चंद्रयान-2 का अब तक का सफर, पहले 2013 में होना था लॉन्च, रूस की वजह से हुई देरी - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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शनिवार, 7 सितंबर 2019

चंद्रयान-2 का अब तक का सफर, पहले 2013 में होना था लॉन्च, रूस की वजह से हुई देरी

चंद्रयान-2 से इसरो मुख्यालय का संपर्क लैंडिंग के आखिरी कुछ मिनटों में टूट गया। इसरो चीफ के सिवन ने बताया कि चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर पहले विक्रम लैंडर से हमारा संपर्क टूट गया।इसरो मुख्यालय में मौजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों को हिम्मत देते हुए कहा कि आपने जो किया, वह कम बड़ी उपलब्धि नहीं है। जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि आप छोटी-छोटी गलतियों से सीखते हैं। आपने देश की और मानव जाति की बड़ी सेवा की है।

chandrayaan 2 journey
आइए एक नजर में देखते हैं चंद्रयान-2 का अब तक का पूरा सफर...
  • मिशन चंद्रयान-2 की नींब नवंबर 2007 में ही पड़ गई थी, जब चंद्रयान-2 प्रोजेक्ट पर साथ काम करने के लिए इसरो और रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉसमॉस के बीच अनुबंध हुआ था।
  • सितंबर 2008- तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में सरकार ने चंद्रयान-2 मिशन के लिए अपनी मंजूरी दी।
  • अगस्त 2009- इसरो और रॉसकॉसमॉस ने मिलकर चंद्रयान-2 का डिजाइन तैयार कर लिया और इसकी लॉन्चिंग जनवरी 2013 में तय की गई।
  • 2013-2016- रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉसमॉस द्वारा लैंडर तैयार करने में लगातार देरी किए जाने की वजह से मिशन टलता रहा। आखिरकार उसने लैंडर देने में असमर्थता जताते हुए मिशन से हाथ खींच लिया। जिसके बाद इसरो ने खुद ही लैंडर बनाने का फैसला किया। चंद्रयान 2 के लैंडर का नाम डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया, जिन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक भी कहा जाता है।

  • 29 जून 2019- अलग-अलग चरणों के लिए लॉन्चिंग व्हीकल जीएसएलवी मार्क-III के अंदर बैटरी असेंबल करने का और रोवर के साथ लैंडर विक्रम के इंटीग्रेशन का काम पूरा हुआ। साथ ही चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग की तारीख 15 जुलाई तय की गई।
  • 2 जुलाई 2019- इक्विपमेंट बे कैमरा काउलिंग असेंबली पूरी हुई। चंद्रयान-2 स्पेसक्राफ्ट के साथ रेडियो फ्रीक्वेंसी चेक भी पूरा हुआ।
  • 4 जुलाई 2019- लॉन्च व्हीकल के साथ चंद्रयान-2 की इन्कैप्सुलेशन असेंबली का इंटीग्रेशन पूरा हुआ।
  • 7 जुलाई 2019- फुल ड्रेस रिहर्सल-1 (FDR-1) प्रक्रिया शुरू हुई और GSLV मार्क-III रॉकेट को लॉन्च पैड तक लाया गया।
  • 15 जुलाई 2019- लॉन्चिंग व्हीकल के कूलिंग सिस्टम में आई तकनीकी खराबी के कारण चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग टली। इस यान को तड़के 2 बजकर 51 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन सेंटर से जीएसएलवी मार्क-III रॉकेट के जरिए लॉन्च होना था। मिशन की शुरुआत से करीब 56 मिनट पहले इसरो ने ट्वीट कर लॉन्चिंग आगे बढ़ाने का एलान किया।
  • 18 जुलाई 2019- इसरो ने बताया कि चंद्रयान-2 की सभी खामियों को दूर कर लिया गया है और इसकी लॉन्चिंग 22 जुलाई तय की गई। तारीख एक हफ्ते आगे बढ़ाने के बावजूद बताया गया कि चंद्रयान-2 चांद पर पहले से तय तारीख सात सितंबर को ही पहुंचेगा। समय बचाने के लिए चंद्रयान पृथ्वी का एक चक्कर कम लगाएगा। पहले 5 चक्कर लगाने थे, पर अब 4 चक्कर लगाएगा।
  • 22 जुलाई 2019- दोपहर 2:43 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से GSLV मार्क-III रॉकेट के जरिए चंद्रयान-2 सफलतापूर्वक प्रक्षेपित हुआ। इस रॉकेट के जरिए तीन मॉड्यूल.. ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) भेजे गए।
  • 22 जुलाई 2019- प्रक्षेपण के 17 मिनट बाद ही यान सफलतापूर्वक धरती से छह हजार किलोमीटर दूर पृथ्वी की कक्षा में पंहुच गया। इसरो के चेयरमैन ने बताया रॉकेट की गति और हालात सामान्य हैं।
  • 24 जुलाई 2019- दोपहर 2.52 बजे पहली बार यान की कक्षा सफलतापूर्वक बदली गई। इस दौरान इसका प्रोपल्शन सिस्टम (यान का इंजन) 48 सेकंड के लिए चालू किया गया।
  • 26 जुलाई 2019- वैज्ञानिकों ने देर रात 1.08 बजे चंद्रयान-2 की कक्षा को दूसरी बार बदलते हुए उसे पृथ्वी से 54 हजार 829 किमी ऊपर स्थित कक्षा में पहुंचाया। इस दौरान इसका प्रोपल्शन सिस्टम 883 सेकंड के लिए चालू किया गया।
  • 29 जुलाई 2019- दोपहर 3.12 बजे चंद्रयान-2 ने तीसरी बार पृथ्वी की कक्षा बदली। इस बार प्रोपल्शन सिस्टम को 989 सेकंड के लिए चालू किया गया।
  • 2 अगस्त 2019- दोपहर 3.27 बजे चंद्रयान-2 ने चौथी बार पृथ्वी की कक्षा बदली। इस दौरान प्रोपल्शन सिस्टम को 646 सेकंड के लिए चालू किया गया।

