प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना का निराशाजनक प्रदर्शन, सुधार के लिए तैयार किया गया खाका

नरेंद्र मोदी - फोटो : bharat rajneeti
खास बातें
- इन गांवों के विकास के आधार पर ही बनेगा सांसदों का रिपोर्ट कार्ड
- 50 फीसदी अनुसूचित जाति के गांवों को चुनना भी अनिवार्य किया गया
- पांच साल में गांवों में किए गए विकास कार्यों के आधार पर बनेगी रिपोर्ट
नरेंद्र मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के पिछले पांच साल के निराशाजनक प्रदर्शन को सुधारने के लिए अब चाक-चौबंद व्यवस्था की है। पीएमएजीवाई 2019-24 योजना के इस चरण में 50 फीसदी अनुसूचित जाति के गांवों को चुनना भी अनिवार्य किया गया है। इसके अलावा अगले पांच साल में कम से कम तीन और अधिकतम पांच गांवों में किए गए विकास कार्य के आधार पर सांसदों के कामकाज का आकलन किया जाएगा। ग्रामीण विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नए नियम न केवल कड़े मानकों से लैस हैं। इनमें विकास कार्यों को तय समय से पूरा करने का लक्ष्य है। 12 कमेटियों की सतत निगरानी से विकास कार्यों की सफलता को सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह योजना कई मंत्रालयों के सहयोग से चलती है, इसलिए इस बार विकास कार्यों की समय सीमा अधिकतम दो साल तय की गई है।
प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना को प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में शुरू किया था। 2015-16 में लगभग 1297 गांवों को आदर्श ग्राम बनाना था, लेकिन केवल 140 गांवों में ही सौ फीसदी काम पूरा हुआ। बाकि गांवों में केवल 51 फीसदी काम पूरा होने का ब्योरा सरकार ने जुलाई 2019 में जारी किया था। इसलिए सरकार ने अब आदर्श ग्राम योजना के लिए चाक-चौबंद इंतजाम किए हैं।
प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना को प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में शुरू किया था। 2015-16 में लगभग 1297 गांवों को आदर्श ग्राम बनाना था, लेकिन केवल 140 गांवों में ही सौ फीसदी काम पूरा हुआ। बाकि गांवों में केवल 51 फीसदी काम पूरा होने का ब्योरा सरकार ने जुलाई 2019 में जारी किया था। इसलिए सरकार ने अब आदर्श ग्राम योजना के लिए चाक-चौबंद इंतजाम किए हैं।
सांसदों के लिए आदर्श ग्राम के मानक
आदर्श ग्राम बनाने के लिए सांसदों को जिन मानकों का पालन कराना होगा, वह हैं गांव में रोजमर्रा के इस्तेमाल के लिए जरूरी पानी और पेयजल की व्यवस्था। प्रत्येक घर के साथ शौचालयों की अनिवार्यता। कौशल विकास केंद्र समेत सभी ग्रामीणों का बैंक खाते की अनिवार्यता। सभी स्कूलों और आंगनबाड़ियों में पेयजल और शौचालयों का होना जरूरी। सड़कों, स्वास्थ्य सेवाओं की बहाली, पौष्टिक भोजन की उपलब्धता, विधवा व वृद्धा पेंशन को लागू करना आदि।