इसरो को चाहिए आपके बनाए सैटेलाइट्स, जानें अब तक स्टूडेंट्स द्वारा तैयार कितने उपग्रह अंतरिक्ष में गए
इसरो : bharat rajneeti
खास बातें
- इसरो ने अपने कई मिशनों में देश के यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स द्वारा तैयार उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे
- इसरो अध्यक्ष ने कहा है- देश के सभी छात्रों के लिए खुले हैं इसरो के दरवाजे
- आपके द्वारा बनाया गया उपग्रह भी जा सकता है अंतरिक्ष में
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation - ISRO) के 50 साल पूरे हो रहे हैं। वर्ष 1969 में स्थापना के बाद से इसरो ने कई मिशन लॉन्च किए हैं। सैकड़ों उपग्रह (Satellite) अंतरिक्ष में भेजे हैं। इनमें ऐसे उपग्रह भी शामिल हैं जो हमारे देश के होनहार कॉलेज स्टूडेंट्स द्वारा बनाए गए।
क्या आप जानते हैं कि इसरो ने पहली बार कब भारत के किसी छात्र द्वारा बनाया उपग्रह अंतरिक्ष में भेजा था? क्या आपको पता है कि अब तक ऐसे कितने उपग्रह इसरो द्वारा अंतरिक्ष में भेजे जा चुके हैं? क्या आप उन उपग्रहों के बारे में जानते हैं जिन्हें हमारे देश के होनहार छात्रों ने बनाया है? ये छात्र किस कॉलेज / विश्वविद्यालय से पढ़े हैं?
यहां आपको इन सभी सवालों के जवाब मिलेंगे।
- छात्रों का बनाया पहला उपग्रह जो अंतरिक्ष में गया आज से करीब 10 साल पहले देश के छात्रों द्वारा बनाया पहला उपग्रह अंतरिक्ष में भेजा गया था।
- इसरो ने पहली बार साल 2009 में किसी कॉलेज के छात्रों द्वारा तैयार किए गए उपग्रह का प्रक्षेपण किया था।
- इस उपग्रह का नाम था अनुसैट (ANUSAT)। पूरा नाम- अन्ना यूनिवर्सिटी सैटेलाइट। विश्वविद्यालय छात्रों ने इसरो के मार्गदर्शन में यह उपग्रह तैयार किया था।
- 40 किलोग्राम वजनी इस उपग्रह को 20 अप्रैल 2009 को पीएसएलवी-सी12 रीसैट-2 (PSLV-C12 / RISAT-2) से लॉन्च किया गया था।
2009 से 2019 तक छात्रों के बनाए कौन-कौन से उपग्रह अंतरिक्ष में गए
कलामसैट बनाने वाले स्टूडेंट्स के साथ इसरो अध्यक्ष के. सिवन - फोटो : bharat rajneeti
20 अप्रैल 2009 में अनुसैट के बाद कॉलेज / विश्वविद्यालय छात्रों द्वारा बनाए गए कौन-कौन से उपग्रह कब-कब अंतरिक्ष में भेजे गए, इसकी पूरी जानकारी नीचे दी जा रही है।
1. स्टुडसैट (STUDSAT)
- अनुसैट के बाद छात्रों द्वारा बनाया गया दूसरा उपग्रह स्टुडसैट (STUDSAT) था, जिसे इसरो ने अंतरिक्ष में भेजा।
- यह उपग्रह कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के सात इंजीनियरिंग कॉलेजों के विद्यार्थियों द्वारा मिलकर बनाया गया था।
- एक किलोग्राम से भी कम वजन वाले इस उपग्रह को 12 जुलाई 2010 को कार्टोसैट-2बी से लॉन्च किया गया।
- इसका मुख्य उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों में स्पेस टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देना था।
2. एसआरएमसैट (SRMSat)
- इसे एसआरएम यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स और फैकल्टी ने मिलकर तैयार किया था।
- इसका उद्देश्य वातावरण में प्रदूषण के स्तर और ग्लोबल वॉर्मिंग के कारणों का पता लगाना था।
- 10.9 किलोग्राम वजनी इस उपग्रह को 12 अक्टूबर 2011 को मेघा ट्रॉपिक्स से लॉन्च किया गया था।
3. जुगनू (JUGNU)
