अनुच्छेद 370 हटाने के बाद ही संभव था जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश बनाना
गृह मंत्री अमित शाह - फोटो : bharat rajneeti
खास बातें
- अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद 370 को हटाने का संकल्प पेश किया।
- नए संशोधन के तहत अनुच्छेद 370 के सभी खंड लागू नहीं होंगे। इसका केवल खंड एक रहेगा।
- शाह के संशोधन विधेयक पेश करने के बाद से विपक्षी दल हंमागा कर रहे हैं।
नरेंद्र मोदी सरकार ने कश्मीर को लेकर एतिहासिक फैसला लिया है। सरकार ने आज राज्यसभा में कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल पेश कर दिया है। जिसके तहत अनुच्छेद 370 का खात्मा किया जाएगा। गृह मंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड 1 के सिवा इस अनुच्छेद के सारे खंडों को रद्द करने की सिफारिश की। वहीं विपक्ष सरकार को घेरने के लिए तैया हैं। बिल के पेश होने के बाद से ही विपक्षी नेता सदन में हंगामा कर रहे हैं। जिसके बाद सदन को थोड़ी देर के लिए स्थगित करना पड़ा।
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- शाह ने कहा कि यह पहली बार नहीं है। 1952 और 1962 में कांग्रेस ने इसी तरह की प्रक्रिया के जरिए अनुच्छेद 370 में संशोधन किया। इसलिए विरोध करने के बजाय कृपया मुझे बोलने दें और चर्चा करें, आपके सभी संदेह और गलतफहमी दूर हो जाएंगे। मैं आप सभी के सवालों का जवाब देने के लिए तैयार हूं।
- लद्दाख से भाजपा सांसद जामयंग त्सेरिंग नामग्याल ने कहा, 'मैं लद्दाख में सभी की ओर से विधेयक का स्वागत करता हूं। यहां के लोग क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश बनाना चाहते थे। लद्दाख के लोग चाहते थे कि इस क्षेत्र को कश्मीर के प्रभुत्व और भेदभाव से मुक्त किया जाए, जो आज हो रहा है।'
- बसपा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने राज्यसभा में कहा, 'हमारी पार्टी पूरा साथ देगी। हम चाहते हैं कि यह बिल पास हो। हमारी पार्टी अनुच्छेद 370 और अन्य विधेयकों का कोई विरोध नहीं करेगी।'
- थोड़ी देर में प्रधानमंत्री मोदी देश को संबोधित कर सकते हैं।
- राज्यसभा के सभापति के वेंकैया नायडू के अनुसार पीडीपी के मिर फयाज और नजीर अहमद को सदन से जाने के लिए कहा गया है। दोनों ने संविधान को फाड़ने की कोशिश की।
- जम्मू कश्मीर से अलग हुआ लद्दाख। लद्दाख को भी केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया।
- जम्मू-कश्मीर अब नहीं रहा राज्य। उसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिल गया है।
- पीडीपी सांसद ने सदन में कुर्ता फाड़ लिया।
- सरकार ने विधान (जम्मू और कश्मीर के लिए आवेदन) आदेश 2019 जारी किया।
- अनुच्छेद 370 में अब सिर्फ खंड एक रहेगा।
- स्थगन के बाद फिर शुरू हुई राज्यसभा की कार्रवाई। विपक्षी दलों का हंगामा जारी है।
- शाह ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की सिफारिश की। जिसके बाद से राज्यसभा में विपक्षी दल काफी हंगामा कर रहे हैं।
- शाह ने कहा कि जिस दिन राष्ट्रपति इस विधेयक पर हस्ताक्षर करेंगे उस दिन से अनुच्छेद 370 के सभी खंड जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होगें।
- गुलाम नबी आजाद ने संसद में कहा, 'पूरी घाटी में इस समय कर्फ्यू है। राजनेता जिसमें तीन पूर्व मुख्यमंत्री शामिल हैं वह इस समय घर में नजरबंद हैं। राज्य में युद्ध जैसी स्थिति है। इसलिए इस पर प्राथमिकता से चर्चा होनी चाहिए।'
