2019 में 48 लाख लोग दृष्टिहीन, 2007 के बाद दृष्टिहीनता के मामलों में 47 फीसदी की गिरावट

खास बातें
- देश में बीते 12 सालों में दृष्टिहीनता प्रसार में 47 फीसदी की कमी आई है
- 48 लाख लोग दृष्टिहीन पाए गए 2019 में
- 1.20 करोड़ लोग 2017 में दृष्टिहीन थे
- 2020 तक डब्ल्यूएचओ द्वारा तय 0.3 फीसदी के लक्ष्य को हासिल कर लेंगे
देश में बीते 12 सालों में दृष्टिहीनता प्रसार में 47 फीसदी की कमी आई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन द्वारा जारी राष्ट्रीय दृष्टिहीनता एवं दृष्टिबाधित सर्वे 2019 के मुताबिक देश की कुल आबादी के 0.36 फीसदी यानी 48 लाख लोग दृष्टिहीन हैं जबकि 2006-07 में यह संख्या 1.20 करोड़ थी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि 2020 तक भारत दृष्टिहीनता मामलों के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा तय 0.3 फीसदी का लक्ष्य हासिल कर लेगा। सर्वे के मुताबिक, मोतियाबिंद 66.2 फीसदी के साथ अब भी दृष्टिहीनता के लिए सबसे बड़ा कारण है। कोर्निया की खराब होने के कारण दृष्टिहीनता 7.4 फीसदी के साथ दूसरे स्थान पर है। सर्वे में दावा किया गया कि मोतियाबिंद की सर्जरी बिगड़ने के कारण दृष्टिहीनता के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। इस कारण करीब 7.2 फीसदी लोग दृष्टि खो देते हैं।
दृष्टिहीनता नियंत्रण के राष्ट्रीय कार्यक्रम में प्रमुख सलाहकार डॉ प्रोमिला गुप्ता ने बताया कि एम्स के डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद नेत्र विज्ञान केंद्र और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मिलकर 2015 और 2018 की अवधि के बीच देश के 24 राज्यों के 31 जिलों में 50 साल की आयु के 93,000 लोगों को शामिल किया।
इसके बाद इस साल जनवरी से फरवरी के बीच छह जोन के छह जिलों में 49 वर्ष की आयु तक के 18000 लोगों पर सर्वे किया गया। इसके बाद दोनों आंकड़ों को मिलाकर देश में दृष्टिहीनता प्रसार का अनुमान लगाया गया।
18 हजार लोगों पर किए इस सर्वे में 37 फीसदी को अंधापन की शिकायत के पीछे विटामिन ए और संक्रमण की वजह देखने को मिली है। इनके अलावा सर्वे में दृष्टिक्षीणता को लेकर कहा है कि वर्ष 2010 में 51.9 फीसदी दृष्टिक्षीणता के मामले अब घटकर 25.5 फीसदी पर आ चुकी है।
दृष्टिहीनता की परिभाषा बदली
डब्ल्यूएचओ के निर्देशों के आधार पर भारत ने अपनी चार दशक पुरानी दृष्टिहीनता की परिभाषा को 2017 में बदला है। नई परिभाषा के तहत तीन मीटर की दूरी से अंगुलियां नहीं गिन पाने वाले व्यक्ति को दृष्टिहीन माना जाएगा। अब तक 1976 में तय की गई छह मीटर की दूरी को आधार माना जाता था।
इन जिलों में सर्वाधिक दृष्टिहीनता प्रसार
जिला राज्य प्रसार (फीसदी में)
बिजनौर यूपी 3.67
वारंगल तेलंगना 3.47
नलबाड़ी असम 3.03
गुना एमपी 2.98
सीकर राजस्थान 2.81
इन जिलों में सर्वाधिक दृष्टि क्षीणता
जिला राज्य प्रसार (फीसदी में)
बिजनौर यूपी 21.82
वारंगल तेलंगना 20.31
नयागढ़ ओड़िशा 17.88
बीरभूम पश्चिम बंगाल 17.39
जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़ 17.05
किस आयुवर्ग में कितनी रोगी
उम्र (वर्ष में) बीमारी (फीसदी में)
50 से 59 0.5
60 से 69 1.6
70 से 79 4.1
80 और अधिक 11.6
देश में बीते 12 सालों में दृष्टिहीनता प्रसार में 47 फीसदी की कमी आई है।