गोमती नदी में 34 गुना अधिक मिला ये खतरनाक बैक्टीरिया, शोधन के बाद भी पानी इस्तेमाल लायक नहीं
गोमती नदी में गिर रहा नाले का पानी। : bharat rajneeti
राजधानी में गोमती का पानी शोधन के बाद भी इस्तेमाल करने लायक नहीं बचा है। यह हाल नालों का पानी बिना ट्रीटमेंट के सीधे नदी में गिराने से हुआ है। इससे पेट की बीमारियों के लिए जिम्मेदार खतरनाक कॉलीफोर्म बैक्टीरिया ट्रीटमेंट को लिए जाने वाले पानी के मानक से 34 गुना अधिक तक मिल रहा है।
यूपीपीसीबी के 2019 में अभी तक लिए नमूनों की मासिक रिपोर्ट के मुताबिक हालात बेहद खराब मिले हैं। जनवरी से जुलाई तक के आंकड़ों के मुताबिक केवल कॉलीफोर्म ही नहीं पानी में जलीय जीवन बनाए रखने के लिए जरूरी घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा भी न्यूनतम हो गई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जलीय जीवन ही नदी के पानी के शुद्ध और प्रदूषणमुक्त होने का संकेत होता है। पानी में ऑक्सीजन नहीं होगी तो जलीय जीवन बच नहीं पाएगा।पेट के लिए खतरनाक कॉलीफोर्मयूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. राम करन का कहना है कि कॉलीफोम की अधिक मात्रा पेट की बीमारी का कारण बन सकती है। यूपीपीसीबी लगातार इसकी निगरानी करता है। बिना ट्रीटमेंट नाले से नदी में गिरते सीवर से यह बैक्टीरिया बढ़ रहा है। बारिश का भी नहीं दिख रहा असरआलम यह है कि जुलाई में हुई बारिश के बाद भी नदी का प्रदूषण कम नहीं हुआ। बाकी महीनों की तरफ जुलाई में भी प्रदूषण बढ़ा हुआ ही बना है। ऑक्सीजन की कमी भी इस बीच सबसे अधिक है।
गोमती में प्रदूषण का हाल बयां करते आंकड़े
टोटल कॉलीफोर्म
महीना अपस्ट्रीम डाउनस्ट्रीम
जनवरी 3400 110000
फरवरी 4000 160000
मार्च 4700 110000
अप्रेल 5800 170000
मई 5400 170000
जून 7900 160000
जुलाई 22000 170000
(आंकड़े एमपीएन प्रति 100 मिलीली में हैं। ट्रीटमेंट कर उपयोग करने को इसकी मात्रा 5000 से कम होनी चाहिए।)
बीओडी (बायो ऑक्सीजन डिमांड)
महीना अपस्ट्रीम डाउनस्ट्रीम
जनवरी 2.60 18.60
फरवरी 3.00 22.00
मार्च 3.00 18.00
अप्रेल 3.20 18.00
मई 3.10 16.60
जून 3.40 8.60
जुलाई 5.20 10.50
(आंकड़े एमपीएन मिलीग्राम प्रतिली में हैं। ट्रीटमेंट कर उपयोग करने को इसकी मात्रा तीन से कम होनी चाहिए।)
डीओ (डिजॉल्वड ऑक्सीजन)
महीना अपस्ट्रीम डाउनस्ट्रीम
जनवरी 11.30 2.20
फरवरी 9.00 1.30
मार्च 8.80 1.60
अप्रेल 6.20 2.00
मई 6.40 1.74
जून 6.10 1.50
जुलाई 3.24 1.82
(आंकड़े एमपीएन मिलीग्राम प्रति ली में हैं। ट्रीटमेंट कर उपयोग करने के लिए इसकी मात्रा चार से अधिक होनी चाहिए।)