ठीक से नहीं बदला करेंसी नोट और सिक्कों का स्वरूप, दृष्टि बाधितों को होती है दिक्कत: हाईकोर्ट
प्रतीकात्मक तस्वीर - फोटो : bharat rajneeti
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि करेंसी नोटों और सिक्कों का आकार प्रकार बदलना प्राय: ठीक नहीं होता क्योंकि जो लोग नहीं देख सकते उन्हें नोटों और सिक्कों का आकार प्रकार समझने में सालों का वक्त लग सकता है। मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंदराजोग और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की खंडपीड ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से कहा है कि वह दो सप्ताह में बताया कि ये बदलाव प्राय: क्यों कर दिये जाते हैं।
इस मामले में अदालत नेशनल एसोसिएशन ऑफ ब्लाइंड की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें दावा किया गया है कि नई करेंसी और सिक्के को लेकर उन लोगों को बहुत मुश्किल आती है जो देख नहीं सकते। अदालत ने गत एक अगस्त को इस मामले में आरबीआई को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा था। गुरुवार को हुई सुनवाई में आरबीआई ने कहा कि उसे आंकड़े जमा करने के लिये और समय चाहिये।
इस पर अदालत ने कहा कि वह केवल यह जानना चाहती है कि रंग और आकार और दूसरी चीजें बदलने की वजह क्या है। खंडपीठ ने कहा कि आरबीआई का दावा है कि नई करेंसी के नोट जारी करने और पुरानी के स्वरूप में बदलाव की वजह जाली मुद्रा का चलन है। हालांकि नोटबंदी के बाद से आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि इस दावे में कोई सचाई नहीं हैं क्योंकि सभी मुद्रित नोट वापस आ चुके हैं।