सोनभद्र कांड में डीएम-एसपी पर गिरी गाज, 15 अफसरों समेत 29 पर केस दर्ज
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। - फोटो : bharat rajneeti
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोनभद्र में भूमि विवाद में 10 लोगों की हत्या के बाद कराई गई उच्च स्तरीय जांच के आधार पर बड़ी कार्रवाई करते हुए डीएम अंकित कुमार अग्रवाल और एसपी सलमान जफर ताज पाटिल को रविवार को हटा दिया। दोनों के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। सीएम के निर्देश पर राजस्व, सहकारिता व पुलिस के 15 अफसरों समेत 29 लोगों के खिलाफ हजरतगंज थाने में केस दर्ज किया गया है। इनमें बिहार कॉडर के दो आईएएस अफसरों की पत्नियां भी हैं।
जिन अफसरों पर केस दर्ज किया गया है, उनमें 8 राजपत्रित जबकि 7 अराजपत्रित अधिकारी हैं। इनमें से तत्कालीन सहायक अभिलेख अधिकारी राजकुमार को सस्पेंड कर दिया गया है। सीएम के निर्देश पर 1952 में बनी आदर्श कृषि सहकारी समिति, उभ्भा व सपही के प्रारंभिक 12 सदस्यों पर भी केस दर्ज कर लिया गया।
समिति की रिपोर्ट के आधार पर दर्ज केस की विस्तृत विवेचना डीआईजी एसआईटी जे. रवींद्र गौड़ की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय कमेटी करेगी। वहीं, सोनभद्र व मिर्जापुर में ग्राम समाज व वन विभाग की हजारों एकड़ जमीन के कब्जे की पड़ताल के लिए अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार की अध्यक्षता में नई उच्चस्तरीय कमेटी बनाई है। रेणुका की अध्यक्षता वाली कमेटी की रिपोर्ट पर ही यह कार्रवाई हुई है। एस. राजलिंगम सोनभद्र के डीएम व प्रभाकर चौधरी एसपी बनाए गए हैं।
घटना के मूल में रहे कांग्रेस व सपा के सभी चेहरों को बेनकाब करेंगे : योगी
समिति के निष्कर्ष के आधार पर सीएम ने कहा कि सोनभद्र की घटना के मूल में कांग्रेस नेताओं द्वारा सहकारी समिति बनाकर ग्राम समाज की जमीन हथियाना मुख्य कारण बना। 17 जुलाई को घटित तात्कालिक घटना का कारण सपा नेता ग्राम प्रधान द्वारा विवादित भूमि पर जबरन कब्जा करने की कोशिश रहा। सरकार गरीबों, भूमिहीनों, जनजातियों की जमीन हड़पने के कांग्रेसी चेहरे को बेनकाब करेंगे।
सीएम ने बताया कि 10 अक्तूबर, 1952 को गठित आदर्श कृषि सहकारी समिति उभ्भा/सपही के मुख्य प्रवर्तक महेश्वर प्रसाद नारायण सिंह तथा प्रबंधक दुर्गा प्रसाद राय समेत 12 सदस्य थे। महेश्वर बिहार के कांग्रेसी नेता तथा यूपी के पूर्व राज्यपाल चंदेश्वर प्रसाद नारायण सिंह के चाचा थे। महेश्वर कांग्रेस से राज्यसभा सांसद व एमएलसी भी थे। 1989 में इसी सोसाइटी की भूमि का व्यकितगत नामों में अंतरण (ट्रांसफर) किया गया।
भूमिहीनों, वनवासियों में बंटेगी जमीन
सीएम ने बताया कि ग्राम सभा उभ्भा व सपही की 1300 बीघे जमीन आदर्श कृषक समिति से लेकर नियमानुसार ग्राम पंचायत के नाम की जाएगी। इसके बाद यह जमीन वहां के मूल निवासी भूमिहीन किसानों, गरीबों ,अनुसूचित जाति के परिवारों को दी जाएगी।
राजस्व उपसचिव ने दर्ज कराया केस, जीवित होने की जांच शुरू
सीएम के निर्देश पर राजस्व विभाग के उपसचिव गिरीश चंद्र ने इस मामले में तत्कालीन अफसरों समेत 29 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। ग्राम समाज की जमीन पर कब्जे व गलत तरीके से बेचने वाले इन आरोपियों के खिलाफ लापरवाही, धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज बनवाने समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है। क्षेत्राधिकारी हजरतगंज अभय कुमार मिश्रा ने बताया कि एफआईआर में कई ऐसे नाम भी शामिल हैं, जिनके जीवित होने की जानकारी नहीं है। पहचान की जा रही है। विवेचना के दौरान मृत लोगों के नाम हटा लिए जाएंगे।
प्रमुख अफसरों पर केस: 1955 में त्रुटिपूर्ण आदेश देने वाले तत्कालीन तहसीलदार, रॉबर्ट्सगंज श्रीकृष्ण मालवीय, 1989 में गलत आदेश पारित करने वाले तहसीलदार जय चंद्र सिंह, सहायक अभिलेख अधिकारी राजकुमार, तत्कालीन एसडीएम घोरावल विजय प्रकाश तिवारी, तत्कालीन अपर पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार दीक्षित समेत 15 अफसर।
दो आईएएस अफसर की पत्नियां : आईएएस अफसर प्रभात कुमार मिश्रा की पत्नी आशा व भानु प्रताप शर्मा की पत्नी विनीता शर्मा उर्फ किरन।
समिति के 12 सदस्य:आदर्श कृषि सहकारी समिति, उभ्भा व सपही के मुख्य प्रवर्तक महेश्वर, प्रबंधक दुर्गा प्रसाद राय के अलावा 10 अज्ञात सदस्य।
ये है कांग्रेस व सपा का कनेक्शन
कांग्रेसी कनेक्शन
सीएम ने बताया कि 10 अक्तूबर, 1952 को गठित आदर्श कृषि सहकारी समिति उभ्भा/सपही के मुख्य प्रवर्तक महेश्वर प्रसाद नारायण सिंह तथा प्रबंधक दुर्गा प्रसाद राय समेत 12 सदस्य थे। महेश्वर बिहार के कांग्रेसी नेता तथा यूपी के पूर्व राज्यपाल चंदेश्वर प्रसाद नारायण सिंह के चाचा थे। महेश्वर कांग्रेस से राज्यसभा सांसद व एमएलसी भी थे। 1989 में इसी सोसाइटी की भूमि का व्यकितगत नामों में अंतरण (ट्रांसफर) किया गया।
सपा कनेक्शन
17 जुलाई की घटना का मुख्य अभियुक्त ग्राम प्रधान यज्ञदत्त सपा के पूर्व विधायक रमेश चंद्र दुबे का करीबी रहा है। इसने पिछले चुनाव में सपा का प्रचार किया था।