कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में ममता से हाथ मिलाने के दिए संकेत, राहुल गांधी से हुई बातचीत

कांग्रेस और टीएमसी के बीच 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान गठबंधन तब हुआ था जब सीपीआईएम पार्टियों ने भारत-अमेरिका परमाणु समझौते को लेकर अपना समर्थन वापस ले लिया था। पार्टियों ने 2011 का विधानसभा चुनाव भी साथ लड़ा था लेकिन 2013 में कुछ मसलों को लेकर वह अलग हो गए थे। एक सूत्र ने बताया कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी से कहा है कि उसे बंगाल में अपनी रणनीति को लेकर दोबारा सोचना चाहिए।
पश्चिम बंगाल तीसरा सबसे ज्यादा सीटों वाला राज्य है। यह लोकसभा में 42 प्रतिनिधियों को भेजता है। सूत्र ने कहा, '2016 के राज्य विधानसभा चुनावों में हमने वाम दलों के साथ भागीदारी की लेकिन कम्युनिस्ट पार्टी अलग हो गई। हमें यह बात स्वीकार करनी होगी कि राज्य में भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस अकेले काफी नहीं है।' लोकसभा चुनाव के दौरान तृणमूल को राज्य का 43.3 प्रतिशत वोट मिला। वहीं भाजपा के हिस्से में लगभग 40.3 प्रतिशत वोट आए। वहीं सीपीआई का हिस्सा घटकर 6.3 और कांग्रेस का 5.6 प्रतिशत रह गया।
सीटों की बात करें तो सीपीएम को 2019 के लोकसभा चुनाव में 22 सीटें मिलीं जबकि 2014 में यह संख्या 34 थी। वहीं भाजपा को 2014 में जहां दो सीटे मिली थीं वहीं 2019 में उसने यहां से 18 सांसदों को लोकसभा भेजा है। वामदल राज्य में अपना खाता तक नहीं खोल सके जबकि कांग्रेस के हिस्से में दो सीटें आईं। गांधी ने बनर्जी के साथ इसलिए बात की क्योंकि दोनों पार्टियां गठबंधन को इच्छुक हैं।
ममता बनर्जी के दो करीबी नेताओं के अनुसार मुख्यमंत्री ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और आनंद शर्मा के साथ बातचीत का बातचीत का रास्ता खुला रखा है। गांधी के साथ अपनी बैठक को लेकर कल्याण बनर्जी ने कहा, 'मैंने उनसे कहा कि कांग्रेस की तरह हम भी भाजपा को मुख्य दुश्मन मानते हैं। लेकिन मैंने उनसे कहा कि जहां वे सहयोग बढ़ाना चाहते हैं वहीं कांग्रेस के लोकसभा नेता अधीर रंजन चौधरी और प्रदेश अध्यक्ष सोमेन मित्रा सहित कई अन्य नेता तृणमूल के विरुद्ध हैं।'