दावा : दसवीं-बारहवीं पास भी मरीज को दे सकेगा एलोपैथी दवा - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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सोमवार, 5 अगस्त 2019

दावा : दसवीं-बारहवीं पास भी मरीज को दे सकेगा एलोपैथी दवा

दावा : दसवीं-बारहवीं पास भी मरीज को दे सकेगा एलोपैथी दवा

एनएमसी बिल का विरोध
एनएमसी बिल का विरोध - फोटो : bharat rajneeti
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विधेयक के सेक्शन 32 को लेकर जहां देश भर में डॉक्टर विरोध पर हैं। वहीं विधेयक लागू होने से पहले मार्केट में आए नए कोर्स ने एक बड़ी बहस पैदा कर दी है। इन कोर्स के जरिए दावा किया जा रहा है कि दसवीं और बारहवीं पास एलोपैथी प्रैक्टिस कर सकता है। 
कोर्स करने के बाद देश के ग्रामीण अंचलों में एलोपैथी प्रैक्टिस की जा सकती है। प्रैक्टिस के तहत मरीजों को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से मान्यता प्राप्त आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल दवाओं को देने का अधिकार मिलता है। इतना ही नहीं विधेयक अभी लागू भी नहीं हुआ और कई राज्यों में नेक्सट परीक्षा की तैयारी कराने के लिए कोचिंग संस्थानों के विज्ञापन भी आना शुरू हो गए हैं।  

करीब 18 माह की अवधि वाले इस सीएमएस एंड ईडी (एलोपैथी) कोर्स को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और सुप्रीम कोर्ट से मंजूर भी बताया जा रहा है। हिंदी और अंग्रेजी दोनों माध्यम के जरिए इस कोर्स के तहत एनॉटमी, फिजियोलॉजी, पैथोलॉजी, प्रैक्टिस ऑफ मेडिसिन और हेल्थ एंड हाइजीन इत्यादि विषयों को पढ़ाया जाएगा। प्रैक्टिसिंग पैथोलॉजिस्ट्स सोसायटी की ओर से इस कोर्स को सोशल मीडिया पर प्रचारित भी किया जा रहा है। इसे लेकर सोशल मीडिया पर दिल्ली एम्स से लेकर तमाम चिकित्सीय संगठनों ने सवाल भी खड़े किए हैं। 

प्रवेश के लिए दिए नंबरों पर जब अमर उजाला ने संपर्क किया तो जबाव नहीं मिला। इंटरनेट पर की पड़ताल में कई वेबसाइट्स भी ऐसी सामने आई हैं जो इन कोर्स को कानून के अनुसार ही संचालित करने का दावा कर रही हैं। 

इन वेबसाइट्स पर दिए नंबरों पर जब फोन लगाया तो कहीं से भी जबाव नहीं मिला। इसके बाद जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से इसे लेकर जानकारी मांगी गई तो मंत्रालय ने इस तरह के कोर्स को लेकर फिलहाल सरकार के स्तर पर कोई मंजूरी नहीं देने की पुष्टि की है। साथ ही इसकी जल्द जांच कराने की जानकारी भी दी है।


एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस उद्योग के फोरम कोर्डिनेटर राजीव नाथ का कहना है कि स्वास्थ्य कर्मचारियों को डॉक्टर में मिश्रित करने का ये जरिया उचित नहीं है। वहीं फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के डॉ. सुनील बताते हैं कि इन्हीं चीजों को लेकर पूरे देश का डॉक्टर आज विरोध में खड़ा है। हड़ताल पर जाने की वजह भी यही है। दसवीं या बारहवीं पास को एलोपैथी प्रैक्टिस कराने से करोड़ों लोगों की जान को जोखिम में डालना है। 


दिल्ली एम्स के डॉ. विजय गुर्जर का कहना है कि इस तरह के कोर्स का मतलब सफेद कोट पहनाकर जनता को मूर्ख बनाना है। एक ओर देश में सुपर स्पेशलिटी केयर की बात हो रही है तो दूसरी ओर ग्रामीण अंचलों में इस तरह के प्रैक्टिस करने वालों के बैठने से परिणाम क्या होंगे? 

ये हर कोई समझ सकता है। एनएमसी के सेक्शन 32 को सरकार अब तक स्पष्ट नहीं कर रही है। ब्रिज कोर्स के जरिए एमबीबीएस का सर्टिफिकेट देने पर उतारू है। उनका कहना है कि इस तरह के कोर्स फर्जी हैं। इनसे लोगों को बचना चाहिए। 

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