गुजरात के फैसले पर नरम पड़े गडकरी, बोले- जुर्माने का मकसद जान बचाना, राज्य चाहें तो घटा सकते हैं

nitin gadkari : bharat rajneeti
खास बातें
- परिवहन मंत्री ने कहा, जुर्माने का उद्देश्य राजस्व बढ़ाना नहीं, लोग नियमों का पालन करें
- कहा- अगर लोग परिवहन नियमों का पालन करेंगे तो उन्हें कोई रकम देने की जरूरत नहीं है
- वित्त मंत्री के बयान पर किया सवाल तो बोले-झगड़ा लगाने के लिए ऐसा ऐसा मत करिएगा
केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को कहा, नए मोटर वाहन कानूनों के तहत भारी-भरकम जुर्माने को कम करने वाले राज्यों से उन्हें कोई समस्या नहीं है। यह उनका हक है। जुर्माने की रकम बढ़ाने का फैसला लोगों की जान बचाने के लिए लिया गया है। राज्य सरकार चाहें तो जुर्माना घटाने का फैसला कर सकती है। यह उन पर निर्भर करता है। गडकरी का बयान उस वक्त आया है, जब एक दिन पहले ही गुजरात सरकार ने जुर्माने की रकम घटाने का फैसला किया था। दिल्ली में एक कार्यक्रम में भारी भरकम चालान के बारे में पूछे जाने पर गडकरी ने कहा, यह कोई राजस्व स्कीम नहीं है। अगर राज्य सरकार इसे काम करना चाहती है तो करे। लेकिन, क्या यह सच नहीं है कि लोगों ने कभी कानून को नहीं माना और न ही इसको लेकर खौफ रहा है।
गडकरी ने कहा, जुर्माने का उद्देश्य राजस्व बढ़ाना नहीं है। हम लोगों से कोई जुर्माना नहीं वसूलना चाहते हैं। हम सड़क सफर को सुरक्षित बनाना चाहते हैं। अगर लोग परिवहन नियमों का पालन करेंगे तो उन्हें कोई रकम देने की जरूरत नहीं है।
जब गडकरी बोले, झगड़ा मत लगाइए
दरअसल गडकरी से सीतारमण के बयान को लेकर जब सवाल पूछा गया तो उन्होेंने कहा, मैं समझता हूं कि आपने जो सवाल मुझसे पूछा है वह विवाद खड़ा करने के लिए तो नहीं पूछा। अगर आप झगड़ा लगाने के लिए ऐसा कर रहे हैं तो ऐसा मत करिएगा।
युवाओं की जिंदगी को सुरक्षित बनाने की कोशिश
गडकरी ने कहा, हर साल सड़क दुर्घटना में 1.5 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। इसमें से 65 फीसदी की उम्र 18 से 35 साल के बीच है। हर साल 2-3 लाख लोग सड़क हादसों में दुर्घटना के चलते दिव्यांग हो रहे हैं। हम युवाओं की जान की कीमत समझते हैं और उनके जीवन को सुरक्षित बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
कानून के डर के लिए जरूरी था ऐसा जुर्माना
परिवहन मंत्री ने नए कानून को लागू करने का बचाव करते हुए कहा, सख्त कानून की जरूरत इसलिए थी, क्योंकि लोग यातायात नियमों को बेहद हल्के तौर पर लेते थे। उनके जेहन में न तो कानून के प्रति खौफ था और न ही आदर।
गडकरी ने कहा, जुर्माने का उद्देश्य राजस्व बढ़ाना नहीं है। हम लोगों से कोई जुर्माना नहीं वसूलना चाहते हैं। हम सड़क सफर को सुरक्षित बनाना चाहते हैं। अगर लोग परिवहन नियमों का पालन करेंगे तो उन्हें कोई रकम देने की जरूरत नहीं है।
जब गडकरी बोले, झगड़ा मत लगाइए
दरअसल गडकरी से सीतारमण के बयान को लेकर जब सवाल पूछा गया तो उन्होेंने कहा, मैं समझता हूं कि आपने जो सवाल मुझसे पूछा है वह विवाद खड़ा करने के लिए तो नहीं पूछा। अगर आप झगड़ा लगाने के लिए ऐसा कर रहे हैं तो ऐसा मत करिएगा।
युवाओं की जिंदगी को सुरक्षित बनाने की कोशिश
गडकरी ने कहा, हर साल सड़क दुर्घटना में 1.5 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। इसमें से 65 फीसदी की उम्र 18 से 35 साल के बीच है। हर साल 2-3 लाख लोग सड़क हादसों में दुर्घटना के चलते दिव्यांग हो रहे हैं। हम युवाओं की जान की कीमत समझते हैं और उनके जीवन को सुरक्षित बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