- यह एक नैनो-सैटेलाइट (सूक्ष्म उपग्रह) था, जिसे आईआईटी कानपुर के छात्रों ने इसरो के मार्गदर्शन में तैयार किया था।
- करीब 3 किलोग्राम वजन वाले इस उपग्रह को 12 अक्टूबर 2011 को एसआरएमसैट के साथ ही मेघा ट्रॉपिक्स से लॉन्च किया गया था।
- इसका काम खुद के बनाए कैमरे से पृथ्वी की तस्वीरें लेना, जीपीएस रिसीवर और अंतरिक्ष में एमईएमएस आधारित इनर्शियल मेजरमेंट यूनिट का परीक्षण करना था।
4. सत्यभामासैट (SATHYABAMASAT)
- चेन्नई की सत्यभामा यूनिवर्सिटी के छात्रों ने यह उपग्रह बनाया था।
- इसका काम ग्रीन हाउस गैसों (कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डायऑक्साइड, मीथेन, हाइड्रोजन फ्लोराइड) के बारे में आंकड़े एकत्रित करना था।
- 1.5 किलोग्राम वजनी इस उपग्रह को 22 जून 2016 को कार्टोसैट-2 सीरीज से लॉन्च किया गया था
5. स्वयं (SWAYAM)
- स्वयं पुणे स्थित कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों द्वारा बनाया गया उपग्रह था।
- इसका काम था HAM कम्युनिटी को प्वॉइंट टू प्वॉइंट मैसेज भेजने की सेवा प्रदान करना।
- एक किलो वजन वाले इस उपग्रह को 22 जून 2016 को कार्टोसैट-2 सीरीज के जरिए सत्यभामासैट के साथ ही अंतरिक्ष में भेजा गया था।
6. प्रथम (PRATHAM)
- आईआईटी बॉम्बे के विद्यार्थियों द्वारा बनाए गए इस उपग्रह को 26 सितंबर 2016 को इसरो ने अंतरिक्ष में भेजा।
- इसका काम था भारत और पेरिस (फ्रांस) के ऊपर कुल इलेक्ट्रॉन काउंट का पता लगाना।
- इस 10 किलोग्राम वजन वाले उपग्रह को 26 सितंबर 2016 को स्कैटसैट-1 से प्रक्षेपित किया गया था।
7. पाईसैट (PISAT)
- पीईएस (PES) यूनिवर्सिटी, बेंगलुरू और इसके संबद्ध संस्थानों के छात्रों द्वारा बनाया गया उपग्रह।
- इसका उद्देश्य था रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशंस विकसित करना।
- 5.25 किलोग्राम वजन वाला यह उपग्रह 26 सितंबर 2016 को स्कैटसैट-1 से प्रथम के साथ ही प्रक्षेपित किया गया।
8. नियूसैट (NIUSAT)
- इस उपग्रह को तमिलनाडू स्थित नूरूल इस्लाम विश्वविद्यालय (NIU) के छात्रों ने बनाया।
- इसका काम था अंतरिक्ष से कृषि, फसलों की इमेजरी मॉनिटरिंग करना और आपदा प्रबंधन में मदद करना।
- इस 15 किलोग्राम वजन वाले उपग्रह को 23 जून 2017 को कार्टोसैट-2 सीरीज से लॉन्च किया गया।
9. कलामसैट वी-2 (Kalamsat V-2)
- इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे छात्रों ने यह उपग्रह बनाया। इसका नाम पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखा गया।
- इसे इसरो ने 24 जनवरी 2019 को भारतीय सेना के उपग्रह माइक्रोसैट के साथ लॉन्च किया था।
आप कैसे पहुंचाएं इसरो तक अपना बनाया उपग्रह
इसरो अब तक छात्रों द्वारा तैयार 10 उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा है। जनवरी 2019 में जब कलामसैट को अंतरिक्ष में भेजा गया, तब इसरो अध्यक्ष के. सिवन ने कहा था कि 'भारत के सभी छात्रों के लिए इसरो के दरवाजे खुले हैं। आप हमारे पास अपने उपग्रह लेकर आएं और हम उसे आपके लिए लॉन्च करेंगे। चलिए...हम भारत को एक वैज्ञानिक देश बनाते हैं'।
इसलिए, अगर आपने भी ऐसा कोई उपग्रह बनाया है तो बिना संकोच किए उसके बारे में इसरो को बताएं। देश के कई होनहार छात्रों द्वारा बनाए इस कीर्तिमान में आपका नाम भी जुड़ सकता है।