Rajneeti News: ट्रेन की देरी सुधारने की ठानी तो जबरन रिटायर कर दिए जज, अब हाईकोर्ट ने खुद पर लगाया जुर्माना

जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस सुर्वा घोष की पीठ ने अपने निर्णय में यह भी कहा कि जुर्माने की रकम अपीलकर्ता जज मिंटू मलिक को दी जाएगी। उनका सेवाकाल भी अनवरत माना जाएगा। मिंटू मलिक सियालदह अदालत में रेलवे मजिस्ट्रेट थे। पांच मई 2007 को वह बजबज-सियालदाह लोकल ट्रेन का इंतजार कर रहे थे, लेकिन ट्रेन लेट थी। उन्हाेंने रोजाना के यात्रियों से पूछताछ की तो पता चला कि ट्रेन अमूमन लेट ही आती है।
ट्रेन आने पर उन्हाेंने ड्राइवर से इसकी वजह पूछी, जो जवाब नहीं दे पाए। उन्हाेंने ड्राइवर और गार्ड को रेलवे मजिस्ट्रेट के समक्ष रिपोर्ट करने के लिए कहा ताकि मामले पर विस्तृत सुनवाई और सुधार हो सके। दोनों ने अपनी रिपोर्ट रखी, लेकिन रेलवे मजिस्ट्रेट कोर्ट के बाहर बड़ी संख्या में रेलकर्मी जमा हो गए और नारेबाजी व गाली-गलौच करने लगे। ड्राइवरों के प्रदर्शन में शामिल होने से रेल संचालन तीन घंटे रुका रहा।
उच्च न्यायालय ने मामले की जांच करवाई, प्राथमिक रिपोर्ट के आधार पर मलिक को 2007 में निलंबित कर दिया गया। जांच पूरी होने पर 2013 में उन्हें प्रशासन ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी। मलिक ने राज्यपाल के समक्ष अपील की, लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया। 2017 में हाईकोर्ट की एकल पीठ ने भी कार्रवाई को यथावत रखा। इस पर उन्हाेंने खंडपीठ में अपील की, जिसने यह ताजा आदेश दिया।
उच्च न्यायालय की कड़ी टिप्पणियां
