जम्मू-कश्मीर फैसले को लेकर मेरठ में अलर्ट, चप्पे-चप्पे पर पुलिस फोर्स तैनात, पीएससी व आरएएफ बुलाई
गृह मंत्री अमित शाह - फोटो : bharat rajneeti
कश्मीर को लेकर बीते दिनों से जारी अफवाहों के दौर के बीच जहां केंद्र सरकार के स्तर पर हुई इस हलचल से तस्वीर साफ हो गई है। नरेंद्र मोदी सरकार ने कश्मीर को लेकर ऐतिहासिक फैसला लिया है।
सरकार ने आज राज्यसभा में कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल पेश कर दिया है। जिसके तहत धारा 370 का खात्मा किया जाएगा। वहीं विपक्ष सरकार को घेरने के लिए तैया हैं। बिल के पेश होने के बाद से ही विपक्षी नेता सदन में हंगामा कर रहे हैं।
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शाह ने कश्मीर से धारा 370 हटाने की सिफारिश की। जिसके बाद से राज्यसभा में विपक्षी दल काफी हंगामा कर रहे हैं। शाह ने कहा कि जिस दिन राष्ट्रपति इस विधेयक पर हस्ताक्षर करेंगे उस दिन से धारा 370 के सभी खंड जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होगें। वहीं देश में सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा को देखते हुए जहां घाटी में आर्मी के जवानों की तैनाती बढ़ा दी है।
वहीं मेरठ में भी सभी संवेदनशील इलाकों में पुलिस फोर्स तैनात किया गया है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार आरएएफ और पीएसी को भी बुलाया गया है। इससे पहले आरएएफ की 108 बटालियन को शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पहले ही जम्मू कश्मीर भेजा जा चुका है।
इस फैसले के तहत अब जम्मु कश्मीर अब अलग राज्य नहीं होगा बल्कि केंद्र शासित प्रदेश होगा। साथ ही लद्दाख को जम्मु कश्मीर से अलग कर दिया गया है।
अनुच्छेद 370 के हटने से क्या होगा?
कश्मीर में अनुच्छेद 370 के प्रावधान 17 नवंबर 1952 से लागू हैं। ये अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर और यहां के नागरिकों को कुछ अधिकार और सुविधाएं देती है, जो देश के अन्य हिस्सों से अलग है। अगर सरकार अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर से हटा देती है, तो यहां के नागरिकों को मिलने वाले वो सभी अधिकार खत्म हो जाएंगे। जानें, वो कौन सी अहम चीजें हैं जो बदल जाएंगी।
- अभी जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता है। इस राज्य का अपना झंडा भी है। 370 हटने से ये चीजें खत्म हो जाएंगी।
- जम्मू-कश्मीर में भारत के राष्ट्रीय ध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं माना जाता है। लेकिन 370 हटने से देश के अन्य हिस्सों की तरह यहां भी ये गतिविधियां अपराध की श्रेणी में आएंगी।
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश फिलहाल जम्मू-कश्मीर में मान्य नहीं होते। बाद में वहां के नागरिकों को भी शीर्ष अदालत के आदेश मानने होंगे।
- रक्षा, विदेश, संचार छोड़कर अन्य मामलों में अभी जम्मू-कश्मीर विधानसभा की सहमित के बिना वहां केंद्र का कानून लागू नहीं किया जा सकता। लेकिन 370 हटा दिए जाने के बाद केंद्र सरकार अपने कानून वहां भी लागू कर सकेगी।
- फिलहाल जम्मू-कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का होता है। अनुच्छेद 370 हटने से वहां भी अन्य सभी राज्यों की तरह विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्षों का किया जा सकेगा।
- फिलहाल कश्मीर में हिंदू-सिख अल्पसंख्यकों को 16 फीसदी आरक्षण नहीं मिलता। अनुच्छेद 370 हटने से वहां भी अल्पसंख्यकों को आरक्षण का लाभ मिल सकेगा।