- कांग्रेस सांसद राहुल गांधी संसद भवन पहुंच गए हैं।
- गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा में जम्मू कश्मीर के नेताओं के नजरबंद होने का मुद्दा उठाया। विपक्ष ने इसपर काफी हंगामा किया। जिसके बाद गृहमंत्री ने कहा कि मैं सभी मुद्दों पर जवाब देने के लिए तैयार हूं।
- जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक संसद भवन में हुआ पेश।
- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह संसद भवन पहुंच गए हैं। अमित शाह थोड़ी ही देर में राज्यसभा में कश्मीर मसले पर सरकार का पक्ष रखेंगे।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद भवन पहुंच गए हैं।
- गृहमंत्री अमित शाह संसद भवन पहुंच गए हैं
- गृहमंत्री अमित शाह आज राज्यसभा में 11 बजे और लोकसभा में 12 बजे बयान देंगे।
विरोध जताते हुए कश्मीर से राज्यसभा के दो सांसदों ने हाथ पर काली पट्टी बांधी हुई है - फोटो : bharat rajneeti
विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने सोमवार को संसद भवन के अंदर बैठक की और जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा के हालात पर चर्चा की। यह बैठक ऐसे समय पर हुई जब अटकलें तेज है कि कैबिनेट बैठक में राज्य को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है। विपक्षी पार्टियों ने कश्मीर मसले पर चर्चा के लिए लोकसभा और राज्यसभा में स्थगन प्रस्ताव दिया है। सीपीआई, सीपीआई (एम), आरजेडी, आप, टीएमसी, डीएमके के नेताओं ने बैठक में हिस्सा लिया। वहीं राज्यसभा में पीडीपी में के सांसदों ने कश्मीर मसले को लेकर विरोध प्रदर्शन किया।
सियासी हलचल को अनुच्छेद 35 ए, अनुच्छेद 370, राज्य में परिसीमन, राज्य को तीन हिस्से में बांटने जैसे कई मुद्दों से जोड़ा जा रहा है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि इस सियासी हलचल का कश्मीर से कोई लेना देना नहीं है। सरकार वहां विधानसभा चुनाव से पहले इन मुद्दों पर हाथ नहीं डालेगी। मामला पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) सहित सीमा पार के दूसरे मामलों से जुड़ा है।
भविष्य में इसी से जुड़े मुद्दों पर सरकार कोई बड़ा फैसला कर सकती है। जहां तक घाटी में सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ाने की बात है तो यह स्वतंत्रता दिवस को ले कर है। गौरतलब है कि दशकों बाद पहली बार घाटी के गांव गांव में तिरंगा झंडा फहराए जाने की संभावना है।
राज्य को विशेष दर्जे की गारंटी देने वाले सांविधानिक प्रावधानों को रद्द करने, परिसीमन करने या राज्य के तीन हिस्सों में बंटवारे की कोशिश से जुड़े किसी कदम का राज्य की क्षेत्रीय पार्टियों ने विरोध करने का एलान किया है।
नेकां प्रमुख डॉ. फारूक अब्दुल्ला के आवास पर रविवार शाम हुई सर्वदलीय बैठक में सर्वसम्मति से यह फैसला किया गया। पहले यह बैठक पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के आवास पर होनी थी, लेकिन डॉ. अब्दुल्ला की खराब सेहत की वजह से बैठक उनके आवास पर ही हुई।
बैठक में पारित प्रस्तावों को गुपकार घोषणापत्र का नाम दिया गया है। बैठक के बाद नेकां प्रमुख डॉ. अब्दुल्ला ने बताया कि पार्टियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात के लिए प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला किया है। प्रतिनिधिमंडल इन सभी को अनुच्छेद 370 और 35ए को रद्द करने की किसी कोशिश के परिणामों से अवगत कराएगा।