सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली के फ्लैट खरीदारों को चेताया, कहा- बकाया जमा करने पर ही मिल पाएगा घर
सुफ्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) - फोटो : bharat rajneeti
खास बातें
- सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली समूह के विभिन्न प्रोजेक्टों में फ्लैट खरीदने वालों को चेतावनी दी
- 3600 करोड़ रुपये की धनराशि बकाया है खरीदारों पर
- वेबसाइट पर जारी होंगे बकायेदारों के नाम
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आम्रपाली समूह के विभिन्न प्रोजेक्टों में फ्लैट खरीदने वालों को कड़े शब्दों में चेतावनी दी कि यदि वे अपनी बकाया धनराशि जमा नहीं कराते हैं तो उन्हें घर मिल पाना मुश्किल हो जाएगा। शीर्ष अदालत ने खरीदारों से कहा कि बकाया भुगतान नहीं करने की उनकी इच्छा अटके हुए प्रोजेक्टों को आर्थिक संकट के कारण बंद कर दिए जाने का कारण बन जाएगी। हालांकि पीठ ने छह बैंकों को भी आम्रपाली के खरीदारों के होमलोन का रोका गया हिस्सा जारी करने के लिए नोटिस जारी किया है। बता दें कि शीर्ष अदालत की तरफ से नियुक्त फोरेंसिक ऑडिटर्स की रिपोर्ट में बकाया धनराशि के करीब 3600 करोड़ रुपये होने का आकलन किया गया था। जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यूयू ललित की पीठ के सामने एक खरीदार की तरफ से पेश एडवोकेट शोभा ने आम्रपाली लीशर पार्क का उदाहरण पीठ के सामने दिया और कहा कि इस प्रोजेक्ट के बिल्डर-बायर एग्रीमेंट में भुगतान को कंस्ट्रक्शन से जोड़ा गया था। लेकिन अभी तक इस प्रोजेक्ट में काम ही शुरू नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि ऐसे में खरीदार को पूरे भुगतान के लिए कहना नाइंसाफी होगा। इस पर पीठ ने कहा, यदि आप पैसा नहीं चुकाना चाहते हैं, तो हमें आपको घर जाने के लिए कहना होगा। यदि आप चाहते हैं कि निर्माण हो, तो खरीदारों को बकाया धन चुकाना होगा।
वेबसाइट पर जारी होंगे बकायेदारों के नाम
पीठ ने कहा कि बकाया धनराशि वाले खरीदारों के नाम प्रोजेक्ट के हिसाब से जल्द ही यूको बैंक, नोएडा व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों की वेबसाइट पर जारी कर दिए जाएंगे और बाद में इनका सत्यापन कोर्ट रिसीवर के तौर पर नियुक्त वरिष्ठ अधिवक्ता आर. वेंकटरमानी द्वारा किया जाएगा। सत्यापन के बाद इन सभी को बकाया धन जमा करने के लिए नोटिस भेजा जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने मांगी आम्रपाली के बिना बिके 5229 फ्लैट बेचने की योजना
आम्रपाली बिल्डर्स के विभिन्न प्रोजेक्टों में बिक्री से बचे करीब 5229 फ्लैट बेचने के लिए कवायद शुरू की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनबीसीसी) को इसकी योजना पेश करने का आदेश दिया है। आम्रपाली के प्रोजेक्टों में घर खरीद चुके लोगों से भी इस बारे में सुझाव मांगे गए हैं।
जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने बुधवार को लोन के जरिए घर खरीदने वाले लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए छह बैंकों बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, कॉरपोरेशन बैंक, सिंडिकेट बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र को भी नोटिस जारी किया। बैंकों से घर खरीदारों के लंबित होम लोन जारी करने का तरीका पूछा गया है ताकि घर खरीदार बकाया रकम का भुगतान कर सके। दरअसल सुनवाई के दौरान पीठ के सामने यह बात आई थी कि बैंक बकाया रकम का भुगतान करने के लिए लोन का बचा हिस्सा जारी नहीं कर रहे हैं। पीठ ने सरकार से भी घर की रजिस्ट्री के वक्त खरीदारों से जीएसटी व सेवा कर लेने की प्रक्रिया की जानकारी मांगी है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने भुवनेश्वर और रायपुर के राजस्व अधिकारी को नोटिस जारी कर पूछा है कि आम्रपाली ने जमीन खरीदने के लिए कितने पैसे जमा कराए थे।
हर्टबीट सिटी व ओ 2 वैली का भी होगा फोरेंसिक ऑडिट
शीर्ष अदालत ने फोरेंसिक ऑडिटरों पवन अग्रवाल व रवि भाटिया को आम्रपाली समूह के शेष बचे दो प्रोजेक्ट हर्टबीट सिटी और ओ2 वैली का भी ऑडिट करने का आदेश दिया। इन दोनों प्रोजेक्टों का पंजीकरण शीर्ष अदालत ने अनियमितताओं की जांच के लिए रेरा अधिनियम के तहत 30 सितंबर तक रद्द घोषित कर रखा है।
रॉयल गोल्फ लिंक सिटी प्रोजेक्ट को भी दी राहत
शीर्ष अदालत ने ग्रेटर नोएडा में आम्रपाली समूह के प्रीमियर प्रोजेक्ट रॉयल गोल्फ लिंक सिटी को भी राहत दी। पीठ ने निर्देश दिया कि 10 जनवरी तक 66 करोड़ रुपये जमा कराए जाने पर इस प्रोजेक्ट की 50 फीसदी संपत्तियों पर से रोक हटा ली जाएगी। बता दें कि इस साल फरवरी में शीर्ष अदालत ने इस प्रोजेक्ट के 30 विला अटैच कर दिए थे, जिनका निर्माण संदिग्ध लेनदेन की बदौलत होने की बात मानी गई थी।