें से 11,981 मामले में छानबीन जारी है। जबकि 12,231 मामलों में चार्जशीट दायर की जा चुकी है। लेकिन महज 6,449 मामलों का ट्रायल शुरू हो सका है। अब तक ट्रायल कोर्ट ने महज 911 मामलों का निपटारा किया है। यानी महज चार फीसदी मामले का निपटारा हुआ है।

बच्चियों से यौन उत्पीड़न में यूपी पहले स्थान पर 

बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न की घटनाओं में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है। इस दौरान यूपी में 3457 एफआईआर दर्ज की। इनमें से 1,779 मामलों में अब तक छानबीन जारी है। वहीं मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर है। वहां इस तरह के 2,389 मुकदमे दर्ज किए। वहां पुलिस 1,841 मामलों में चार्जशीट दायर कर चुकी है जबकि 247 मामलों का ट्रायल पूरा हो चुका है। वहीं इस अवधि के दौरान राजस्थान में 1,285, कर्नाटक में 1,133, गुजरात में 1,124, तमिलनाडु में 1,043, केरल में 1,012, ओडिशा में 1,005 मुकदमे दर्ज किए गए।
 

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