चार धाम हाईवे परियोजना को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी, एनजीटी का आदेश पलटा

kedarnath, char dham yatra : bharat rajneeti
खास बातें
- उच्चाधिकार प्राप्त समिति के गठन का निर्देश, चार महीने में रिपोर्ट देने का आदेश
- पर्यावरण व वन मंत्रालय को 22 अगस्त तक इस समिति का गठन करने का निर्देश
- समिति इस पर विचार करेगी कि चार धाम परियोजना से क्या प्रभाव पड़ सकता है
गैर सरकारी संगठन सिटीजंस फॉर ग्रीन दून ने एनजीटी के पिछले साल 26 सितंबर के आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। एनजीटी ने व्यापक जनहित को देखते हुए इस परियोजना को मंजूरी दी थी। एनजीओ का दावा है कि इस परियोजना से इस क्षेत्र की पारिस्थितिकी को होने वाले नुकसान की भरपाई नहीं हो सकेगी।
पीठ ने उच्चाधिकार प्राप्त समिति में देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान के एक प्रतिनिधि, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के देहरादून स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के एक प्रतिनिधि, अहमदाबाद स्थित केंद्र सरकार के अंतरिक्ष विभाग से भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के एक प्रतिनिधि, सीमा सड़क मामलों से संबंधित रक्षा मंत्रालय के एक प्रतिनिधित्व को शामिल करने को कहा है। पीठ ने समिति को चार महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा है।
समिति इस पर विचार करेगी कि चार धाम परियोजना से क्या प्रभाव पड़ सकता है। समिति तीन-तीन महीने पर बैठक करेगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि परियोजना के निर्माण में पर्यावरण मानकों का ध्यान रखा जा रहा है या नहीं। साथ ही बैठक में आगे की रणनीति भी तैयार की जाएगी।
समिति इस बात पर भी गौर करेगी कि इस परियोजना का पर्यावरण और सामाजिक जीवन पर कम से कम प्रतिकूल असर पड़े। साथ ही समिति परियोजना के निर्माण से निकलने वाले कचड़े के सुरक्षित निस्तारण के लिए जगह की पहचान करेगी। साथ ही इसकी वजह से पेड़, वन क्षेत्र, जन स्रोतों के नुकसान का भी आकलन करेगी।