
भारत के चंद्रयान-2 मिशन को उस समय झटका लगा जब 2.1 किलोमीटर पहले रात के लगभग 1:55 बजे इसरो का लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया। 13 मिनट 48 सेकंड तक सब कुछ बिल्कुल इसरो की योजनानुसार चल रहा था लेकिन आखिर के डेढ़ मिनट ने भारत के इस मिशन को इतिहास बनने से रोक दिया। करोड़ों भारतवासी चांद पर भारत के पहुंचने का इंतजार कर रहे थे लेकिन दुर्भाग्यवश उनके हाथ मायूसी लगी। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बंगलूरू स्थित इसरो सेंटर में मौजूद थी। उन्होंने वैज्ञानिकों को हौसला न खोने की सलाह दी और उनकी पीठ थपथपाई।
यह मिशन बेशक सफलता के इतने करीब पहुंचकर चूक गया हो लेकिन पूरा देश इसरो के जज्बे को सलाम कर रहा है। वैसे ऐसा नहीं है कि मिशन में केवल भारत को असफलता मिली है। हमसे पहले कई विकसित देश भी निराशा का स्वाद चख चुके हैं। आज हम आपको ऐसे ही देशों के बारे में बताते हैं जो चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाए थे।
चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के अब तक 38 प्रयास हुए, 52 फीसदी ही सफल रहे
चांद को छूने की पहली कोशिश 1958 में अमेरिका और सोवियत संघ रूस ने की थी। अगस्त से दिसंबर 1968 के बीच दोनों देशों ने 4 पायनियर ऑर्बिटर (अमेरिका) और 3 लूना इंपैक्ट (सोवियन यूनियन) भेजे, लेकिन सभी असफल रहे। अब तक चंद्रमा पर दुनिया के सिर्फ 6 देशों या एजेंसियों ने सैटेलाइट यान भेजे हैं। कामयाबी सिर्फ 5 को मिली है। अभी तक ऐसे 38 प्रयास किए गए, जिनमें से 52 प्रतिशत सफल रहे हैं।1969 में मिली थी अमेरिका को सफलता
अपोलो कार्यक्रम के तहत अमेरिका ने पहली बार इंसाम को चांद की सतह पर उतारा था। इस कार्यक्रम के तहत छह यान भेजे गए थे। हालांकि अमेरिका के हाथ जुलाई 1969 में सफलता लगी और नील आर्मस्ट्रांग चांद पर पहला कदम रखने वाले पहले शख्स बने।