इस्लामिक कानून के तहत भी बाबरी मस्जिद वैध नहीं : हिंदू पक्षकार - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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शनिवार, 31 अगस्त 2019

इस्लामिक कानून के तहत भी बाबरी मस्जिद वैध नहीं : हिंदू पक्षकार

इस्लामिक कानून के तहत भी बाबरी मस्जिद वैध नहीं : हिंदू पक्षकार

Babri Masjid not valid even under Islamic law

खास बातें

  • इस्लामिक कानून के तहत भी बाबरी मस्जिद वैध नहीं : हिंदू पक्षकार   
  • राजपत्र में जिक्र, हिंदुओं ने जन्मस्थान वापस हासिल किया
  • सुनवाई के 16वें दिन हिंदू पक्षकारों की ओर से बहस पूरी
  • हिंदू महासभा ने कहा, संविधान आने के बाद बाबर के कृत्य को जारी नहीं रख सकते  
  • तो क्या हवाईअड्डे पर भी करेंगे कब्जे का दावा
हिंदू पक्षकारों ने इस्लामिक कानून का हवाला देकर कहा है कि विवादित जगह पर स्थित मस्जिद को कतई वैध नहीं ठहराया जा सकता। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में पक्षकारों के वकील ने कहा, बाबर आक्रांता था इसलिए उसके कार्यों को न्यायसंगत नहीं कह सकते। संविधान आने के बाद उसके कृत्य को जारी नहीं रखा जा सकता। उन्होंने दस्तावेज और साक्ष्यों के आधार पर विवादित स्थल को भगवान राम का जन्मस्थान साबित करने की कोशिश की। साथ ही कहा कि वहां अनंतकाल से हिन्दू पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं।

हिंदू पक्षकारों ने कहा, इस मामले में हिंदू कानून मान्य है। लिहाजा, इसका निपटारा शरीयत और हिंदू कानून के आधार पर हो। इसके साथ ही राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई के 16वें दिन हिन्दू पक्षकारों की दलीलें पूरी हो गईं। अब सोमवार को सुन्नी वक्फ बोर्ड अपना पक्ष रखेगा। 

हिन्दू महासभा के वकील हरिशंकर जैन ने कहा, 1885 से पहले विवादित जगह पर मस्जिद को लेकर कोई चर्चा नहीं होती थी। 1528 से 1855 के बीच का ऐसा कोई दस्तावेज और मौखिक साक्ष्य नहीं है, जो यह बताए कि विवादित स्थल पर मस्जिद थी। एक दस्तावेज आइन-ए-अकबरी में मस्जिद का एक बार भी जिक्र नहीं है। इस किताब में वहां हिंदुओं द्वारा पूजा करने और रामनवमी मनाने समेत कई बातों का जिक्र है।

जैन के मुताबिक, 1949 में भारतीय संविधान से पहले हिंदुओं ने फिर से विवादित जगह को हासिल कर लिया था। ऐसे में संविधान के अनुच्छेद-13(1) के तहत उन्हें सभी अधिकार प्राप्त हो गए। सभी पाबंदियां शून्य हो गईं।

राजपत्र में जिक्र, हिंदुओं ने जन्मस्थान वापस हासिल किया

जैन ने संविधान पीठ के समक्ष कहा, 1770 तक मुस्लिम इतिहासकारों ने भी मस्जिद का जिक्र नहीं किया। 1877-78 के राजपत्र में यह जिक्र किया गया कि हिंदुओं ने जन्मस्थान को फिर से हासिल कर लिया। अंग्रेजों ने विवादित स्थल पर रेलिंग लगाई जिसके  बाद  विवाद शुरू हुआ। 1855 से हिंदुओं के अधिकारों पर पाबंदी लगी। ब्रिटिश काल में पूजा के अधिकार को कम कर दिया गया।

तो क्या हवाईअड्डे पर भी करेंगे कब्जे का दावा

बकौल जैन, यह भी कहा जा रहा है कि विवादित स्थल पर मुस्लिम नमाज पढ़ने जाते थे लेकिन वहां नमाज के लिए जाना कोई मायने नहीं रखता, क्योंकि वह हिंदू मंदिर था। जैन ने सवाल दागते हुए कहा कि अगर हवाईअड्डे पर भी नमाज के लिए जगह होती तो क्या वह उस जगह पर कब्जे का दावा कर सकते हैं? 

उधर, शिया वक्फ बोर्ड ने पीठ के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए कहा कि 1936 तक विवादित जगह उनके कब्जे में भी थी लेकिन किसी ने चुनौती नहीं दी। 1936 के एक्ट के बाद शिया वक्फ और सुन्नी वक्फ के बीच विवाद शुरू हुआ।

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