उन्नाव कांडः एक साथ चलेगा पिता की हिरासत में मौत और फर्जी केस का मुकदमा

3 अप्रैल 2018 को दुष्कर्म पीड़िता के पिता की विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई अतुल सेंगर ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर बेरहमी से पिटाई की थी। विधायक के दबाव में पुलिस ने उसी के पास से तमंचा की बरामदगी दिखाकर उसी पर आर्म्स एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ठीक से इलाज कराए बिना ही उसे जेल भेज दिया। 8 अप्रैल को पिटाई से आई चोटों से पीड़िता के पिता की जेल में हालत बिगड़ी। जेल प्रशासन ने उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। उस वक्त हुई सीबीआई की जांच में पीड़िता के पिता को फर्जी तरीके से जेल भेजे जाने के मामले में माखी थाना प्रभारी अशोक सिंह भदौरिया और बीट प्रभारी कामता प्रसाद सिंह पर मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेजा गया था। रायबरेली की घटना के बाद से सभी मामलों की सुनवाई दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में हो रही है। मंगलवार को दिल्ली कोर्ट ने विधायक उसके भाई समेत तत्कालीन माखी थाना प्रभारी अशोक सिंह भदौरिया, दारोगा कामता प्रसाद व कांस्टेबल आमिर समेत दस पर आरोप तय कर दिए हैं। इस आदेश के बाद दागी पुलिस कर्मियों की मुश्किलें और बढ़ गई है।
जमानत पर हैं पुलिसकर्मी
जेल गए तत्कालीन एसओ अशोक सिंह भदौरिया व दारोगा कामता प्रसाद वर्तमान में जमानत पर बाहर हैं। इन्हें बहाल भी कर दिया गया है। वर्तमान में दोनों पुलिस कर्मियों की लाइन में ही तैनाती है।
ये पुलिस कर्मी हुए थे निलंबित
दुष्कर्म पीड़िता के पिता की पिटाई और मौत के मामले में सफीपुर के तत्कालीन सीओ कुंवर बहादुर सिंह, एसओ अशोक सिंह भदौरिया, दारोगा केपी सिंह, हेडकांस्टेबल रामराज शुक्ला, कांस्टेबल लक्ष्य कुमार शुक्ला, मोहित कुमार, आमिर व अशोक सेन को निलंबित किया गया था।