भाजपा की बढ़ती ताकत से घबराए कांग्रेस और वामदल मिलकर लड़ेंगे अगला बंगाल चुनाव
सोनिया गांधी (फाइल फोटो)
खास बातें
- अगले साल होना है पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव
- कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दिखाई प्रस्ताव को हरी झंडी
- 2016 का विधानसभा चुनाव भी मिलकर लड़े थे दोनों दल
- बाद में मतभेद बढ़ने से अलग हो गए थे दोनों के रास्ते
कांग्रेस और वाम दल अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव एक बार फिर मिलकर लड़ सकते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बृहस्पतिवार को इस प्रस्ताव पर प्रदेश नेतृत्व को आगे बढ़ने के लिए हरी झंडी दिखा दी है। दोनों दल साल 2016 का विधानसभा चुनाव भी मिलकर लड़े थे पर बाद में दोनों में मतभेद बढ़ने से उनके रास्ते अलग हो गए थे। गुरुवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता विपक्ष अब्दुल मन्नान ने सोनिया गांधी से मुलाकात करके उन्हें जमीनी हकीकत बताई। उनका मानना था कि वामदलों से मिलकर लड़ने में ही समझदारी है। सोनिया ने इस प्रस्ताव को स्वीकारते हुये वामदलों से बातचीत को राज्य इकाई को अधिकृत कर दिया।
कांग्रेस का मानना है कि तब जमीनी स्तर पर दोनों दलों के बीच भले ही समझौता हुआ हो लेकिन नेताओं के दिल नहीं मिले थे। राहुल गांधी की एक सभा को छोड़कर वाम नेताओं ने कांग्रेस के साथ साझा प्रचार नहीं किया था।
लेफ्ट भी तैयार, येचुरी ने दी गठबंधन को अनुमति
सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने भी इस गठबंधन की अनुमति दे दी है। यही वजह है कि गत दो अक्तूबर को पहली बार सीपीएम के राज्य महासचिव सूर्यकांत मिश्रा सहित विमान बोस जैसे कई बड़े वाम नेता कोलकाता में कांग्रेस के गांधी जयंती कार्यक्रम में शामिल हुए और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्रा से बातचीत भी की।
लेफ्ट ने पिछली बार जीती थीं महज 26 सीटें
पिछले विधानसभा चुनाव में सीपीएम ने 148 सीटों पर चुनाव लड़ा पर केवल 26 सीट ही जीत सकी थी। सीपीआई 11 में से 1 और फॉरवर्ड ब्लॉक 25 में से केवल 2 सीटें ही जीती थीे। वही कांग्रेस लेफ्ट पार्टियों के समर्थन की वजह से 44 सीटों पर जीत गई थी। इसी वजह से राज्य विधानसभा में नेता विपक्ष का पद कांग्रेस को मिला।