कानून के डर के लिए जरूरी था ऐसा जुर्माना
परिवहन मंत्री ने नए कानून को लागू करने का बचाव करते हुए कहा, सख्त कानून की जरूरत इसलिए थी, क्योंकि लोग यातायात नियमों को बेहद हल्के तौर पर लेते थे। उनके जेहन में न तो कानून के प्रति खौफ था और न ही आदर।
ओला-उबर पर वित्त मंत्री का किया बचाव

Nitin Gadkari : bharat rajneeti
गडकरी ने ऑटो सेक्टर में मंदी पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बयान का बचाव किया। गडकरी ने कहा, सीतारमण के बयान को गलत समझा गया। बयान के मूल भाव को समझकर उस पर खुली चर्चा होनी चाहिए। ऑटो सेक्टर में मंदी की कई वजह हैं। ओला-उबर का इस्तेमाल बढ़ना भी उनमें से एक है।
इससे पहले सीतारमण ने मंगलवार को कहा था कि नई पीढ़ी नई कार की ईएमआई चुकाने की बजाय ओला और उबर जैसी सेवाओं का इस्तेमाल करना पसंद कर रही है। गडकरी ने कहा, पिछले कुछ महीनों में ऑटो इंडस्ट्री में लगातार गिरावट के कई कारण रहे हैं।
जैसे ई-रिक्शा की सेल में बढ़ोतरी की वजह से सामान्य ऑटो रिक्शा की बिक्री कम हुई। इसके अलावा देशभर में सार्वजनिक परिवहन में बेहतरी भी मंदी की एक वजह रही है। ऑटो सेक्टर की मांग है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) 28 से घटाकर 18 फीसदी की जाए।
इस पर गडकरी ने कहा कि जीएसटी पर कोई भी फैसला जीएसटी परिषद ही लेगी। परिवहन मंत्री ने कहा, मुझे यकीन है कि वित्त मंत्री जीएसटी घटाने के लिए राज्यों से बात करेंगी। इस मामले में गेंद वित्त मंत्रालय के पाले में है।
इससे पहले सीतारमण ने मंगलवार को कहा था कि नई पीढ़ी नई कार की ईएमआई चुकाने की बजाय ओला और उबर जैसी सेवाओं का इस्तेमाल करना पसंद कर रही है। गडकरी ने कहा, पिछले कुछ महीनों में ऑटो इंडस्ट्री में लगातार गिरावट के कई कारण रहे हैं।
जैसे ई-रिक्शा की सेल में बढ़ोतरी की वजह से सामान्य ऑटो रिक्शा की बिक्री कम हुई। इसके अलावा देशभर में सार्वजनिक परिवहन में बेहतरी भी मंदी की एक वजह रही है। ऑटो सेक्टर की मांग है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) 28 से घटाकर 18 फीसदी की जाए।
इस पर गडकरी ने कहा कि जीएसटी पर कोई भी फैसला जीएसटी परिषद ही लेगी। परिवहन मंत्री ने कहा, मुझे यकीन है कि वित्त मंत्री जीएसटी घटाने के लिए राज्यों से बात करेंगी। इस मामले में गेंद वित्त मंत्रालय के पाले में है।
भारतीय युवा कांग्रेस ने किया प्रदर्शन
भारतीय युवा कांग्रेस ने नए मोटर वाहन कानून के प्रावधानों के खिलाफ गडकरी के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया है। यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन के दौरान बेहद उग्र नजर आए।
कार्यकर्ता मोदी सरकार की आलोचना करते हुए नारा लगा रहे थे। इसी दौरान कुछ कार्यकर्ताओं ने स्कूटर उठाकर प्रदर्शन किया। पुलिस ने बैरिकेड लगाकर उन्हें रोका।
भारतीय युवा कांग्रेस ने नए मोटर वाहन कानून के प्रावधानों के खिलाफ गडकरी के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया है। यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन के दौरान बेहद उग्र नजर आए।
कार्यकर्ता मोदी सरकार की आलोचना करते हुए नारा लगा रहे थे। इसी दौरान कुछ कार्यकर्ताओं ने स्कूटर उठाकर प्रदर्शन किया। पुलिस ने बैरिकेड लगाकर उन्हें रोका।