  • 4 अगस्त 2019- इसरो ने चंद्रयान-2 से खींची गई पृथ्वी की कुछ फोटो रिलीज कीं। अंतरिक्ष में पृथ्वी की बाहरी कक्षा से खींची गई इन फोटोज को चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर में लगे एलआई-4 कैमरे से 3 अगस्त को शाम 5:28 से 5:37 बजे के बीच खींचा गया था।
  • 6 अगस्त 2019- इसरो ने ट्वीट करते हुए बताया कि चंद्रयान-2 ने दोपहर 3.04 बजे पर सफलतापूर्वक पांचवीं बार पृथ्वी की कक्षा बदल ली। इस बार प्रोपल्शन सिस्टम को 1041 सेकंड के लिए चालू किया गया। अब चांद से उसकी दूरी सिर्फ 31 दिन की बची।
  • 14 अगस्त- रात 2 बजकर 21 मिनट पर यान ने पृथ्वी की कक्षा को छोड़ लूनर ट्रांसफर ट्रजेक्टरी सिस्टम में प्रवेश कर लिया और अपने लक्ष्य चंद्रमा की ओर आगे बढ़ गया। इस प्रक्रिया को ट्रांस-लूनर इंसर्शन कहा जाता है। इस दौरान वो 23 दिन तक पृथ्वी की कक्षा में रहा और उसके चार चक्कर लगाए। पृथ्वी की अंतिम कक्षा छोड़ने के दौरान यान के इंजन को 1203 सेकंड के लिए चालू किया गया था।
  • 20 अगस्त 2019- सुबह 9.02 बजे चंद्रयान-2 सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया। इस प्रक्रिया में आधे घंटे का वक्त लगा। इस दौरान प्रोपल्शन सिस्टम को 1738 सेकंड के लिए चालू किया गया। 23 दिन पृथ्वी के चक्कर लगाने के बाद चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने में इसे छह दिन लगे।
  • 21 अगस्त 2019- चंद्रयान-2 ने दोपहर 12.50 बजे दूसरी बार चंद्रमा पर अपनी कक्षा बदली, इस दौरान 1228 सेकंड के लिए यान का इंजन चालू किया गया।
  • 22 अगस्त 2019- इसरो ने ट्वीट करते हुए चंद्रयान-2 द्वारा 21 अगस्त को भेजी गई चांद की तस्वीरें जारी कीं। इसरो ने बताया कि ये तस्वीरें विक्रम लैंडर ने चांद की सतह से 2650 किमी की ऊंचाई से ली थीं।

  • 26 अगस्त 2019- चंद्रयान-2 ने दूसरी बार चांद की तस्वीरें भेजीं, जिन्हें चांद की सतह से 4375 किमी ऊपर से टैरेन मैपिंग कैमरे-2 के जरिए लिया गया था। ये तस्वीरें चांद पर मौजूद क्रेटर्स (गड्ढों) की थीं। यान ने चांद के नॉर्थ पोल क्षेत्र की भी कई तस्वीरें लीं।
  • 28 अगस्त 2019- सुबह 9.04 बजे चंद्रयान-2 ने तीसरी बार चांद की कक्षा बदली। इस दौरान 1190 सेकंड के लिए यान का इंजन चालू किया गया। अब चांद से इसकी न्यूनतम दूरी 179 किमी और अधिकतम दूरी 1412 किमी रह गई।
  • 30 अगस्त 2019- शाम 6.18 बजे चंद्रयान-2 ने चौथी बार चांद की कक्षा सफलतापूर्वक बदल ली। जिसके लिए 1155 सेकंड तक प्रोपल्शन सिस्टम को ऑन किया गया। अब इसकी चांद से न्यूनतम दूरी 124 किमी और अधिकतम दूरी 164 किलोमीटर की रह गई।
  • 1 सितंबर 2019- शाम 6.21 बजे चंद्रयान-2 ने पांचवी और आखिरी बार सफलतापूर्वक चांद की कक्षा को बदल लिया। इसके लिए इस बार 52 सेकंड के लिए ऑनबोर्ड प्रोपल्शन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया।
  • 2 सितंबर 2019- दोपहर 1:15 बजे चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से लैंडर विक्रम सफलतापूर्वक अलग हो गया। अब 7 सितंबर को चांद की सतह पर उतरने से पहले लैंडर अगले दो दिन तक अपनी कक्षा को छोटा करता जाएगा और चंद्रमा से 36 किमी दूर की कक्षा में पहुंचकर चक्कर लगाएगा। वहीं ऑर्बिटर अगले एक साल तक इसी कक्षा में चंद्रमा का चक्कर लगाता रहेगा।
  • 3 सितंबर 2019- सुबह 8.50 बजे चंद्रयान-2 को निचली कक्षा में ले जाने का कार्य सफलतापूर्वक किया गया। इसके लिए उसे पूरी तरह रोककर तीन सेकंड के लिए विपरीत दिशा में चलाकर परखा गया और फिर वापस उसे अपनी कक्षा में आगे बढ़ाया गया। इसके लिए यान के इंजन को 4 सेकंड के लिए चालू किया गया।
  • 4 सितंबर 2019- रात को 3.42 बजे लैंडर की कक्षा में अंतिम बार बदलाव हुआ और सफलतापूर्वक उसकी कक्षा बदलकर उसे नीचे लाया गया। इसके लिए नौ सेकंड तक इंजन चालू रखा गया।

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